उपरोक्त आदेश भले ही बिहार के लिए नया हो मगर मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह आदेश देश के कई हिस्सों में पहले से लागू है. अपने पठन-पाठन व् अन्य कामों के साथ ही साथ ग्रामीणों का विरोध झेलते हुए बीजेपी शासन वाले कई राज्यों में शिक्षक से लेकर सरकारी अधिकारीगण लोगो के सुबह-सुबह उठकर शौच जाने वालों का रास्ते राह निहारते बैठे रहते है.
कई जगह तो वीडियोंग्राफ़ी तो कही-कही खुले में शौच करते पकडे जाते समय जुर्माने का प्रावधान भी है. ऐसा ही कुछ फरमान के चलते राजस्थान राज्य के प्रतापगढ़ जिले में खुले में शौच करने को लेकर विवाद इतना बढ़ गया था की जफ़र खान को पीट-पीट कर मार डाला गया.
महिलाओं के साथ छेड़खानी करने की खुली छूट?
अब आप ही सोचिये की गांव में अभी भी महिलाओं के लिए घूँघट का प्रावधान है और ऐसे में अगर कोई गुरुजी शौच के लिए सुबह या शाम गलती से खुले में शौच के लिए निकली किसी भी औरत, मां, बहन या बेटी को रास्ते में टोकेंगे तो उनकी रक्षा शायद नीतीश सरकार तो नहीं ही कर पायेगी. जबकि यहां टोकना ही नहीं बल्कि उनका फोटो भी खींचना है. ऐसे में तो जान आफत में फंसने वाली बात हो जाती है.
इसके दूसरे पहलू को देखें तो ऐसे में एक तरह से बिहार सरकार ने मनचलों को भी महिलाओं के साथ छेड़खानी करने की खुली छूट दे दी है. कल को वह राह जाती महिलाओं को सरेआम छेड़ेगा, फोटो खिचेगा और कहेगा कि हम तो बिहार सरकार की ड्यूटी कर रहे हैं.
पीएम के स्वच्छ भारत मिशन को महिला आईएएस ने चैलेंज किया
अब सवाल यह है कि यह तुगलकी फरमान आया कहां से तो जानकारी के लिए बता दूं यह नरेंद्र मोदी सरकार का स्वच्छ भारत मिशन का ही आदेश है. जिसको बिहार सरकार लागू करने की कोशिश कर रही है. यह बात सही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. पीएम मोदी अक्सर अपने भाषणों में खुले में शौच की आदत को दूर करने और शौचालय निर्माण का जिक्र करते हैं.
मगर दूसरी तरफ पीएम के इस अभियान को बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश की एक महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी ने चैलेंज किया है. उन्होंने अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में एक लेख लिखा है. जिसके अनुसार देश में पानी की कमी पर सवाल उठाते हुए शौचालय निर्माण पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने लिखा है कि हम सोचते हैं कि शौचालय बना लेंगे, उसके ऊपरी पानी की टंकी लगा देंगे वहां पानी चढ़ा देंगे, लेकिन गांवों में पानी है कहां, यहां तो पीने के लिए पानी लाने के लिए कई किलोमीटर जाना पड़ता है. अगर बिजली से पानी चढ़ाएंगे तो हमारे गांवों में बिजली रहती कितनी घंटे हैं.
मेरा सवाल, ” खायेगा इंडिया तभी तो जायेगा इंडिया“.
अभी सुनने में यह भी आया है कि बिहार के शिक्षक इस आदेश को तुगलकी फरमान बता रहे है. वो इसका विरोध करने की बात कर रहें है. इसका विरोध जरुरी भी है. जब देश का 60 प्रतिशत दे ज्यादा जनता मंहगाई और बेरोजगारी के कारण दाने-दाने को मोहताज हो. किसान और मजदूर कर्ज तले आत्महत्या करने को विवश हो.
देश की बेटी झारखंड की 6 वर्षीय संतोषी भात-भात कहकर भूख से तड़प-तड़प कर मर गई हो. ऐसे में खाने की जगह शौचालय जाने की बात कर सरक़ार केवल शिक्षकों का ही नहीं बल्कि हम जनता का भी मजाक उड़ा रही है. केवल मोदी और नितीश जी से मेरा एक सवाल, ” खायेगा इंडिया तभी तो जायेगा इंडिया”.
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