तेजस एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 22120 जो कि गोवा से मुंबई के बीच चलती है. इस रविवार को रेलवे द्वारा सर्व किये गए नाश्ता-खाने से करीब 24 यात्री फूड पॉइजनिंगके शिकार हो गए. जिसके बाद उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया. द हिन्दू खबर की माने तो रेल अधिकारी ने इस खबर की पुष्टि कर दी है. मतलब यह घटना सही है. उन्होंने यह भी बताया कि बीमार सभी यात्रियों को चिपलुन स्टेशन पर उतार कर सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है. जहां उनका ईलाज चल रहा है.
तेजस एक्सप्रेस: IRCTC ने नियम की उड़ाई धज्जी
उधर आईआरसीटीसी के अधिकारी ने कहा है कि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यात्री बीमार वेज या नॉन खाने से हुए हैं. कैग रिपोर्ट आने के बाद भी अधिकारी अभी तक भेज और नॉन भेज में ही उलझे हैं. ऐसे रेल मंत्री महोदय का बयान आ गया है कि ठेकेदार को शोकॉज इशू कर दिया है. मगर मंत्री महोदय ने यह नहीं बताया कि जिस आईआरसीटीसी ने रेल कैटरिंग पॉलिसी का उलंघन किया, उसपर क्या करवाई करेंगे?
अगर रेलवे की कैटरिंग पॉलिसी को देखें (नीचे स्क्रीन शॉट में भी देख सकते हैं) तो उसके पैरा 3.8.4 में स्पष्ट लिखा है कि आईआरसीटीसी रेल के खानपान की सेवा के लिए निजी कंपनियों को आउटसोर्स नहीं करेगी. मगर अभी तक 99 प्रतिशत ट्रेन के खानपान को आउटसोर्स किया जा चूका है. मात्र केवल 4 राजधानी ट्रेन आइआरसीटीसी अपने स्तर पर चला रहा है.जिसको भी किसी भी समय पर आउटसोर्स किया जा सकता है.
मंत्री महोदय ने ठेकेदार के कॉन्ट्रैक्ट को टर्मिनेट करने की भी बात कह दी है. उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि इस टर्मिनेशन में उस ठेकेदार के अंडर काम करने वाले ठेका कर्मचारी बेबजह ही पीस जायेंगे. जबकि उनकी कोई गलती नहीं है.
जब से आईआरसीटीसी को रेल कैटरिंग की सेवा मिली है उसके बाद काम बढ़ने के वावजूद 2000 आउटसोर्स वर्करों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अब ऐसे में बचे हुए 1400 स्थाई और मात्र 5000 आउटसोर्स वर्करों के दम पर विभागीय कैटरिंग सेवा चलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
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