नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2014 के चुनाव प्रचार में मंहगाई और बेरोजगारी के मुद्दे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल एक करोड़ नौकरियां देने का एलान किया था, लेकिन तीन साल बाद भी ऐसा होता नहीं दिख रहा है. मोदी सरकार का पीपीपी मॉडल के तहत कर्मचारियों की नौकरियां खत्म कर रही है.
मोदी सरकार का पीपीपी, रेलवे कर्मचारियों की छंटनी
अभी हाल ही में आईटी सेक्टर में 10 लाख कर्मचारियों के छटनी के खबर के बाद अब ताजा मामला रेलवे का है. मोदी सरकार का पीपीपी के तहत रेल मंत्रालय ने 17 रेल मंडलों से करीब 11 हजार पदों को खत्म करने का निर्देश जारी किया है. रेलवे में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या लगभग 15 लाख है और इनमें से ही छंटनी होनी है. जिससे कर्मचारियों में खलबली मचना लाजमी है.
रेलवे बोर्ड ने रेल अफसरों को कम कार्यबल में ही रेल संचालन करने को कहा है. इस लिहाज से दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे जोन को 400 पद समाप्त करने के लिए कहा गया है जबकि सेंट्रल और ईस्टर्न रेलवे को 1-1 हजार पद, ईस्ट कोस्ट रेलवे को 700, नॉर्दन रेलवे को 1500, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे को 150, नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे को 700, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे को 300, ईस्ट सेंट्रल रेलवे को 300, नॉर्थ ईस्टफ्रंटियर रेलवे को 550 पद खत्म करने को कहा गया है। इसी तरह सदर्न रेलवे को 1500, साउथ सेंट्रल रेलवे को 800, साउथ ईस्ट सेंट्रल और साउथ ईस्टर्न रेलवे को 400-400 पद, साउथ वेस्टर्न रेलवे को 200, वेस्टर्न रेलवे को 700 और वेस्ट सेंट्रल रेलवे को 300 पद खत्म करने को कहा गया है.
‘नई दुनिया’ अखबार के मुताबिक, 25 मई को केंद्रीय रेलवे बोर्ड के निदेशक (ई एंड आर) अमित सरन ने इस आशय का आदेश पत्र सभी जोन मुख्यालयों को भेजा है. इससे रेल कर्मचारियों में हड़कंप है. हालांकि रेलवे प्रशासन इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहा है. अधिकारियों के मुताबिक रेलवे हर साल एक फीसदी पद समाप्त करता है. हालांकि, मौजूदा आदेश पर अधिकारी सफाई दे रहे हैं कि समीक्षा के बाद यह तय किया जाएगा कि कौन से अनुपयोगी पद समाप्त किए जाएंगे. अधिकारी का यह भी दावा है कि ऐसे पद समाप्त करने से रेलवे का कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
अभी मौजूदा सरकार के रेल मंत्रालय 23 स्टेशनों को पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत निजी कंपनियों को सौंपने जा रही है. इसके लिए 28 जून को ऑनलाइन नीलामी का आयोजन कर 30 जून को कानपुर, इलाहाबाद जैसे 23 स्टेशनों को निजी हाथों में सौप दिया जायेगा.