मोदी सरकार ने
घरेलू कामगार के लिए काफी अच्छे संकेत दिए है. हलांकि इसकी मांग काफी पहले से उठ रही थी. मगर अभी विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार ने
घरेलु कामगार को न्यूनतम मजदूरी व् सामाजिक सुरक्षा लाभ देने पर विचार कर रही है.
पुरे देश भर में घरेलू श्रमिकों के पास जल्द ही समान और न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा कवर, कौशल विकास कार्यक्रम और मौजूदा श्रम कानूनों के तहत अन्य श्रमिकों के समान यूनियन बनाने का अधिकार मिल सकता है. भारत के श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा एक आधिकारिक परिपत्र के अनुसार, मंत्रालय ने 16 नवंबर, 2017 तक सभी हितधारकों के विचार और घरेलू श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय नीति पर सामान्य टिप्पणियां आमंत्रित की हैं.
जानकारी के अनुसार नई मसौदा नीति घरेलू श्रमिक के लिए न्यूनतम मजदूरी नहीं लिखी है, हालांकि पिछले कुछ सालों में पहले के ड्राफ्ट ने पूर्णकालिक घरेलू सहायता के लिए प्रति माह 9,000 रुपये का न्यूनतम वेतन प्रस्तावित किया था. जिसमें कई लाभ जैसे सामाजिक सुरक्षा कवर और अनिवार्य छुट्टी आदि शामिल थे.
उनके इस दस्तावेज़ के अनुसार, नीति का उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा कवर, रोजगार के उचित नियम, शिकायत निवारण और विवाद समाधान के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना है. यह घरेलू श्रमिकों को राज्य श्रम विभाग या किसी अन्य उपयुक्त तंत्र के साथ खुद को पंजीकृत करने के अधिकार के साथ एक कार्यकर्ता के रूप में मान्यता प्रदान करता है.
अभी तक किसी सोसाइटी में गार्ड का काम करने वाले और घर में काम करने वाले डोमेस्टिक यानि घरेलु कामगार के अंतर्गत आते हैं. अभी तक न तो इनको न्यूनतम वेतन और न ही कोई अन्य कानून लागु होता है. यदि यह इनपर लागु होता है तब इनको बड़ी राहत मिलेगी. इससे उन लोगों को मुश्किलें बढ़ जायेगी, कम पैसे में घरेलु काम करने वालों से काम के करवाकर शोषण करते हैं.