बिहार के शिवहर जिला से रोजीरोटी के लिए दिल्ली आये हुए लाल मोहम्मद उर्फ नन्दू इस मंहगाई में अपने परिवार को पालने के लिए कमाने आये थे, मगर दिल्ली पुलिस के अधिकारी की दरिंदगी के कारण अपना बायां कान गंवा बैठे.
पुलिस की दरिंदगी का शिकार नंदू
लाल मोहम्मद उर्फ नन्दू जो कि पेशे से डाईवर है. पिछले 20 साल से गाड़ी चलाकर अपने परिवार का भरणपोषण करता है. किसी पुरानी रंजिश से दिनांक 17.07.2016 को शाम 6 बजे उपरोक्त टेम्पू स्टेंड में पप्पू, दिलशाद एवं मो. शान मिलकर लाल मोहम्मद उर्फ नन्दू पकड़कर बिना कुछ बोले पिटने लगा.
पैसा चोरी को ईल्जाम लगाकर मो. शान ने 100 पर फोन किया. 100 पर फोन करने के बाद थोड़ी देर बाद पीसीआर वैन आयी और लाल मोहम्मद उर्फ नन्दूे दयियागंज थाने पकड़कर ले गयी. उपरोक्त मो. शान ने 100 पर काॅल करके पैसा चुराने की बात कही थी, जबकी थाना पहुॅंचकर मोबाईल चोरी करने की ईल्जाम लगाया.
थाने पहुॅ़चने के बाद यह कि थाने पहुॅ़चने के बाद लाल मोहम्मद उर्फ नन्दू को एसएचओ के कमरे में ले जाया गया. नन्दू अपाहिज है और उनके पैर मे रोड लगा हुआ है. वे बिना कुछ सहारे के ज्यादा देर खड़ा नही हो पाता है. इसीलिए नन्दू दीवार से टेक लगाकर खड़ा हो गया. जिसके कारण एसएचओ साहब ने गुस्सा करते हुए बोला कि सीधा तरह से खड़ा हो जा. जब नन्दू अपने पैर के बारे में बताया तभी उनके साथ खडे़ सिपाही ने जोर से एक तप्पड़ वायें कान पर मारा.
तप्पड लगने के बाद आधा धंटा तक नन्दू कुछ दिखाई नहीं दिया और एक कान से सुनाई देना बंद हो गया. इसके बाद नन्दू को थाना से बिना कुछ बोले भगा दिया गया. बहुत दर्द व कान से न सुनाई देने के कारण दिनांक 18.07.2016 को लोक नायक अस्पताल, दिल्ली में ईलाज के लिए गया.
जहाॅ़ डाक्टर ने कहा कि चोट लगने से कान का पर्दा फट गया है. तुरंत ही नन्दू ने दिनांक 19.07.2016 को स्पीड पोस्ट एवं दिनांक 22.07.2016 को अपनी शिकायत डीसीपी, दरियागंज सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट, नई दिल्ली को हाथों हाथ रिसीव कराया. जिसके बाद दिनांक को इस घटना की जांच पुलिस विजिलेंस, जामा मस्जिद को सौंपा गया.
मगर विजिलेंस के अधिकारी ने बताया कि इस घटना मे लोकनायक अस्पताल की डाक्टर अनुरागनी गुप्ता Senior Resident, Department of ENT MAMC & LNH, DMC- 55968 ने लापरवाही बरतते हुए नन्दू के ईलाज करते समय नियम कि अनुसार न तो एमएलसी (मेडिको लिगल केस) करवाया और न ही यह किस कारण से कान का पर्दा फट गया है. जिसके कारण उपरोक्त आरोपी पर दोष तय करने में परेशानी हो रही है.
उक्त सरकारी पुलिस अधिकारी के कानून के हाथ में लेने और दूसरे जिम्मेवार डाक्टर के लापरवाही बरतने के कारण एक आम आदमी पिछले कई महीनों से उनके दफ्तरों के चक्कर काट रहा है. मगर न्याय मिल पाना मुश्किल ही लग रहा है. नन्दू का कहना है कि मैं गरीब और अनपढ़ हुँ. मगर अपने इंसाफ की लड़ाई लड़ रहा हूं और न्याय पाने तक लड़ता रहुॅगा.
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