अभी-अभी BHU के छात्र-छात्रों ने अपने 4 दिन पूर्व एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना के विरुद्ध आंदोलन के बारे में आम-आवाम के सामने 3 पेज के लेटर के माध्यम से 10 पॉइंट रखे हैं. जिसको जानना सबके लिए बेहद जरुरी है. पहले पॉइंट में उन्होंने कॉलेज कैम्पस में छात्र-छात्राओं की विशेषकर छात्राओं की सुरक्षा की मांग की है.
BHU आंदोलन का सही संदेश
इसके बाद BHU में उनके शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन पर बर्बरतापूर्ण अमानवीय लाठीचार्ज की भर्त्सना की है. उनलोगों ने इस पत्र को अपने शोसल मिडिया में पोस्ट किया है. साथी ही हमें भी भेजा है. वो लोग चाहते है कि सभी लोग उनके आंदोलन के मकसद से अवगत हों. इस पत्र में उनलोगों ने कुलपति साहब को निशाने पर लेते हुए उनके द्वारा जबरन हॉस्टल खाली करवाए जाने की भी भर्त्सना की है.
आगे उन्होंने लिखा है कि हमारा आंदोलन पूरी तरह स्वतः स्फूर्त व् कॉलेज कैंपस के सुरक्षा पर केंद्रित है. हमारा उन तीन लोगो को सजा दिलाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि हम केवल कुलपति जिन्होंने हमारी बात सुनना जरुरी नहीं समझा, बर्बर पुलिस जिसने हम पर वार किया के ही विरुद्ध खड़े नहीं है बल्कि महतार उद्देश्य पुरुषवादी मानसिकता से संघर्ष है.
उन्होंने सभी संस्थानों व् छात्र संगठनों द्वारा दिए गए समर्थन का स्वागत किया है. यधपि बाहरी समर्थन स्वीकार करते हुए भी बाहरी हस्तक्षेप को पूर्णतः नकार दिया है. आगे उन्होंने लिखा है कि बाहरी तत्वों द्वारा आंदोलन को हस्तगत करने के प्रयासों को भी नकारते हैं. ऐसा करना आंदोलन के जड़ खोदने के सामान है. आगे अपने 8वे पॉइंट में लिखा है कि हम सभी राजनितिक दलों, भूतपूर्व छात्र नेताओं व् अन्य तत्वों से किनारा करते है. जो हमें दर किनार कर आंदोलन की कमान अपने हाथ में लेना चाहते है.
जंतर-मंतर पर विरोध कर रहे अपने छात्र मित्रों से उन्होंने अनुरोध किया है कि हमारा उद्देश्य ‘‘आजादी’’ नहीं है.अतः उनसे निवेदन है कि ‘‘बी.एच.यू. मांगे आजादी’’ जैसे नारों का प्रयोग ना करें.
हमारा उद्देश्य ‘‘आजादी’’ नहीं बल्कि ‘‘स्वराज्य’’ है. ‘‘स्वराज्य’’ की हमारी परिभाषा गांधीजी की स्वराज्य की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें हाथ नियंत्रण का तत्व व अन-औपनिवेशीकरण की मांग सन्निहित है.
यह तीन पेज का पत्र हिंदी और अंग्रेजी में है. जिसको यहां जैसे का तैसा उपलोड किया गया है. ऐसे इस पत्र में किसी का न तो हस्ताक्षर है और न ही किसी खास को संबोधित ही किया गया है. जिस छात्रा ने हमें यह पत्र भेजा उनका कहना है कि लोगों के बीच हमारे आंदोलन का सही संदेश जाना चाहिए.