राजस्थान राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के नौकरी पर गाज गिराने की तैयारी कर ली है. जानकारी के अनुसार “हायर एंड फायर” के तहत काम से जी चुराने वाले कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से सरकारी नौकरियों से बाहर निकालने की तैयारी कर रही है. ऐसे कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस देकर या तीन महीने का वेतन देकर घर बैठाया जाएगा.
कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस
अमर उजाला के खबर के अनुसार राजस्थान के मुख्य सचिव ओ.पी. मीणा ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। मुख्य सचिव ने कहा है कि जनहित के काम करने की उपयोगिता खो चुके वे अधिकारी व कर्मचारी, जो 15 वर्ष की नौकरी कर चुके हों या 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हों, उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी. ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस दिया जाएगा या फिर तीन महीने का वेतन व भत्ते देकर तुरंत प्रभाव से सेवानिवृत्ति दी जाएगी. इस आदेश के बाद राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच हलचल पैदा हो गई है.
ओ.पी. मीणा ने आदेश में सभी प्रशासनिक विभागों और विभाग के प्रमुखों को निर्देश दिए हैं कि संबंधित कर्मचारियों को तीन माह में अनिवार्य सेवा निवृत्ति की कार्यवाही कर सरकार को अवगत कराएं. मुख्य सचिव ने अपने आदेश में राजस्थान सिविल सेवाएं (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) का हवाला दिया है.
इस नियम के तहत 15 वर्ष की सेवा दे चुके या 50 वर्ष आयु पूरी कर चुके अधिकारी-कर्मचारियों को उनकी अकर्मण्यता, संदेहास्पद सत्यनिष्ठा, अक्षमता एवं अकार्यकुशलता या असंतोषजनक कार्य निष्पादन के कारण नोटिस जारी कर नौकरी से सेवानिवृत्ति दिलाई जा सकती है. इसके अलावा पेंशन नियम के अलावा अन्य नियमों का हवाला देते हुए आदेश में कहा है कि निर्धारित प्रक्रिया अपनाकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्यवाही की जा सकेगी.
ऐसे भी अब रेगुलर कर्मचारियों की संख्या बहुत ही कम बच गयी है. धीरे धीरे सभी विभागों को निजी हाथों में देने की तैयारी चल रही है. निजीकरण की राह में स्थाई कर्मचारी रूकावट है. सरकार डारा जिनको हटाने का समाधान भर है.
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