नई दिल्ली: आज पूर्व से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आईआरसीटीसी एम्प्लाइज यूनियन (IRCTC Workers) की मीटिंग बीटीआर भवन में हुई. आईआरसीटीसी भारत सरकार के रेल मंत्रालय का उधम है. आईआरसीटीसी के आईटी सेंटर, नई दिल्ली के वर्करों ने जब अपने हक की मांग की तो उनको गैर कानूनी तरीकों से नौकरी से निकाल दिया गया. जिसके खिलाफ वर्कर पिछले कई वर्षों से संघर्षरत हैं. पिछले 4 सालों के मेहनत और लगन का नतीजा आने का समय करीब ही है. ऐसे समय पर एक बार फिर से वर्कर एक्टिव होना शुरू कर दिये है.
IRCTC Workers का पक्ष रखने में
जिससे आने वाले समय मे आईआरसीटीसी प्रबंधन के उनलोगों की धड़कने तेज हो सकती है. जिनका भाग्य का फैसला भी कोर्ट में बंद है. आपलोगों को जानकर हैरानी होगी की नौकरी के लिए लोगों को क्या-क्या सहना पड़ता है. जिसमें सबसे चौकाने वाला आईआरसीटीसी प्रबंधकों का तालिबानी फरमान “सुबह 10 से 12 बजे महिलाकर्मियों को बाथरूम पर रोक” था. जिसका विरोध करने पर नौकरी तक गंवाना पड़ा. मगर कार्यस्थल पर महिला उत्पीड़न के तहत आईआरसीटीसी के कुछ असामाजिक अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल कोर्ट में मामला विचाराधीन है.
इस लड़ाई की शुरुआत “समान काम का समान वेतन” की मांग और सुरजीत श्यामल के नौकरी से बर्खास्तगी से शुरू हुई थी. जिसके उपरांत उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में पूरे देश के ठेका वर्कर के लिए 47 वर्ष पूर्व बने ठेका कानून 1970 के प्रावधान “समान काम का समान वेतन” को लागू करने की मांग के लिए जनहित याचिका दायर किया. जिसका लम्बे संघर्ष के बाद आगामी 12 अप्रैल 2017 से बहस शुरू होने वाला है. उन्होंने बताया कि हम बहस के लिए पूर्ण रूप से तैयार है और जीत भी हमारी ही होगी.
आने वाले दोनों में आईआरसीटीसी वर्क़रों के पर्मानेंसी और आईडीएक्ट के अंतर्गत 33ए का केस भी अंतिम पड़ाव पर है. कोर्ट में हर केस में हमने वर्करों का पक्ष रखने में कोई कसर नही छोड़ी है. हम देश के कानून व्यवस्था में विस्वास है और फैसला हमारे पक्ष में आयेगा, मगर अंतिम निर्णय न्यायाधीश के हाथ मे है.
आगे उन्होंने बताया कि जुड़ना बहुत आसान होता हैं मगर जुड़े रहना बहुत ही मुश्किल. सरकार और सिस्टम से लड़ाई आसान नही होता कुछ लोग टूट जाते हैं और कुछ रिकॉर्ड तोड़ देते हैं .अब देखना है कि हमारे लड़ाकू साथियों में से कौन कौन रिकॉर्ड तोड़ने वाले में शामिल होता है. इस लड़ाई में हम किसी का अंत तक साथ नही छोड़ेंगे.
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