पिछले सप्ताह ही हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों के न्यूज की कटिंग व्हाट्सप्प और फेसबुक पर वायरल हो गई थी. इस न्यूज के तहत
हरियाणा सरकार ने रोडवेज के 8200 कर्मियों को पक्के से कच्चे करने के आदेश पास किया था. यह खबर सुनकर एक बार उनको जरूर झटका लगा होगा जो लोग यह कहते फिरते हैं कि हमारी तो नौकरी पक्की है, हमारा कौन क्या बिगाड़ सकता है. जानकारी के अनुसार 2003 में चालक और परिचालक के पदों पर न्युक्त कर्मियों ने लम्बे संघर्ष के बाद 2015 में पक्के हुए थे. मगर भाजपा सरकार ने नवम्बर 2017 में उन्हें फिर से पक्के से कच्चे होने का आदेश जारी कर दिया था.
हरियाणा रोडवेज के चालक-परिचालक रहेंगे पक्के
इस आदेश के साथ ही विभाग इन कर्मचारियों को पक्का न मानते हुए अन्य कर्मियों के सामान वेतन देगा. इसके आलावा नियमित कर्मचारियों के तरह अन्य कोई सुविधा नहीं दी जायेगी. कर्मचारियों के यूनियन ने इस आदेश को आड़े हाथों लिया. हरियाणा सरकार के इस फरमान के खिलाफ हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन और ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने पूरे प्रदेश में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक धरना प्रदर्शन किया. रोडवेज कर्मचारी यूनियनों के भारी विरोध के कारण सरकार को झुकना पड़ा और तुरंत ही परिवहन निदेशालय ने शुक्रवार को ही अपना चार दिन पुराना फैसला बदल दिया. अब पहले की तरह सभी कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतन और भत्ते मिलते रहेंगे.
दैनिक जागरण के अनुसार यूनियन ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में भी अपील दायर की थी. मगर मजदूरों के एकता ने पहले काम कर दिया. कर्मचारियों के नेताओं ने परिवहन विभाग द्वारा सभी कर्मचारियों के वेतन-भत्ते बहाल करने का स्वागत किया है और अपनी अन्य सभी मांगों को भी पूरा करने की मांग की है.
अब जरा सोचिये की यदि रोडवेज के कर्मचारियों की यूनियन नहीं होती तो क्या होता? आखिर पिछले 12 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद जीत हासिल करना आम बात नहीं है. आजकल के पढ़े लिखे युवा तो बिना लड़े ही हार मान लेते है. ज्यादातर तो यह सोचते की काश कोई हमारे लिए लड़ देता या चुप रहो, चुप रहो ..वह तो लड़ ही रहा कुछ होना होगा तो सबका होगा.
अब अगर यही सोच इनलोगों की भी होती तो क्या होता? अभी की वर्तमान सरकार कदम-कदम पर मजदूरों का हक़ छींनने की कोशिश में है. अगर ऐसे में आंख बंद किये तो डिब्बा गुल समझिये.यह बात सही है कि अभी तक हरियाणा रोडवेज के 8200 चालक-परिचालक के पक्के से कच्चे की खबर सबने शेयर किया होगा. आप सभी से अनुरोध है कि कर्मचारियों के संघर्ष के इस जीत की खबर उस हर कर्मचारी तक पहुंचनी चाहिए जो ये सोचते है कि यूनियन और वर्कर के एकता से कुछ नहीं होता है. जबकि एकता में ही बल है.
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