अभी तक पूरा देश जीएसटी की मार झेल ही रहा है. जिसका सबसे ज्यादा असर आम जनता पर पड़ी है. टेक्स की दर 15% से 18-28% पर पहुंच चूका है. एक बार फिर से वित् मंत्री का दावा खोखला साबित हुआ. जीएसटी सम्मेलन’ में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया कि जीएसटी के बाद महंगाई नहीं बढ़ेगी और इसके जरिए लोगों को आसान टैक्स व्यवस्था का फायदा मिलेगा. मगर ठीक इसका उल्टा हो रहा है. इधर अर्धसैनिक बलों का 1700 कैंटीन बंद होने के कगार पर है. जिसके बाद आंदोलन की चेतावनी दी गई है.
अर्धसैनिक बलों का 1700 कैंटीन बंद होने के कगार पर
उससे भी बड़ी एक बात अब सामने आ रही है कि देश के अर्धसैनिक बलों के जवान और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली 1,700 कैंटीन के समक्ष जीएसटी की वजह से संकट खड़ा हो गया है. अगर इन कैंटीनों को यदि रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट (सीएसडी) की तरह जीएसटी से छूट नहीं दी गयी तो ये अर्धसैनिक बलों का 1700 कैंटीन जल्द बंद हो सकतीं है.
आजतक के खबर के अनुसार देश भर में सेंट्रल पुलिस कैंटीन (सीपीसी) नाम से अर्धसैनिक बलों के लिये कैंटीन चलाने में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किराना, रसोई घर में उपयोग होने वाली दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं और अन्य विविध सामानों का भंडार अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया हैं. इसका कारण माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद इन कैंटीनों के परिचालन में कोई स्पष्टता नहीं होना हैं. अधिकारी ने कहा, भंडार काफी कम हो गया है. सरकार को इन सब्सिडी युक्त कैंटीनों को चलाने के लिये छूट की जरूरत के बारे में बार-बार आवेदन दिये गये लेकिन इस संदर्भ में अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, कई सीपीसी में माल काफी कम बचा है क्योंकि कोई नई खरीद नहीं हो रही. रक्षा विभाग के कैंटीनों की तरह अगर छूट नहीं दी गयी तो सब्सिडीयुक्त कर की दरों पर अर्द्धसैनिक बलों के लिये चलने वाले सीपीसी बंद हो जाएंगे. इस समूचे घटनाक्रम से प्रभावित रिटायर्ड केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के संगठनों ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किये जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है.
संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मामले में व्यक्तिगत तौर पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उनके प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन संगठनों ने कहा है कि सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और सशस्त्र सीमा बल के लाखों जवानों और उनके परिवारों के समक्ष आये रसोई बजट संकट का समाधान किया जाना चाहिये.
खैर सेवा का नाम पर देश की कुर्सी पर बैठे एमपी एम्एलए कि सुविधायें तो काम करने की जगह बढ़ाई ही गयी मगर देश पर जान देने वालों के हकों पर डाका क्यों? अब ऐसे में सैनिक सीमा पर लड़ेगा या थैला उठाकर राशन की मांग के लिए आम आदमी की तरह जंतरमंतर पर संघर्ष करेगा?
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