भारत सरकार की एक मिनी-रत्न संस्थान इन्डियन रेलवे कैटरिंग एण्ड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड (IRCTC) की स्थापना भारतीय रेल द्वारा वर्ष 2002 में खानपान एवं पर्यटन से संबंधित कार्यों के लिए की गई. इसके पर्यटन से संबंधित कार्यों में एक महत्वपूर्ण कार्य ई-टिकटिंग है. आई.आर.सी.टी.सी. के लगभग हर विभाग में स्थाई कर्मचारियों के साथ ठेका कर्मचारियों पिछले कई वर्षों से काम कर रहे है. सन 2014 में आरटीआई के जबाब के अनुसार आईआरसीटीसी में पुरे देश में स्थाई कर्मचारियों के साथ ठेका कर्मचारियों को मिलाकर लगभग 4000 कर्मचारी कार्यरत थे.
IRCTC ने 2000 कर्मचारियों की छंटनी की
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा हो सकता है. जी हाँ ऐसा ही हुआ है. अब इसका दूसरा पहलु देखने कि कोशिस करते है कि काम अब दोगुना बढ़ गया है तो आईआरसीटीसी आधे से काम कर्मचारी में कैसे काम मैनेज कर रहा है. अब आईआरसीटीसी ३ कमर्चारियों का काम 1 कर्मचारी से लिया जा रहा है. बात-बात पर सो-कॉज का धमकी देकर स्थाई कमर्चारियों को भी प्रताड़ित किया जा रहा है.
रेलवे से ट्रेन मिलते ही आईआरसीटीसी ने लाइसेंसी ठेकदार के नाम पर खान- पान का जिम्मा उसी ठेकेदारों को फिर से सौप दिया, जिनके पास रेलवे के समय में था. उसने अपने नए कर्मचारियों को रख लिया. जो कि मात्र 5 से 7 हजार में काम करने को तैयार है. जबकि पहले उसी काम के लिए 12-15 हजार रूपये महीना दिया जाता था. इस तरह से नए युग की शुरुआत हो चुकी है. अब आगे आगे देखिये होता क्या है.
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