रेल हो या राशन, मोबाइल हो या
भाषण हर जगह आधार कार्ड को जरुरी बनाया गया है. यहां भाषण इसलिए कहा कि अभी मोदी जी बिहार दूर पर पटना कॉलेज गए हुए थे. जहां उनके भाषण को सुनने के लिए छात्रों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य था. जबकि बीजेपी जब विपक्ष में थी तो इसी आधार का जम कर विरोध करती थी. अब अगर आधार इतना ही जरुरी है तो मोदी सरकार को यह अपने “मन की बात” या “वेवसाईट” के जरिये प्रकाशित करना चाहिए कि उनके कितने मंत्री संत्री के पास आधार कार्ड है?
मतदान भी आधार कार्ड से हो
ऐसे भी विधायक या सांसद को एक एक सुविधा से लेकर सैलरी तक जनता द्वारा जमा किये हुए पैसे से सब्सिडी के रूप में मिलता है. जब जनता के लिए राशन के लिए आधार जरुरी है, फिर मंत्री संत्री को बिना आधार के यह लाभ कैसे दिया जा रहा है? अभी हाल ही में
एनडीटीवी के हवाले से खबर आई कि सरकार ने कहा कि हवाई टिकट के लिए आधार को अनिवार्य बनाए जाने की कोई योजना नहीं है. जब इनकी खुद ही बात आती है तो सारे नियम धरे के धरे रह जाते हैं क्यों? जबकि भारत के संविधान के अनुसार देश का हर व्यक्ति बराबर है.
अभी कुछ दिन पहले ही सीताराम येचुरी ने कहा था कि अगर आधार इतना ही जरुरी है तो मतदाता पहचान पत्र से लिंक किया जाए और उसी के आधार पर चुनाव हो. लेकिन यह नहीं किया जाएगा क्योंकि इनको फर्जी मतदान की जरूरत है.
अभी दुबारा से पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री टीएस कृष्णमूर्ति ने मतदाता पहचान पत्र के स्थान पर आधार कार्ड को इस्तेमाल करने की वकालत की है. उन्होंने साफ़तौर पर कहा है कि हमारे पास बहुत तरह के कार्ड है और उसमें बहुत जटिलताएं है. इस प्रणाली में इतनी जटिलताएं ठीक नहीं. अब समय आ गया है कि हमें केवल एक कार्ड पर विचार करना चाहिए.यह बात बिलकुल सही है कि जब सारे कार्ड को आधार कार्ड से ही लिंक किया जा रहा है तो अलग-अलग कार्ड रखने की अनिवार्यता समाप्त कर देना चाहिए.
ड्राइविंग लाइसेंस को भी आधार कार्ड से लिंक करना चाहिए. गाड़ी के आरसी एक आलावा सभी पेपर को भी ताकि ट्रैफिक पुलिस को को कार्ड के जगह केवल अगूंठे के निशान से सारे कागजात की जानकारी मिल सके. मगर शायद यह सब हो भी जाये. मगर पहचान पत्र की जगह आधार से चुनाव न बाबा न…
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