नई दिल्ली : रेल मंत्रालय ने नई कैटरिंग पॉलिसी 2016 का ड्राफ्ट (For Draft Policy, Click here) जारी कर दिया है. जारी किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक रेलवे नई कैटरिंग पॉलिसी में आईआरसीटीसी को एक बड़ी जिम्मेदारी देने जा रहा है. नई पॉलिसी में सभी जोनल रेलवे द्वारा पैंट्री कार सर्विस के कॉन्ट्रैक्ट आईआरसीटीसी को दे दिए जाएंगे. शॉर्ट नोटिस पर शुरू की गई सभी नई ट्रेनों में कैटरिंग सर्विस के प्रबंधन का जिम्मा भी आईआरसीटीसी को ही दिया जाएगा.
रेल की नई कैटरिंग पॉलिसी
गैरतलब है कि इस समय लागू कैटरिंग पॉलिसी वर्ष 2010 में लागू की गई थी. वर्तमान सरकार द्वारा ऐसा माना जा रहा है की पिछली सरकारों ने IRCTC को दरकिनार करते हुए मनमाने ढंग से प्राइवेट कंपनियों को रेलवे के खानपान की ज्यादातर सर्विसेज दे दी थी. इसका खामियाजा यह हुआ की निजी कंपनियों ने तो मोटा मुनाफा कमाया लेकिन बेचारा रेलयात्री घटिया खाना खा खाकर परेशान होता रहा.
बार-बार आ रही शिकायतों के मद्देनजर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बजट में इस बात की घोषणा की थी कि वह जल्द नई कैटरिंग पॉलिसी लाएंगे. अपने वादे को पूरा करने के लिए रेल मंत्री प्रभु ने तमाम विचार विमर्श के बाद 2016 की नई कैटरिंग पॉलिसी का ड्राफ्ट विचार विमर्श के लिए सामने रखा है.
जनता को गुमराह करने के लिए सुझाव मांगने का ढोंग
अभी हाल ही में रेलमंत्री सुरेश प्रभु जी के नाक के नीचे आईटी सेंटर, आईआरसीटीसी, दिल्ली से निजीकरण के नाम पर श्रम कानून को धत्ता बताते हुए लगातार चलने वाले काम को ऑउटसोर्स करते हुए 3 से 10 वर्षों से काम कर रहे 92 वर्करों को नौकरी से निकाल दिया. उसके बाद इसी नई कैटरिंग पॉलिसी का हवाला देकर कलकत्ता से 225 वर्करों की नौकरी छीन ली. जैसे-जैसे रेलवे आईआरसीटीसी को ट्रेन हैंड ओवर कर रही है, वैसे-वैसे आईआरसीटीसी उन ट्रेनों को टेंडर कर ऑउटसोर्स कर रही है.
नई कैटरिंग पॉलिसी, निजीकरण के नाम पर बंदरबांट से ज्यादा कुछ नही
खाना उम्दा मिले और इसकी क्वालिटी में कोई समझौता ना हो इसके लिए सभी चलती-फिरती सेवाओं के लिए आईआरसीटीसी अपनी किचन से ही खाना उठाएगी. आईआरसीटीसी को रेलवे की सभी बेस किचन सौंप दी जाएंगी. इसके अलावा आईआरसीटीसी को यह अधिकार देने की तैयारी है कि यह हॉस्पिटैलिटी उद्योग की बड़ी कंपनियों को भी सर्विस देने के लिए अनुबंधित करे.
जोनल रेलवे के तहत आने वाली चारों बेस किचन नागपुर, सीएसटी मुंबई, बीसीटी मुंबई और बल्लारशाह को आईआरसीटीसी को सौंप दिया जाएगा. इसके अलावा जन आहार और रेलवे स्टेशनों पर मौजूद दूसरी किचन को भी आईआरसीटीसी को देने की तैयारी है. इसके पीछे जो सबसे बड़ी सोच बताई जा रही है वह सोच यह है कि ऐसा करने से खाने की क्वालिटी बेहतर की जा सकेगी. कैटरिंग सर्विस के मैनेजमेंट के लिए भारतीय रेलवे और आईआरसीटीसी के बीच नया मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग साइन किया जाएगा.
मोबाइल कैटरिंग सर्विस के लिए उचित तरीके की पेंट्रीकार को डिजाइन किया जाएगा और इसी के साथ स्टेट ऑफ ऑर्ट टेक्नोलॉजी के उपकरणों को कैटरिंग में शामिल किया जाएगा. इसके अलावा रेलवे ने एक दूसरा बड़ा फैसला लेने का निर्णय लिया है. जिसके तहत कैटरिंग में प्लेटफार्म पर और चलती ट्रेन में धीरे-धीरे गैस चूल्हा का प्रचलन खत्म किया जाएगा और इनकी जगह बिजली से चलने वाले उपकरणों को तरजीह दी जाएगी.
ठेका कानून के तहत प्रावधान के अनुसार अपने साथी वर्करों के लिए “समान काम का समान वेतन” की मांग उठाने के कारण ही सुरजीत श्यामल को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. जिसके फलस्वरूप उन्होंने माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में पुरे देश के वर्करों के लिए समान काम का समान वेतन लागू करवाने के लिए जनहित याचिका दायर किया है.
नई कैटरिंग पॉलिसी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने देश के लाखों अस्थायी कर्मचारियों के लिए 26 अक्टूबर 2016 के फैसला का भी खुला उल्लंघन है. जिसमें माननीय कोर्ट ने कहा है कि सभी अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलना चाहिए. जस्टिस जेेएस केहर और जस्टिस एसए बोबड़े की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि “समान काम के लिए समान वेतन” के तहत हर कर्मचारी को ये अधिकार है कि वो नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन पाए. पीठ ने अपने फैसले में कहा, “हमारी सुविचारित राय में कृत्रिम प्रतिमानों के आधार पर किसी की मेहनत का फल न देना गलत है.
यह पॉलिसी केवल वर्करों के लिए ही नही अपितु उन हजारों लाखों गरीब नए खोमचे, डलिया, हाथ ठेला और चाय के बाल्टी के रोजगार के अवसर भी छीन लिये हैं. उनकी जगह पर अब यात्रियों को बर्गर पिज्जा पर जोड़ दिया जायेगा. यह उनके पॉकेट पऱ भी झटका देगा जो गरीब यात्री जो कि स्टेशन की 10 रूपये की पूड़ी सब्जी खाकर अपनी यात्रा करते है. यह पॉलिसी निजीकरण के नाम पर बंदरबांट का से ज्यादा कुछ नही है.
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