जेएनयू अभी तक छात्र आंदोलन के लिए जाना जाता रहा है. मगर 4 अक्टूबर को जेएनयू में काम करने वाले JNU Contract Employee सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियन ऐक्टू से सम्बद्ध जेएनयू के ठेका कर्मचारियों ने बोनस के सवाल पर रैली निकाली और जेएनयू प्रशासन को चेतावनी दी कि बोनस के नाम पर मिठाई का डिब्बा पकड़ाना नहीं चलेगा. उनलोगों ने प्रबंधन को आगाह किया कि अब ना ही कंपनी और प्रशासन द्वारा बोनस की चोरी चलेगी. बोनस कर्मचारियों का क़ानूनी हक़ है और वो उनको देना ही होगा.
JNU Contract Employee बोनस नहीं तो काम नहीं
श्वेता राज, ऑल इंडिया जनरल कामगार यूनियन, जे एन यू यूनिट (सम्बद्ध ऐक्टू) ने बताया कि जेएनयू में हज़ार से भी ज्यादा JNU Contract Employee पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं, मगर ठेकेदार और जेएनयू की मिलीभगत और भ्रष्टाचार के चलते न तो उन्हें पक्का किया जा रहा है और न ही श्रम कानूनों का पालन हो रहा है.
आज तक बोनस के नाम जेएनयू और ठेकेदार के मिलीभगत से मिठाई का डब्बा पकड़ा दिया जाता रहा है. मगर इस बार वो ऑल इंडिया जनरल कामगार एआईसीसीटीयू के बैनर तले संगठित हो चुके है. अपने अधिकार जान गए है. जिसके बारे में भनक लगते ही प्रबंधन ने नौकरी से निकलने की धमकियां देनी शुरू कर दी है. जो कि आम बात है. इस बार वो मिठाई के डब्बा से नहीं बल्कि क़ानूनी हक़ बोनस से काम पर मानने वाले नहीं है. इसके खिलाफ कल अपनी बोनस की मांग को मजबूती प्रदान करते हुए रैली निकाल कर अपनी एकता और संगठित होने का अहसास दिलाया है.
ज्ञात हो कि जे.एन.यू कैंपस में लंबे समय से ठेका कर्मचारियों के बोनस की लड़ाई चल रही है. पिछले वर्ष भी मजदूरों के काफी विरोध के बाद ही कुछ ठेका कर्मचारियों को आंशिक बोनस का भुगतान किया गया था. कॉमरेड उर्मिला, अध्यक्ष, ऑल इंडिया जनरल कामगार यूनियन, जे.एन.यू. यूनिट (सम्बद्ध ऐक्टू) ने जुलूस को संबोधित करते हुए कहा कि बोनस मजदूर का अधिकार है और हर बार जे.एन.यू. प्रशासन और कंपनी की मिलीभगत से ये मजदूर तक नहीं पहुँच पता है. इस बार प्रशासन को हर हालत में बोनस देना होगा नहीं तो लड़ाई और तीखी होगी.
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