हम सभी लोगों ने बिग बाजार का नाम सूना होगा. बिग बाजार (Big Bazar) भारत की बड़े आकार के बाजारों (हाइपरमार्केट) की शृंखला है. भारत में इस समय इसके लगभग सैंकड़ो बाजार काम कर रहे हैं. यह फ्यूचर समूह के ‘पैन्टलून रिटेल इण्डिया लिमिटेड’ की सहायक संस्था है. यह संयुक्त राज्य अमेरिका के वाल मार्ट के व्यापार मॉडल पर चलायी जाती है. नोटबंदी से परेशान जनता को निजी क्षेत्र की रिटेल कंपनी बिग बाजार के काउंटर से दो हजार रुपए नकद उपलब्ध कराने की सुविधा के बाद खासा चर्चा में ला दिया था.
Big Bazar नाम बड़ा और काम छोटा
अब इस Big Bazar का दूसरा स्वरूप भी जान लें. शुभम प्रताप सिंह बिग बजार (फ्यूचर रिटेल लिमिटेड कम्पनी) गाजियाबाद में वर्षों से ऑपरेशन मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. ऑपरेशन मैनेजर का काम मॉल मार्केटिंग, सेल्स और सर्विस के प्रोफेशनल्स से संबंधित संस्थान के सभी विभागों से कोऑर्डिनेशन स्थापित करते हुए ग्राहक की जरूरतों के हिसाब से उनका मार्गदर्शन करना. इसके कारण कई बार अन्य विभागों की सेवा कि खमियों को या ग्राहक की शिकायत को आगे भेजना इनकी जिम्मेवारी में शामिल था. जिसके कारण कई अधिकारियों के आँखों में शुभम खटकने लगे.
ऐसे तो शुभम कहने को मैनेजर थे, मगर वह किसी भी कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं कर सकते थे. दूसरे शब्दों में कह सकते है कि बस नाम के मैनेजर थे. मगर सैलरी लगभग 32 हजार थी. मगर मैनेजर होते हुए भी इनका कर्मचारियों के तरह बिग बाजार के प्रबंधकों द्वारा प्रताड़ना का सिलसिला शुरू हो गया.
जब शुभम ने ईमेल के जरिये अपनी व्यथा शेयर किया तो फ़ोन करने से खुद को रोक न सका. शुभम ने बताया कि वो लक्ष्मी नगर में रहते है. उनका एक छोटा बच्चा है जो कि काफी बीमार चल रहा है. जिसके कारण उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को अपने बच्चे के मेडिकल कंडीशन का हवाला देते हुए घर के पास ट्रांसफर कि मांग कि थी. मगर पहले से ताक लगाए अधिकारियों को अपने मन कि मुराद मिल गयी. प्रबंधकों को अपने प्रभाव में लेकर शुभम का ट्रांसफर बिग बाजार, गाजियाबाद से सीधे स्पेस ऐज मॉल, सोहना रोड में कर दिया.
शुभम ने बताया कि जब इस संबंध में प्रबंध को अपने बच्चे के बीमारी का हवाला दिया तो उन्होंने सीधा कहा कि अगर नौकरी करनी है तो जाना पड़ेगा. बाकि लोग भी काम कर रहे है कि नहीं. जिसके बाद जब रिक्वेस्ट से बात न बनी तो उन अधिकारियों कि शिकायत कर दी.
जिसके बाद तो जैसे शुभम ने जल में रह कर मगर से बैर ले लिया. इसके दूसरे ही दिन बिग बाजार ने गार्ड को बोल कर इंट्री रोक दी गई. जिसके बाद कोई चारा न चलता देख सहायता के लिए शुभम ने पुलिस बुला ली. पुलिस ने भी अंदर का मैटर बता कर कोई मदद नहीं की.
इसके बाद शुभम को ट्रांसफर किये जगह पर जाना पड़ा. इस दौरान उनके ऊपर प्रबंधन का दबाब काफी बढ़ गया ताकि नौकरी छोड़ कर चला जाये. इस सन्दर्भ में शुभम ने लेबर कमिश्नर से भी गुहार लगाई. मगर कोई रहत नहीं मिला. इस दौरान के शुभम को 2 बार कारण बताओ नोटिस दिया गया. जिसका उत्तर उन्होंने दे दिया. इसी दौरान कई बार बच्चे के बीमारी के वजह से छुट्टी लेनी होती थी.
शुभम बताते है कि कई बार तो ऐसा होता था कि मै बच्चे के साथ हॉस्पिटल में रहता था और उसी समय ये पता चलता था कि मेरे नाम का कारण बताओ नोटिस इशू हुआ है. जिससे मानसिक दबाब में आ जाता था. एक तरफ परिवार कि जिम्मेवारी, दूसरी तरफ बिग बाजार प्रबंधको का इस तरह का रवैया.
उन्होंने आगे बताया कि मुझे (शुभम) मेरी कम्पनी के कुछ अधिकारी अखिलेन्द्र सिंह एरिया एचआर और नरेंद्र बरिवाल एरिया मैनेजर और अमित बंसल डिप्टी जनरल मैनेजर एचआर ने बहुत परेशान और धमका रहें हैं कि अब मैंने इनकी कोई भी और शिकायत की तो मुझे निकाल देंगे. यही नहीं 02.06.2017 को एक व्यक्ति को भेजकर मुझे धमकाया और जान से मारने की धमकी दी की दुबारा अगर कोई शिकायत की तो घर नहीं जा पायेगा.
जिसकी शिकायत भी मैंने कंपनी के मालिक और उच्च अधिकारियो से की, परन्तु मुझे वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला. इसीलिए मैंने पास के पुलिस स्टेशन में सुभाष चौक पुलिस कम्प्लेन भी की थी कि मुझे मेरे कम्पनी के अधिकारियो ने धमकी दिलाई है. अगर इस दौरान मेरे साथ कुछ भी होनी या अनहोनी होती है तो ये लोग इसके जिम्मेदार होंगे.
आखिर जब इतना कुछ झेलने के बाद भी शुभम नहीं टूटे तो दिनांक 07-06-2017 को बिना कोई नोटिस उनकी सेवा समाप्त कर दी गई. न कोई चार्जशीट न कोई वार्निंग बस एक बार ही में फायर कर दिया . यह भी नहीं सोचा कि बच्चे कि बीमारी से परेशान है और तो और कई साल से कम्पनी के लिए काम कर रहा था. यह जानकर और ताजुब होगा कि शुभम बिग बाजार का स्थायी कर्मचारी थे. उनकी गलती इतनी थी कि उन्होंने अपना काम लगन और ईमानदारी से की थी.
शुभम बताते हुए भावुक हो जाते है कि “मेरी मानसिक हालत पिछले 3 महीने से इस नाइंसाफ़ी से लड़ते हुए ऐसी हो गयी है कि कई बार बिना दवा खाये नींद नहीं आती है. मेरे 6 साल का बेटा जब अपने साथ खेलने को कहता है तो उसपर चिल्ला पड़ता हूँ और उसे अपने आप से दूर कर देता हूँ. यही नहीं जब मेरी बीवी बात करने या मुझसे खाने के लिए पूछती है तो उसपे चिल्लाने लग जाता हूँ. किसी से भी बात करने या कही भी जाने का मन नहीं करता. मैं ये नाइंसाफी मानसिक प्रताड़ना और धमकियां और नही झेल सकता हूँ”.
उनसे बात करके हम दोनों का काफी अच्छा लगा और उन्होंने वादा किया कि आगे वो इस शोसन के खिलाफ लड़ेंगे मगर अपनी जिंदगी को इंजॉय करते हुए.