Blog: भारत सरकार की एक मिनी-रत्न संस्थान इंडियन रेलवे कैटरिंग एण्ड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड (आई.आर.सी.टी.सी.) की स्थापना भारतीय रेल द्वारा वर्ष 2002 में खानपान एवं पर्यटन से संबंधित कार्यों के लिए किया गया था. जिसके सही तरीके से संचालन के लिए समय-समय पर हजारों वर्कर रखे गए. मगर उन वर्करों के स्थिति के ऊपर नजर डालें तो पता चलता है कि भले ही आईआरसीटीसी ने इन्ही वर्करों के दम पर चाहे हजारों कृतिमान स्थापित किये हों, मगर आज भी वर्करों को उनके असली हक़ से वंचित रखा है. आईआरसीटीसी वर्कमैन: परमोशन के लिए 120 सीट ही क्यों? हकीकत जाने
आईआरसीटीसी वर्कमैन: परमोशन के लिए 120 सीट ही क्यों?
हमारा यह लिखने का मकसद बस इतना है कि आईआरसीटीसी का एक सरकारी संस्था होने के वावजूद कोई कायदा कानून नहीं है. जब वर्कर अपनी जरुरत बताना चाहते हैं तो यह सुनना भी पसंद नहीं करते मगर जब खुद यानि मैनेजमेंट की जरुरत हो तो सारे कायदे कानून को तक पर रखना कोई इन से सीखे. अब असली टॉपिक पर आते हैं.
जानकारी के अनुसार आईआरसीटीसी में वर्कमैन के लिए इंटरनल परीक्षा कंडक्ट करके उनको सीधा वर्कमैन-1-5 से वर्कमैन-6 में पदोनंती का नोटिस निकला गया है. यह हम सभी के लिए बहुत ही ख़ुशी की बात होती, मगर यहां भी प्रबंधन ने लोगों के साथ छल किया है. अब इसको समझने के लिए इस पुरे पोस्ट को तस्सली से पढ़ना पड़ेगा. काफी समय पहले जब इस परमोशन की बात पता चली तो हमने सबसे पहले सभी वर्कर साथी को बधाई दिया. मगर उस समय से ही इसके बारे में छानबीन करना शुरू किया. जिसके बाद कुछ तथ्य पता चला है.
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अब असली विषय वस्तु पर आते हैं. ऊपर के सभी तथ्यों के ध्यान से समझने के बाद प्रतीत होता है कि जिस प्रकार से आईआरसीटीसी को रेलवे के द्वारा कैटरिंग के सेवा बहाल की गई. उस तरह से और अधिक कर्मचारी की जरुरत होनी चाहिए. मगर सवाल उठता है कि ऐसे में ऑउटसोस कर्मचारियों की छटनी क्यों की गई? बिलकुल सही सवाल है. हमारी समझ से वर्तमान समय में यात्रियों की संख्या बढ़ी है.
इस तथ्य को कोई भी नकार नहीं सकता है. मगर नई कटिरिंग पॉलिसी के तहत आईआरसीटीसी को केवल ट्रेन में सुपरवाइजर के माध्यम से निगरानी का जिम्मा मिला है. अब ऐसे में देखे तो आईआरसीटीसी के पास लगभग 250 सुपरवाइजर ही है. अभी लगभग पैंट्री कार वाली 720 और बिना पेंट्री कार वाली 1350 गाड़ियों है. इसमें लगभग अगर एक-एक सुपरवाइजर की ड्यूटी लगाई जाती है तो लगभग 2080 सुपरवाइजर की आवश्यकता होगी. इतना नहीं तो चलिए मात्र 1000 ही मान लेते हैं. पहले से मतलब इस 1000 के आंकड़े को पूरा करने के लिए लगभग 700 सुपरवाइजर की तत्काल जरुरत है.
आप सभी से हमारा एक सीधा सवाल है कि आपकी की कुल संख्या भी लगभग 700 के आसपास ही है. अब ऐसे में पहले 100 सीट और फिर हो-हल्ला होने पर 120 सीट देना आपके खून पसीने के मेहनत का मजाक उड़ने जैसा नहीं है? हम इसको समझने के लिए एक छोटा सा उदाहरण देना चाहेंगे कि मान लीजिये कि आप सभी वर्कमैन को आईआरसीटीसी ने किसी फंक्शन यानी मान लेते है कि एनुअल डे में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया.
स्वाभाविक सी बात है कि आप सभी के बैठने के लिए आईआरसीटीसी द्वारा कुर्सियां लगाई जायेगी. मगर आप सभी के आमंत्रण पत्र पर लिखा है कि आप (वर्कमैन) लोगों के लिए मात्र 120 कुर्सियों को व्यवस्था की गई है. जबकि आईआरसीटीसी चाहे तो हजारों कुर्सी लगा दें. अब ऐसे में आप क्या करेंगे? जबकि आपके सभी साथी की संख्या लगभग 700 है? जबाब: 1. क्या आप घर से जल्दी से निकल सभा स्थल पर पहुंचकर 120 में से अपनी कुर्सी पर बैठ जायेंगे. 2. सभा स्थल पर अपमानित होने से बचने के लिए नहीं जायेंगे. 3. सभी साथी मिलकर प्रबंधन से सभी के लिए 700 कुर्सी की व्यवस्था करनी की मांग मजबूती से उठायेंगे. बस यह एक आपको समझने का एक उदाहरण है बाकि आप लोग खुद समझदार हैं.
अब आपकी मर्जी इस तीन जबावों में से कोई एक जबाब चुन सकते है. मगर हर जबाव के पीछे के लॉजिक है. अगर आप पहला ऑप्शन चुनते है तो आप आपस में चाहे जितना भी मारा-मारी कर लो. आपमें से केवल 120 लोगों को ही कुर्सी मिलनी है, शेष बचे 580 साथी बाद में एक दूसरे को ही कोसेंगे. सभी को अच्छे से पता है कि कोई भी प्रबंधन किसी भी वर्कर का सगा नहीं होता है.
केवल वर्कर से काम निकलने के तिकड़म लगता है. आपसभी को याद ही होगा कि आपसे कुछ साथी जो कि FTC के रूप में बहाल किये गए थे. अपना काम निकलने के लिए उनको एक्सटेंशन दिया गया. मगर काम निकल जाने के बाद उनका तो छोडो उनके बीबी बच्चो के बारे में मैनजेमेंट के किसी भी अधिकारी ने नहीं सोचा और निकाल बाहर किया. इसके बाद आप अपने साथ में काम करने वाले आउटसोर्स वर्करों को ही देख लो. उनके साथ किस तरह से शोषण होता है, शायद हम से बेहतर आप जानते हैं.
अब सभी का सवाल होगा कि अब तो बहुत देर हो गया, अब ऐसे में क्या करना चाहिए. इसका सीधा जबाब होगा कि जब जागो तब सवेरा. आप सभी रेल के खानपान की रीढ है. आपही के दम पर आईआरसीटीसी रेल यात्रियों को भोजन मुहैया कराती है. आप एक दो नहीं और न ही 700 है, बल्कि हजारों ट्रेन में काम करने वाले ठेका वर्कर के कप्तान है.
आप अगर यूनाइट हो जाये तो किसी भी मैनेजमेंट की क्या मजाल की 120 सीट को बढ़ा कर 700 न कर दे. आप यह क्यों भूल रहे है कि आपके कुछ साथियों के केवल हंगामा करने भर से ही 100 से बढाकर 120 सीट मिनटों में कर दिया गया. अपनी ताकत को पहचाने और याद रखे अपना हक़ कभी मांगने से नहीं मिलता है बल्कि छीनना पड़ता है.
आरसीटीसी जब रेल से डेपुटेशन पर आये ऊंची पहुंचवाले लोगों को फ़ास्ट ट्रैक परमोशन के तहत एलडीसी और गार्ड से किसी को असिस्टेंट मैनेजर तो किसी को डीजीएम बनाया जा सकता है तो आप में से कई को तो 4 साल तक परमोशन से वंचित रखा गया है. आपकी मांग तो यह होना तो यह चाहिए की वर्कमैन ही क्यों अगर ऐसा कोई पॉलिसी है तो सुपरवाइजर को भी इंटरनल परीक्षा लेकर फ़ास्ट ट्रैक परमोशन दो.
हमें नहीं लगता है ऐसा कोई सरकारी कानून है कि डब्लु-1 से लेकर डब्लु-5 तक सबको मिलाकर खिचड़ी बना दिया जाए. बल्कि होना तो यह चाहिए कि जो वर्कर भी इंटरनल एग्जाम को क्वालीफाई करेगा. उसको उसके ग्रेड से 5 ग्रेड ऊपर यानी कोई डब्लु-1 है तो उसको डब्लु-5, डब्लु-2 है तो उसको डब्लु-6, डब्लु-3 है तो उसको अस्सिटेंट सुपरवाइज़र ..क्रमश…बनाया जाये. एक वर्कर ने बताया कि हमारे परमोशन पॉलिसी में ट्रेड टेस्ट का जिक्र है मगर यहां तो कुछ और ही तरीके से परमोशन की बात है.
हमने भी पूरी तरह नोटिफिकेशन को पढ़ा है. जिसके देखें से प्रतीत होता है कि टेस्ट केवल दिखावा मात्र है. जबकि अधिकारी के हाथ में है कि चाहे तो जिसको पास करें या फेल. ऐसे भी अगर कोई डब्लु-6 बन भी जायेगा तब उनको 2 साल बाद संतोषजनक सेवा के बाद ही अस्सिटेंट सुपरवाइज़र बनाया जायेगा. मगर कौन जनता है कि 2 साल के बाद क्या होगा.
यह आपके एक होने का सही समय और सही मुद्दा है. अगर आज एक न हो पायें तो कल जब आईआरसीटीसी का 100 प्रतिशत शेयर मार्किट में बिकने लगेगा. जिसके बाद कोई अडानी या अम्बानी सारे शेयर खरीद कर इसका मालिक बन बैठेगा. फिर हमें नहीं लगता कि आपलोगों की नौकरी बचेगी. अभी से अपनी साथियों की एकता कायम करें और अपनी फ़ौज बनाकर रखें. हर राज्य के साथी दिल्ली के तरफ देख रहे है. बस आवाज देने भर की बात है. जब रेल रुकेगा तो आईआरसीटीसी झुकेगा. धन्यबाद.
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