केरल राज्य के एक छोटे से गांव मंडोर पलक्कड़ की रहने वाली 22 वर्षीय पीयू चित्रा में पुरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है. मगर नेशनल मिडिया को सीडी स्केंडल पर चर्चा करने से फुर्सत नहीं है. 22वें एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2017 में देश की बेटी पीयू चित्रा ने गोल्ड जीता है.
पीयू चित्रा ने गोल्ड जीता
चित्रा का जन्म 5 जून 1995 को पककड़ में रहने वाली एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता चित्रा के पिता उन्नीकृष्णन और मां वसंता कुमारी खेतिहर मजदूर है. उनके चार बच्चे हैं और जिसमे चित्रा तीसरे नंबर पर है. अमर उजाला ने लिखा है कि चित्रा के माता-पिता को अपने अपने घर चलाने के लिए घर खर्च बहुत ही मुश्किल से जुटा पाते और कई बार ऐसा होता कि उनलोगों को किसी का बचा हुआ खाना खाना पड़ता था. इस परिस्थिति को झेलते हुए चित्रा ने अपनी प्रैक्टिस रुकने नहीं दी.
हां, चित्रा जब स्कुल में पढ़ती थी तो उसे केरल स्पोर्ट काउंसिल की तरफ से रोजाना 25 रुपये और युवा एथलीटों के लिए चलने वाली एक स्कीम के तहत भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से 625 रुपये प्रतिमाह मिलते थे. इसके कारण उसे अपनी ट्रेनिंग जारी रखने में मदद मिली.
यह कोई पहले मौका नहीं जब चित्रा ने पदक जीता हो. इससे पहले भी सन 2011 में 1500 मीटर, 3000 मीटर, 5000 मीटर रेस और कांस्य के 56 वें भारतीय राष्ट्रीय स्कूल खेल, पुणे, महाराष्ट्र में तीन किलोमीटर के पार देश में स्वर्ण पदक जीता था और 2012 में 1500 मीटर, 3000 मीटर और 56वें केरल स्टेट स्कूल गेम्स में त्रिशंकु में 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता.
हमने चित्रा के बारे में इंटरनेट से जानकारी लेकर आपलोगों तक इसलिए पहुंचाया कि हमें पता है कि मिडिया इस चैम्पियन को नहीं दिखने वाला. इसके माता-पिता गरीब है, इसको आगे बढ़ने के लिए शायद उनके पास कोई पर्याप्त साधन नहीं हो. आप लोग इस पोस्ट के माध्यम से देश की बेटी की कहानी जन-जन तक पहुंचाए. साथ ही केरल सरकार से हमारी दरखास्त है कि इस गोल्ड मेडलिस्ट के खेल की जिम्मेवारी उठाये. इस चैम्पियन बेटी को आगे बढ़ने का मौका दें.
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