ठण्ड ने धीरे-धीरे दिल्ली को अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया है. अब फिर से सुबह के समय कुहरा भी आम बात है. लोगों ने धीरे-धीरे कम्बल और रजाई निकालना शुरू कर दिया है. अगर ऐसे मौसम में आपके सर से छत छीन जाये तो शायद आप यह सुनकर एक बार तो आप कांप ही जायेंगे. जी हां यही कुछ हुआ है दिल्ली के शादीपुर स्थिति कठपुतली कॉलोनी के हजारों लोगो के साथ. सरकार ने कठपुतली कॉलोनी पर बुलडोजर चला दिया है.
दिल्ली में पुलिस ने डीडीए की मदद से कठपुतली कॉलोनी की झुग्गियों को बिना किसी पूर्व नोटिस के तोड़ डाला गया है. देश के विभिन्न सत्रह राज्यों के 4 हजार कलाकार परिवार लगभग पिछले 60 वर्षो से कठपुतली कॉलोनी में रह रहे थें. उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कभी इस कदर अपने घर से ही रुक्सत होना भी पड़ेगा.
मगर उन्हें क्या पता कि दिल्ली से गरीबी हटाने का मुहीम चल रहा है. अमीरों की सुंदरता में पैबंद न लग जाये, इसलिए उनको उजाड़ दिया गया. बताया जाता है कि रेह्जा बिल्डर्स को इस जमीन पर दिल्ली की सबसे ऊंची ईमारत बनानी है. इसके लिए डीडीए के साथ उनका करार हुआ है. रहेजा के कहना है कि यह बिल्डिंग 190 मीटर ऊंची और 54 मंजिला होगी. इसमें 170 लग्जरी फ्लैट, एक स्काई क्लब और हेलीपेड बनाए जायेंगे. छह अक्टूबर 2009 में रहेजा और डीडीए के बीच हुए करार के मुताबिक प्रोजेक्ट में दो कमरे के 2641 फ्लैट, पार्क, ओपन एयर थियेटर, दो स्कूल जैसी सुविधाओं का वादा किया गया है.
देश के आजादी के बाद इंसानो ने सबसे बड़े विस्थापन को झेला था और बताया जाता है कि उसी समय भाटों के सात डेरे ने आकर दिल्ली की मौजूदा कठपुतली कॉलोनी में बस गए थे. अपनी पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए इनलोगों ने एक तालाब भी बना लिया. फिर धीरे-धीरे देशभर की कला से जुड़ी जातियां यहां आकर बसने लगी. तीन पीढ़ियों से रह रहे इस कठपुतली कॉलिनी पर अचानक फिर विस्थापन का दंश झेलना पड़ रहा है.
पहले कठपुतली कॉलोनी की गलियों में घुसते ही ढोल-नगाड़े, कठपुतलियां और न जाने क्या क्या करतब सुनाई और दिखाई पड़ते थे. मगर आज प्रशासन ने उन गलियों को मलबे में तब्दील कर दिया. आज हर तरफ चीख पुकार ही सुनाई दे रही है. इस कॉलोनी में रहने वाले निवासी ने प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया है कि जगह खाली करने के उनको कोई भी पूर्व सुचना नहीं दी गई. पुलिस ने घर के साथ सामान का नुकसान ही नहीं पहुंचाया बल्कि महिलाओं और बच्चो के ऊपर भी लाठी ही नहीं लात घूंसों से पिटाई की है. साथ ही उनको पकड़ कर थाने भी ले गए हैं.
इसका दूसरा पहलु भी है. काफी खोजबीन करने पर पता चला की इस परियोजना के मुताबिक बस्ती के लोग दो साल के लिए आनंद पर्वत (दिल्ली में पश्चिम उत्तर का एक इलाका) में बने ट्रांजिट कैम्प जाएंगे. दो साल के बाद उन्हें इसी जमीन पर अपना एक फ्लैट मिलेगा. इसके लिए इन्हें 1.12 लाख रुपये देने होंगे. साथ ही पांच साल रख-रखाव के लिए तीस हजार रुपये भी देने होंगे. इतना पैसा ये का अगर ये इंतजाम भी कर लें तो इसकी क्या गारंटी है कि इनको फ़्लैट मिल ही जायेगा? बाद में कही ये भी जुमला न साबित हो जाये.
खैर सरकार और प्रशासन का रवैया बहुत ही निर्दयतापूर्ण है. अगर इस जगह खाली ही करवाना था तो पहले नोटिस देकर और गर्मी के महीने में करवाया जा सकता था. मगर इस ठण्ड में किसी को घर से बेघर करना… ये साहिब ये ठीक नहीं..
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