नई दिल्ली: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने सरकारी अस्थायी कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) के बारे में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस फैसले में दिल्ली सरकार के नियमों को गलत ठहराया गया है. कैट ने साफ किया है कि वेस्ट पटेल नगर गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कार्यरत शिक्षिका अनुराधा आर्य को मातृत्व अवकाश देने से इन्कार करने का प्रिंसिपल का आदेश उचित नहीं है.
अस्थायी कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने अनुराधा के हक में फैसला देते हुए साफ किया है कि सेवा-नियुक्ति का आधार (स्थायी अथवा संविदा अथवा तदर्थ या अन्य) कर्मचारी के मौलिक अथवा मानवीय अधिकारों से भेदभाव का आधार नहीं किया जा सकता है. सरकारी अस्थायी कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश का पूरा हक़ है.
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अपने फैसले में कैट ने कहा है कि सरकारी संस्थानों में अस्थायी (तदर्थ अथवा अन्य) आधार पर सेवारत महिला कर्मचारियों को स्थायी अथवा नियमित महिला कर्मचारियों की तरह ही मातृत्व अवकाश का पूर्ण लाभ प्रदान किया जाना चाहिए. याची अनुराधा आर्य की 15 सितंबर 2014 को स्कूल में संस्कृत की टीजीटी गेस्ट शिक्षिका के रूप में नियुक्त हुई और अगले वर्ष 7 जुलाई 2015 को उनके अनुबंध का नवीनीकरण किया गया.
शिक्षिका का मातृत्व अवकाश
उन्होंने गर्भावस्था के दौरान प्रिंसिपल से मातृत्व अवकाश की मांग की. 21 अगस्त, 2015 को उन्होंने लिखित रूप से स्कूल को मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, लेकिन स्कूल प्रशासन ने लिखित में ही उनको मातृत्व अवकाश नहीं देने संबंधी पत्र दिया. उसके बाद इसके विरोध में उन्होंने कैट का दरवाजा खटखटाया.
याची की अपील पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि शिक्षिका का मातृत्व अवकाश उसका हक है. अत: स्कूल उसे वेतन दे और शिक्षिका पुन: जाकर स्कूल ज्वाइन करें. कैट ने इस फैसले में नियमों का हवाला भी दिया है.