हिमाचल प्रदेश के बिजली बोर्ड और पशुपालन विभाग में डेलीवेजर वर्कर को लम्बे संघर्ष के बाद जीत मिली है. पिछले 8-10 वर्षो से काम करने वाले याचिकाकर्ता कर्मचारियों को प्रदेश डेलीवेजर वर्कर को स्थाई करने का आदेश दिया है. जानकारी के अनुसार यह आदेश ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष बीके शर्मा ने मंडी सर्किट के दौरान एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिए हैं, साथ ही 3 माह के अंदर इस आदेश का पालन कर अन्य सभी लाभ देने का आदेश जारी किये गए हैं.
डेलीवेजर वर्कर को स्थाई करने का आदेश
अमर उजाला के खबर के अनुसार बिशनदास पशुपालन विभाग और नरैण सिंह बिजली बोर्ड में डेली वेजर के रूप में पिछले 8-10 वर्ष के काम कर रहे थे मगर विभाग ने इतना पुराना वर्कर होने के वावजूद सेवा स्थाई नहीं की थी. जिसके कारण इनलोगों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी.
जिसके बाद माननीय ट्रिब्यूनल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश 8-10 वर्ष के सेवा पूरी करने के बाद डेलीवेजर वर्कर को स्थाई करने का आदेश दिया. इस फैसले को लागु करने के लिए 3 महीने का समय दिया गया है.
अब आपके मन में बहुत से सवाल होंगे कि क्या वहां काम करने वाले सारे कमर्चारी पक्के यानि स्थाई हो जायेंगे? हमारा जबाब होगा नहीं. ऊपर हमने स्पष्ट लिखा है कि कोर्ट ने यह आर्डर याचिकाकर्ता कर्मचारी के लिए दिया है. इसके आलावा भी अगर कोई कर्मचारी अगर 8-10 वर्ष से काम कर रहा होगा तो इनके रेफेरेंस लगा कर वह कोर्ट से अपील कर सकता है.
आपका शायद दूसरा सवाल होगा कि वह सुप्रीम कोर्ट का कौन सा आदेश है, जिसके तहत इस केस में याचिकाकर्ता को स्थाई करने का आदेश दिया. इसके बारे में हम इतना ही कहेंगे कि इस केस का आर्डर का कॉपी हमें अभी तक मिला नहीं है. जैसे ही मिलेगा, वैसे ही वर्कर वॉयस के कोर्ट आर्डर वाले पेज पर उपलब्ध करवायेंगे.
ऐसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला है. जिसके तहत 240 दिन से अधिक काम करने वाले ठेका वर्कर भी अपनी नौकरी पक्की करने की मांग कर सकता है, अगर कॉन्ट्रैक्ट झूठा फर्जी हो.