दिल्ली: भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने खानपान और ई-टिकटिंग के लिए सन् 2002 में इंडियन रेलवे कैटरिंग एण्ड टुरिजम कॉरपोरशन लिमिटेड की स्थापना की. जिसमें की वर्तमान में लगभग 4000 से भी अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. आईआरसीटीसी ने खुद से इंटरव्यू लेकर और बाद में ठेकेदार के द्वारा अप्पोइन्मेंट लेटर दिलवा दिया और उसको नाम दिया आउटसोर्स वर्कर. जिनकी संख्या लगभग पचास प्रतिशत से भी अधिक है.
IRCTC कलकता के 800 वर्कर हड़ताल पर
कलकता जोन में लगभग 800-900 आउटसोर्स वर्कर पिछले 3-13 साल से लगातार काम करते आ रहे है मगर वर्कर के जानकारी के बगैर ठेकेदार 2-3 साल पर बदल दिये जाते हैं.
पिछले कई सालों से कभी दिल्ली, कभी कलकता, कभी मुम्बई तो कभी चेन्नई से वर्कर अपनी नौकरी को स्थाई करने की मांग कर रहे थे, मगर आईआरसीटीसी हर बार काम नही होने और ओवर स्टाफिंग का हवाला देकर टल्ला मार देता था. मगर रेल मंत्रालय के नये बजट के अंतर्गत दुबारा से आईआरसीटीसी को कैटरिंग सेवा मिलने से वर्करों में खुशी का माहौल बन गया था हो न हो उनकी सेवा स्थाई कर दी जाए.
मगर इसके उल्ट आईआरसीटीसी प्रबंधन धीरे-धीरे सभी सेवाओं से लेकर ट्रेन को आउटसोर्स करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. जिसके खिलाफ वर्करों काफी समय से विरोध कर रहे है और अपनी जाॅब सिक्यूरिटी की मांग करते आ रहे हैं. मगर हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नही मिलता है. इधर कुछ दिन से हर ट्रेनों को आउटसोर्स करने की कावायदा तेज कर दी.
जिसके खिलाफ रविवार दिनांक 23.10.2016 से कलकता जोन के सारे वर्कर एक साथ हड़ताल पर चले गये. जिससे की रेल के खानपान की व्यवस्था एकदम से चरमरा गयी. आईआरसीटीसी के प्रबंधकों ने और न रेल अधिकारियों ने कभी कल्पना भी नही की थी कि एक साथ सारे वर्कर हड़ताल पर चले जायेंगे. इस दौरान हजारों की संख्या में वर्करों ने हावड़ा स्टेशन पर आईआरसीटीसी प्रबंधन के खिलाफ नारें लगाये.
जानकारी के अनुसार वर्करों ने जीजीएम का घेराव भी किया तो उन्होने रेल बजट का हवाला दिया और कहा कि इसमें हम कुछ नही कर सकते क्योंकि प्रावेटाईजेंशन के लिए रेल मंत्री ने नई पाॅलिसी बनाई है. इसके बाद दो ऑफिसर से बदसलूकी के आरोप में जीआरपी ने 16 वर्करों को गिरफ्तार किया, जिनको बाद में छोड़ दिया गया.
सोमवार को हावड़ा-मुम्बईदुरंतो में कुछ वर्करों को आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने समझाबुझा कर चढा दिया. मगर ट्रेनों के खुलने के बाद वर्करों ने खाना सर्व करने से मना कर दिया. जिसके कारण कुछ यात्रियों से कहा सुनी हो गयी. जिसके बाद ट्रेन के कुछ आगे जाने के बाद चेंन पुलिंग कर उतर गये.
एक तरह से देंखे तो अभी आईआरसीटीसी 700-800 वर्कर के काम मात्र् 70-80 स्थाई कर्मचारी को दबाब बना कर करवा रहा है. अब प्रबंधन चाहे जितना दम लगा लें मगर यह लड़ाई रूकने वाला नही है. इस आंदोलन की खबर धीरे-धीरे सभी जोनों में फैल रही है. जब तक हमारी यूनियन प्रतिनिधियों से से बात कर सभी मांगे नही मान ली जाती तब काम शुरू होने मुमकीन नही है.
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