नई दिल्ली: कंधे पर गमछा लिए यह व्यक्ति आस मोहम्मद उर्फ़ नन्दू है. जिसकी उम्र लगभग 40 से 42 वर्ष के आसपास होगी. पेशे से ड्राइवर और पिछले करीब 20 साल से बिहार से आकर दिल्ली में रहता है. यह अपने परिवार का एकलौता पोषक है. यह वही शख्स है, जो कि जोवाइंट एक्शन कमेटी एगेंस्ट कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम के 11-17 जुलाई 2016 के प्रचार अभियान का गाड़ी चलाया और एक पैर में रोड लगे होने के बाबजूद बढ़-चढ़ कर पर्चे भी बांटे. मगर दिल्ली पुलिस के थप्पड़ से गरीब अपाहिज नंदू ड्राइवर बहरा हो गया.
दिल्ली पुलिस के थप्पड़ से गरीब ड्राइवर बहरा
जब नन्दू ने 17 जुलाई को मौसम खराब होने से प्रचार का कार्यक्रम रद्द होने के बाद पुरानी दिल्ली के दरियागंज थाने क्षेत्र में स्टैंड पर गाड़ी लेकर लगाया ही था. उसी समय गाड़ी लगाने के कारण 3 लोगों के साथ विवाद हो गया. जिसमे से किसी एक शख्स ने 100 पर पैसा चोरी का इल्जाम लगाकर फोन कर दिया. पीसीआर वैन नन्दू को दरियागंज थाने ले गई.
जहाँ शिकायतकर्ता ने अपना वयान बदल दिया कि पैसे नही मोबाईल चुराये हैं. इसके बाद एसएचओ साहब ने गुस्से में नन्दू को अपने केबिन में बुला लिया. नन्दू पैर में प्रॉब्लम के कारण सीधा खड़ा नही हो पाता है, इसलिए दीवाल से टेक लगाकर खड़ा हो गया. इसपर एसएचओ साहब ने गुस्से में कहा कि सीधा खड़ा हो जाए. जब उसने अपने पैर में रॉड लगे होनी की बात बता ही रहा था कि एसएचओ के साथ खड़ा सिपाही में नन्दू के वाये कान पर जोड़ का थप्पड़ मारा.
जिसके कारण आधा घन्टे तक वह वही बैठ गया. उसके बाद से उसको वाये कान से सुनाई नही दे रहा है. इसके बाद जब नन्दू को आनन फानन में थाने से भगा दिया गया. जब नन्दू को एक कान से सुनाई न देने लगा और तेज दर्द बर्दास्त नही हुआ तो अस्पताल गया. जहाँ डॉक्टर ने जांच में पाया कि उस कान का पर्दा फट गया है. अभी उसका ईलाज जारी है. आज नन्दू सीटू के ऑफिस बीटीआर भवन आया था और यह सारी घटना बताई. हमने तुरंत ही आवेदन लिखकर सम्बंधित सिपाही पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भेज दिया.
अब इस गरीब आदमी को न्याय मिलता है या नही यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन नन्दू में कहा है कि अब पीछे नही हटूँगा और उसको सबक सीखा कर ही छोड़ूंगा. ताकि ऐसे किसी घटना की पूर्णवृति न हो और कोई पुलिस वाला कानून अपने हाथ में न ले. आखिर पुलिस वाले गरीब और मजदूर पर ही अपना रौब क्यों दिखाती है? क्या कानून ने किसी वर्दी वाले को किसी गरीब आरोपी को सजा स्वरूप अपंग बनाने का अधिकार दे दिया हैं?