पिछले साल जनवरी 2015 में IRCTC के 92 कर्मचारियों को टेंडर बदलने का बहाना करके नौकरी से निकाल दिया गया. वो भी तब जब उन सभी कर्मचारियों का परमानेंसी का केस लेबर कोर्ट करकरदुम्मा में विचाराधीन था. अभी हाल ही में कोर्ट में सुनवाई के दौरान JMD ठेकेदार ने IRCTC को झटका दे दिया है. जीएमडी के वकील ने एप्लीकेशन लगाकर खुद को केस से अलग करने की मांग की है.
JMD ठेकेदार ने IRCTC को झटका दिया
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि जब JMD/आईआरसीटी के तरफ से कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए नोटिस मिला. वैसे ही यूनियन के तरफ से कर्मचारी नेताओं ने कोर्ट में इक्छुक कुल 40 यूनियन सदस्य की नौकरी बचाने के लिए आईडी एक्ट के 33ए के तहत स्टे का अपील एप्लीकेशन लगाया. जिसमें लेबर कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से मना कऱ दिया.
यही बल्कि स्टे के लिए आनन फानन में दिल्ली हाईकोर्ट भी गये. मगर लेबर कोर्ट द्वारा आर्डर की कॉपी समय पर नही मिल पाया. जिससे उस आर्डर को चुनौती देना सम्भव नही हो पाया. तब तक सभी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा चुका था. जिसके वाबजूद भी सभी कर्मचारी लगभग ढाई महीने तक आईटी सेंटर के बहार गेट पर उक्त सभी वर्कर डटे रहे, मगर किसी ने सुनवाई नहीं की.
उक्त वर्करों का 33ए के तहत शिकायत अभी भी लेबर कोर्ट करकरदुमा में विचाराधीन है. इस केस में केवल यह साबित करना है कि उक्त 40 वर्करों को जब नौकरी से निकाला गया तो उन सभी का केस लेबर कोर्ट में विचाराधीन था. जिसके बाद उक्त कानून के तहत मैनेजमेंट पर क़ानूनी करवाई करते हुए फुल बैक वेजेज और नौकरी की वहाली की मांग की गई है.
इसी दौरान एक वाकया हो गया. हमारी यूनियन के द्वारा सरकार से आईआरसीटीसी और उसके ठेकेदार जेएमडी द्वारा कानून के उलंघन की शिकायत लगातार की जा रही थी. जिसके कारण हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े यूनिट का निरक्षण लेबर इंस्पेक्टर के द्वारा कराया गया. जिसके फलस्वरुप श्रम मंत्रालय के भारी दबाब के कारण जेएमडी का ठेका समाप्त कऱ दिया गया. जिसके फलस्वरुप जेएमडी ठेकेदार की रोटी पानी आईआरसीटीसी से समाप्त हो गई.
अभी इसी महीने कोर्ट में सुनवाई के दिन जेएमडी के वकील ने कोर्ट में एप्लीकेशन लगाया कि हमारा ठेका आईआरसीटीसी से समाप्त हो गया है. इसलिए हमारा नाम इस केस के पार्टी से हटा दिया जाए. आगे उसने यह भी लिखा है कि इस वर्करों से हमारा कोई लेना देना नही है.जेएमडी ने यह कहकर अपना पल्ला झारने की कोसिस की है कि कल को कही उसको फूल बैक वेजेज और जेल जाने का नौवत न आ जाये. मगर इससे क्या वह बच जायेगा?
ऐसा लगता हो मानो जेएमडी के मालिक ने बिना पढ़ा लिखा वकील हायर कर लिया है. वह भूल रहा है कि उसने अपने मालिक (आईआरसीटीसी) को बचाने के लिए उसका सारा गुनाह को अपने सर लिखित में कोर्ट में दिया है. उसने इससे पहले जेएमडी ने आईआरसीटीसी के कहने पर कोर्ट में लिख कर दिया है कि सभी उनके वर्कर हैं और इनका आईआरसीटीसी से कोई लेना देना नही है. जबकि यह सरासर झूठ और भ्रामक है. सभी वर्कर पिछले 8-10 वर्षो से कार्यरत थे जबकि रिकॉर्ड के अनुसार जेएमडी सन् अप्रैल 2014 में आया था. फिर बिना इंटरव्यू दिए उसका वर्कर कैसे हो गया?
खैर, जेएमडी ने अब जाकर कोर्ट में सच कबूल कर लिया है कि सभी वर्कर उसके नही थे. इसका मतलब सभी वर्कर आईआरसीटीसी के थे. यही तो हम चाहते थे. एक तरह से ठेकेदार से ऐसा काबुल कर जीत आसान कर दिया है. हमारा भी यही कहना है. देर आये दुरुस्त आये.
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