नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के 15वें संस्करण के उद्घाटन सत्र में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने कहा जब 2014 में हम सत्ता में आते थे तब सिस्टम की हालत ख़राब थी. हमारा देश कमजोर देश में गिना जाता था. अब मैं करप्शन के खिलाफ रहा हूँ और अगर इस लड़ाई में मुझे राजनीतिक कीमत चुकानी पड़े, तो मैं तैयार हूँ .”
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं करप्शन से लड़ रहा?
इसके बाद मोदी जी ने कहा कि हमारे तर्ज पर अब विदेशों में भी ‘अब की बार कैमरून की सरकार’ और ‘अब की बार ट्रम्प की सरकार’ जैसे स्लोगन गूंजने लगे है. इससे दुनिया में भारत का कद का पता चलता है. आगे उन्होंने कहा कि हमारे सरकार की शीर्ष प्राथमिकता ‘भारत में भ्रष्टाचार मुक्त, नागरिक केंद्रित और विकासोन्मुख ईको-सिस्टम’ विकसित करना है.
जबकि इसके उलट फोर्ब्स द्वारा 18 महीने के लंबे सर्वे एशिया महाद्वीप में भ्रष्टाचार के मामले में भारत को प्रथम स्थान पर बताया है. इसकी लेखिका तन्वी गुप्ता ने लिखा है कि भारत में रिश्वतखोरी की दर 69 प्रतिशत है. भारत में स्कूल, अस्पताल, पुलिस, पहचान पत्र और जनोपयोगी सुविधाओं के मामले जुड़े सर्वे में भाग लेने वाले लगभग आधे लोगों ने कहा कि उन्होंने कभी न कभी रिश्वत दी है. जानकारी के अनुसार फोर्ब्स ने यह सर्वे मार्च, 2017 में प्रकाशित किया था.जबकि इंडिया टुडे के रिपोर्ट को गौर करे तो बर्लिन की भ्रष्टाचार आकलन एवं निगरानी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया के कुल 176 देशों की सूची में भारत को 79वें स्थान पर रखा है.
शारदा चिटफंड घोटाले की जांच के सिलसिले में सीबीआइ ने मुकुल राय से भी पूछताछ की थी. जिसके बाद फिर, नारद स्टिंग आॅपरेशन में तृणमूल के जिन सांसदों के नाम आरोपियों के तौर पर सामने आए उनमें मुकुल राय भी थे. अगर ऐसे भी देखें तो पिछले 3 साल में एक भी भ्रष्ट्राचारी जेल न ही उनकी जांच ही हुई. आये दिन मंत्री से लेकर संत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहें है. मगर जांच तो दूर की बात है इस्तीफा भी देना उचित नहीं समझते. ऐसे में मोदी जी का भाषण चुनावी जुमला ही है.