नई दिल्ली : देशभर के प्रिंट मीडिया संस्थानों द्वारा जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों लागू नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर देशभर के पत्रकारों व गैर पत्रकारों की ओर से दायर अवमानना याचिकाओं पर बुधवार, 3 मई 2017 को सुनवाई पूरी हो गई. दोनों पक्षों मीडिया संस्थानों और पत्रकार-गैर पत्रकारों की तरफ से बहस सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
मजीठिया: अखबार मालिकों के खिलाफ अवमानना सुनवाई
बुधवार को भी पत्रकारों-गैर पत्रकारों के व़कील कॉलिन, परमानंद पाण्डे, उमेश शर्मा ने जोरदार पैरवी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मीडिया संस्थान अपने कर्मचारियों को वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुरुप एरियर व वेतनमान नहीं दे रहे हैं. बल्कि वेजबोर्ड की मांग करने वाले कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्हें बर्खास्त करके या तबादला करके प्रताड़ित किया जा रहा है.
इस संबंध में कोर्ट के समक्ष कर्मचारियों के हलफनामे व कंपनी की बैलेंसशीट भी पेश की गई. साथ ही वकीलों ने ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने वाले मीडिया संस्थानों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने, जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को मीडिया संस्थानों में लागू करवाने और प्रताड़ित किए गए कर्मचारियों को रिलीफ दिलवाने की गुहार की.
मीडिया संस्थानों के वकीलों ने भी 20जे की आड़ लेते हुए कोर्ट से कहा कि कर्मचारी अपनी स्वेच्छा से बेजबोर्ड नहीं लेने की लिखकर दे रहे हैं. मीडिया संस्थानों ने कोई अवमानना नहीं की है और ना ही कर्मचारियों पर दबाव व प्रताड़ना की गई है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जस्टिस रंजन गोगई की दो जजों की खंडपीठ ने अवमानना याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
यह है मामला सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी, 2014 को मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरुप पत्रकारों व गैर पत्रकार कर्मियों को वेतनमान, एरियर समेत अन्य वेतन परिलाभ देने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुरुप नवम्बर 2011 से एरियर और अन्य वेतन परिलाभ देने के आदेश दिए हैं, लेकिन इस आदेश की पालना मीडिया संस्थानों नहीं की.
देश के नामी गिरामी अखबार समूह राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान टाइम्स, पंजाब केसरी जैसे अखबारों में वेजबोर्ड लागू नहीं किया गया और नवभारत टाइम्स, अमर उजाला आदि में लागू किया गया भी तो आधा अधूरा. मीडिया संस्थानों ने वेजबोर्ड देने से बचने के लिए मीडियाकर्मियों से जबरन हस्ताक्षर करवा लिए कि उन्हें मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतन परिलाभ नहीं चाहिए.
जिन कर्मचारियों ने इनकी बात नहीं मानी, उन्हें स्थानांतरण करके प्रताड़ित किया जा रहा है और बहुत बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया. जिसमें दैनिक जागरण द्वारा गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर 2015 को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर दिल्ली, नोएडा, हिसार, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लगभग 350 कर्मियों भी शामिल हैं.
मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू करवाने में विभिन्न राज्यों के श्रम विभागों की कोताही ही भी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आई. वेजबोर्ड लागू नहीं करने पर पत्रकारों व गैर पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिकाएं दायर की. देश भर से सभी बड़े अखबारों के खिलाफ अवमानना याचिकाएं लगी हुई हैं.
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