Blog: तीन दिन पहले उत्तराखंड के उपनल वेतन में पीएफ घोटाले के बारे में में आर्टिकल लिखा था. शाम को उपनल कर्मचारी महासंघ के महामंत्री श्री संदीप भोटिया जी का फोन आया. उन्होंने धन्यबाद देते हुए वर्कर वॉयस के आर्टिकल की सराहना की. इसके साथ ही इस मुद्दा को आड़े हाथों लेते हुए महासंघ के नेताओं ने इसकी जाँच की मांग की. जिसकों नवभारत टाइम्स आदि ने प्रमुखता से उठाया. जिसके बाद यह मुद्दा पुरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया. इससे उपनल के सीएमडी साहब भड़क गए.
उपनल वेतन में पीएफ घोटाला?
जानकारी के अनुसार इस मुद्दे पर सीएमडी साहब ने कल संघ के पदाधिकारीयों को मीटिंग के लिए बुलाया था. मीटिंग के बाद दीपक चौहान जी ने फोन पर बताया कि सीएमडी साहब ने कहा कि हम आपलोगों के नियोक्ता ही नहीं है. हम तो केवल एजेंसी हैं. आपका नियोक्ता तो वह है जिस विभाग में आप काम करते हैं. मगर शायद सीएमडी साहब कर्मचारियों का सैलरी स्लिप देख लेते तो उनका यह भरम भी दूर हो गया होता.
उनके विभाग ने खुद ही अधिकारी के हस्ताक्षर के पास कांट्रेक्टर यानी ठेकेदार लिखा है. अब फंस गए है तो एम्प्लॉयर ही नहीं हैं. अरे साहब जी फिर सैलरी स्लिप पर एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन यानी शेयर कैसे काट लिया? अब तो बुरे फंसे समझिये.
इसके बाद ही मौखिक रूप से यह भी कह दिया कि अगर पीएफ की कटौती गलत साबित कर दोगें तो एक-एक कर्मचारी को 1-1 लाख रुपया दूंगा. इस पर दीपक जी ने उनको कहा कि इन सभी बातों को मिनिट्स में लिखिए और मामले की जांच करवाईए व् फैसला के लिए कोर्ट चलिए. जिसके बाद सीएमडी साहब मुस्कराये मगर अपनी बात पर अड़े रहें. मतलब उनको पता है कि वो गलत बोल रहें हैं. अगर पता नहीं होता तो लिखकर दे देते न.
आइये इन बातों का विश्लेषण करते हैं. इसके लिए ज्यादा नहीं बल्कि उपनल के ऑफिसियल वेबसाइट पर उनके बारे में चेक करें. जिसमें उन्होंने खुद ही लिख यही कि उत्तराखण्ड एक सैनिक/सैनिक बाहुल्य राज्य है, जहां प्रतिवर्ष बडी संख्या में सैनिक सेवानिवृत होते है. जिनका पुनर्वासन एवं कल्याण केन्द्र एवं राज्य सरकार के लिए एक बडी चुनौती है. इसके लिए जहां निदेशालय सैनिक कल्याण के माध्यम से विविध कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है.
वहीं दूसरी ओर उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 (उपनल), अपनी स्थापना (वर्ष 2004) अवधि काल से ही पूर्व सैनिकों /सैनिकों एवं उनके आश्रितों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराकर पुनर्वासन का कार्य कर रहा है. इससे खुद ही साबित हो रहा है कि उपनल ऑउटसोस एजेंसी है. जिसको दूसरे शब्दों में सरकारी ठेकेदार कह सकते हैं.
आगे उन्होंने लिखा है कि उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 (उपनल), उत्तराखण्ड राज्य का एक सार्वजनिक उपक्रम है. जिसकी स्थापना 01 मार्च 2004 को उत्तरांचल पूर्व सैनिक कल्याण लि0 (उपसुल) के रूप में हुई थी. तत्पश्चात् दिनांक 31 जनवरी 2007 से उपसुल को निगम बनाते हुए इसका नाम “उपनल” किया गया. उपनल, भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत रजिस्टर्ड है.
जानकारी के अनुसार उपनल उत्तराखण्ड पॉवर कॉरपोरेशन लि0 (UPCL), सतलज जल विद्युत निगम लि0 (SJVN Ltd), उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम लि0 (UJVNL), राज्य इन्फ्रॅसटक्चर डेबलपमेन्ट कॉरेपोरेषन, आइल एंव नेचुरल गैस कॉरपोरेशन। (ONGC), भारत हेवी इलेक्ट्रीकल लि0 (BHEL), टिहरी हाइड्रो इलेक्ट्रिक डेवेलपमेंट कॉरेपोरेषन (THDC), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC), नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन (NTPC Ltd.), इन्स्ट्रमेन्ट रिसर्च और डेवेलपमेन्ट एस्टाब्सिमेन्ट (IRDE), इस्र्टर्न कोलॅ फिल्ड लि0 (ECL), इस्द्रप्रस्थ गैंस लि0(IGL), गैंस आथोरिटि आफ इण्डिया लि0(GAIL INDIA), मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी उत्तरॉखण्ड, PTCUL आदि में संविदा के आधार पर वर्करों की न्युक्ति करता है.
इसके बाद दीपक जी ने एक सर्कुलर शेयर किया. जिस सर्कुलर को सुभाष कुमार, मुख्यसचिव उत्तराखंड सरकार ने समस्त सम्बंधित अधिकारी ने साथ ही साथ उपनल के प्रबंध निदेशक को भी भेजा है. जिसके अनुसार यह सर्कुलर 7 जून 2013 से ही लागू है. यह उपनल में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के वेतन के सम्बन्ध में है.
इसमें भी उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि उपनल प्रिंसिपल एम्प्लॉयर को संविदा पर कर्मचरियों की भर्ती करता है. इस सर्कुलर के पॉइंट 2 को गौर करें तो पता चलता है कि परिशिष्ट “ख” में कर्मचारियों का वेतन विवरण दिया गया है. जो कि इस प्रकार से है-
अब बाकि बातों को परे रखकर इस मुद्दे पर आते हैं कि सीएमडी साहब द्वारा किया गया दाबा कितना सच है. ऊपर का सर्कुलर आज से 4 वर्ष पूर्व का है. अब घर जाकर अपना सैलरी स्लिप देखिये या फिर बैंक अकाउंट चेक कीजिये कि क्या आज से 4 वर्ष पूर्व अगर आप अकुशल -6491/- , अर्धकुशल-7669/-, कुशल-9533/- , उच्च कुशल-10,759, अधिकारी वर्ग-32,448/- में मिला या नहीं. अगर नहीं मिला तो क्यों?
अब आप सोच रहें होंगे कि हमें तो पता नहीं कि हम अकुशल में आते हैं या अर्धकुशल में या उच्चकुशल या ….. हां तो इसके लिए सर्कुलर के अंतिम यानि छठे पेज पर आते हैं. जिसके अनुसार आप अपने पद को देखकर अनुमान लगा सकते हैं.
ऊपर जो भी आंकड़ा दिया वह आज से 4 वर्ष पूर्व का है. हमें नहीं लगता है पिछले 4 वर्षों में उत्तराखंड सरकार ने आपकी सैलरी नहीं बढ़ाई होगी. अगर नहीं बढ़ाई तो यह बहुत ही गंभीर बात है. आज पुरे देश में मंहगाई महामारी बन गई है. जिससे हर आदमी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है. इसको सोचियेगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
एक बार फिर से 2017 के सैलरी स्लिप पर नजर डालतें है. जिसमें गलत कटौती हुई है. इसको कोई भी नकार नहीं सकता है. इस सैलरी स्लिप में पीएफ के साथ ही साथ ईएसआई की भी गलत कटौती की गई है. पिछले आर्टिकल में इसके बारे में लिखने से चूक गए थे. उत्तराखंड का न्यूनतम वेतन क्या है. हमें इसकी जानकारी नहीं है मगर अगर इसी सैलरी स्लिप की माने तो पीएफ ही की तरह ईएसआई एम्प्लॉयर का हिस्सा भी आपके सैलरी में से काटा जा रहा है. कानून के मुताबिक आपको 8627/- रुपया की जगह 10,080/- मासिक सैलरी मिलनी चाहिए.
अब GST को साइड रखकर देखते हैं तो प्रति कर्मचारी हर महीने 1453/- की गलत और गैर क़ानूनी कटौती की जी रही है. अब 24,000 कर्मचारी का जोड़ लें तो यह आंकड़ा 3,48,72,000/- का होगा. मतलब मोटे-तौर पर हर महीने 3 करोड़ का घपला. अगर सही तरीके से जाँच हुआ तो सीएमडी साहब की कुर्सी तो छोड़ दीजिये जेल भी जाना पड़ सकता है. इसके लिए बहुत से उदाहरण मौजूद है. कलकत्ता में एक फैक्ट्री के मालिक को 42 लाख पीएफ डिफॉल्टेर के केस में गिरफ़्तारी हुई और जेल में हैं.
अब इतना बड़ा अमाउंट बिना लड़ाई और चौतरफा दबाब के मिलना मुश्किल ही है. हां अगर सभी कर्मचारी अगर यूनाइट होकर कोशिश करें तो कुछ भी असंभव नहीं है. लेकिन इसके लिए एक-एक वर्करों को इस सच्चाई की जानकारी होनी चाहिए. उनको पता होना चाहिए कि गैस और सब्जी के साथ-साथ खाद्य पदार्थों का दाम आसमान छू रहा है. मगर सरकार जी 4 साल से आपकी वेतन वृद्धि करना भूल गए.
जितना मिलाना चाहिए उसको भी उपनल खा जा रहा है. फिर हमें नहीं लगता कि इसके बाद आपको आपका हक़ लेने से कोई रोक भी सकता है. उम्मीद है, जानकारी का लाभ उठायेंगे. अगर कोई सवाल हो तो जरूर पूछियेगा. अपने साथियों को शेयर करना न भूलें. धन्यबाद.
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद महोदय आपने उत्तराखंड के 22 हजार युवाओं के साथ हो रहे शोसन के लिए आवाज उठाई।
प्रणाम
अध्य्क्ष उपनल कर्मचारी महासंघ उत्तराखंड
GST������ workers goods hai kya jo uska GST kat raha hai ������ pagal ho gayi hai company… Modi ji sahi GST laaye hai.. sabse badi baat hai educated workers ho kar itne time se exploitation sah rahe hai… Aaj ke yuva varg aur pade likho ka ye haal hai… Agar ab bhi samaj ki aakhe na khuli aur sab ek jut nahi hue toh iss desh aur samaj ko dubne se koi bacha nahi sakta..
sir je maine bhi upnl samdhan pur bhi likhit suchna mangi thi but kuch nahi mila naaa arirer naa kuch ashish godiyal upnl karykarta derdun sir je main esilayt ke to wo bole likhit main sabbot do aise humre yanha upnl gadi cent main kuch mahi hota hai or hartal karni hai to bolo upnl office main karo or sabbout ho to tabhi batt karo humre yanha sai sahi pf katatta hai aisa upnl rti officer nai kaha. isliye 8.9 januvary ko hartal hai. or sallery badotri or pf ghotla bhi parumkta sai uthhyenge. baki danyawwad jub sabhi upnl kai log appna huk upnl office or govt sai mangge tabhi kuch hoga baki dhanyadd appne workero ke awwj suni. or ushhe sajjha kiya. jaise apko vidit hai he ke laber act ki anusar 24000 hajar bhart sarkar kai madyam sai kar de hai but upnl main yai laggu nahi ho raha hai.
आपको भी धन्यबाद सर
Ashish Godiyal धन्यबाद भाई. लिखित में PF कमिश्नर को दें और यूनिटी में बहुत ताकत होती है. आपसभी मिलकर लड़ेंगे तो 24 हजार क्या सामान वेतन यानी 35 हजार के हक़दार हैं. और रही बात केंद्र सरकार द्वारा 24 हजार लागू होने की बात तो वह झूठी है.
Harish Joshi मैनेजमेंट लोल है. इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा.