जब भी कोई फैसला मजदुर के पक्ष में आता है तो चाहे कोई खुश हो न हो मगर हमारा सीना भले ही 56 इंच का न हो मगर चौड़ा जरूर हो जाता है. समान काम समान वेतन का प्रावधान 1970 के ठेका कानून के तहत ही है. सरकारी या गैर सरकारी संस्थान जब भी ठेका पर मजदूरों से काम करवाती है तो उनके लिए उनको सम्बंधित लेबर कमिश्नर ऑफिस से रजिस्ट्रेशन और ठेकेदार को लाइसेंस दिलवाना होता है. जबकि कई जगह हमने खुद ही पाया है कि इस कानून का खुलेआम उलंघन खुद सरकारी संस्थानों ने ही की है. यही नहीं पिछले कई वर्षों से ठेके पर सरकार के रिकॉर्ड से छुपा कर रखे गए. समान काम करवाने के वावजूद समान वेतन देना तो शायद ही पिछले 47 वर्षों से किसी सरकार के बस में है ही नहीं.
समान वेतन का आर्डर देने वाले जज श्री राजेंद्र मेनन को जानें
इस सभी बातों के बीच मंगलवार को पटना हाई कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम का समान वेतन की मांग को जायज ठहराते हुए सरकार को इस कानून को लागु करते हुए सभी शिक्षकों को 2009 से बकाया भुगतान का आर्डर दिया है. जिसका लाभ सूबे के 4 लाख से अधिक नियोजन पर काम कर रहे शिक्षकों को मिलेगा. इस लड़ाई के जीत के लिए इस मांग के लिए लम्बे समय से संघर्षरत सभी साथी ही नहीं बल्कि इस ऐतिहासिक न्याय को लिखने वाले न्यायाधीश भी है. अब यह जानना जरुरी हो गया है कि आखिर इतना बड़ा और ऐतिहासिक फैसला दिया किसने?
जी हैं, यह ऐतिहासिक फैसला माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री राजेंद्र मेनन की कलम से लिखी है. उनके सम्मान में उनके बारे में जानते है. पटना हाई कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन का जन्म 7 जून 1957 में हुआ था और उन्होंने ईसाई चर्च बॉयज़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जबलपुर से अपनी उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की. श्री मेनन ने विज्ञान से स्नातक की उपाधि रानी दुर्गावाटी विश्वविद्यालय (जबलपुर) के अंतर्गत विज्ञान कॉलेज, जबलपुर, 1981 में एनएसई लॉ कॉलेज (जबलपुर) से एलएलबी किया.
उसके बाद उन्होंने जल्द ही कानून का अभ्यास शुरू किया गया और 1991 से केन्द्रीय सरकार के लिए स्थायी परामर्शदाता बने. जब तक कि वे दक्षिण पूर्व कोल फील्ड लिमिटेड, उत्तरी कोलफील्ड्स लिमिटेड, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, सिंडिकेट बैंक जैसे कई निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए स्थायी परामर्शदाता बने, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, एमपी डेयरी डेवलपमेंट कार्पोरेशन, एसोसिएटेड कम्पनी लिमिटेड, रिलायंस, टाटा मोटर्स और अन्य कई निजी प्रतिष्ठान हैं.
उनकी प्रभुता को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में बढ़ाया गया था और 01.04.2002 को शपथ ली थी. वह मार्च 2008 तक उच्च न्यायालय के ग्वालियर पीठ में तैनात थे, उन्हें 15 मार्च 2017 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने के लिए जबलपुर में प्रिंसिपल बेंच में पद लगाया गया था. पटना के मुख्य न्यायधीश बनने से पहले श्री मेनन मध्यप्रदेश में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश थे. श्री मेनन 2019 में रिटार्ड होंगे.
सचमुच श्री मेमन ने बिहार के नियोजित शिक्षकों का हक के साथ जो न्याय किया. उनके लिए लिखने के लिए शब्द ही कम पड़ जायेंगे. सचमुच उन्होंने सभी मजदूरों का दिल जीत लिया है. ऐसे लोगों से ही गरीबों की उम्मीद भारत के न्याय प्रणाली में बनी है. एक बार फिर से हम अपने ब्लॉग के माध्यम से देश के 60 करोड़ मजदूरों के तरफ से माननीय श्री राजेंदर मेनन सर का धन्यबाद करते हैं.
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हरियाणा सरकार के समान काम समान वेतन के वायरल नोटिफिकेशन का सच
workervoice.in/2017/11/Hariyana-Govt-Equal-Pay-Notification.html