Blog: सुशांत बेहेरा IRCTC Workmen कलकत्ता के अपोलो हॉस्पिटल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं. उनके इस दुःख के घड़ी में हमारी संवेदना उनके और उनके परिवार के साथ है. उनकी बस इतनी सी गलती थी कि ट्रेन में आइक्रीम सर्व करते समय उनके आइसक्रीम का कार्टून एक पैसनेजर से टकरा गया था.
जिसके बाद पैसेंजर ने उनको जोर से धक्का दिया और इसके विरोध स्वरूप उन्होंने कहा कि “सर इतना जोर से लगा तो नहीं कि आपने धक्का दे दिया”. इतना सुनते ही पैसेंजर ने अपने के और सहयात्री के साथ IRCTC Workmen पर हमला बोल दिया. उसके बाद पीट-पीट कर लहूलुहान ही नहीं किया बल्कि सुशांत इस हमला से बेहोश हो कर गिर पड़े.
जानकारी के अनुसार सुशांत बेहेरा, वर्कमैन ग्रेड-3 सियालदह राजधानी के बी-9 एसी-थ्री टायर में ड्यूटी पर तैनात थे. 15.01.2018 को रात्रि के 10 बजे यात्रियों को खाना देने के बाद श्री बेहेरा कोच के पैसेंजर के लिए आइसक्रीम लेकर जा रहे थे. इसी दौरान उनके आइसक्रीम का कार्टून बी-3 कोच में आरोपी पैसेंजर मोहमद ज़ैद से टकरा गया. जिसके फलस्वरूप आरोपी श्री सुशांत को बेहोश होने तक दरिदें की तरह पीटता रहा.
इस दौरान ट्रेन के बाकी यात्री मूकदर्शक बन कर तमाशा देखते रहें. हाँ, इन्ही यात्रियों में से किसी यात्री ने रेल सिक्योरिटी स्टाफ को इस घटना की जानकारी दी. जिसके बाद आरपीएफ ने आरोपी मो. जैद और उनके चाचा मो. क़ुरैसी को पकड़कर जीआरपी को सौप दिया है. इसके बाद धारा-307 के तहत एफआईआर दर्ज कर कलकत्ता जीआरपी ने दोनों को गिरफ़्तार कर लिया है.
इधर बुरी तरह जख्मी श्री बेहेरा को ट्रेन से बिहार के गया स्टेशन पर ईलाज के लिए उतारकर एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जिसके बाद डॉक्टर ने गंभीर ब्रेन इंजुरी पाया और कलकत्ता रेफर कर दिया है. इसके बाद उनका ईलाज अभी कलकत्ता के ओपोलो अस्पताल में चल रहा है. उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है. आइआरसीटीसी ईस्ट के ग्रुप जेनेरल मैनेजर देबासीस चंद्र ने अस्पताल जाकर उनकी स्थिति का जायजा लिया है. कलकत्ता के अपोलो अस्पताल के डॉक्टर ने उनके शरीर के बाये हिस्से में पैरालाइसिस की बात बताई है. इसके साथ ही ब्रेन इंजुरी की बात भी स्वीकारी है.
इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए कम है. मगर केवल निंदा कर देने से काम नहीं चलेगा. आजकल छोटी-छोटी बातों पर मारपीट और हत्या आम बात हो गई है. मगर कभी आपने सोचा है यह आखिर क्यों हो रहा है? इसका सबसे बड़ा कारण गलत होता देख हमारी चुप्पी है. आप ही सोचकर देखिये उस ट्रेन में 70 पैसेंजर और भी थे. अगर उनमे से कोई भी मानवता के नाते बीच-बचाव करता तो शायद यह खतरा टल सकता था. मगर किसी ने कोशिश की ही नहीं. आखिर यात्री लोग रेल वर्कर को पीटता देखकर चुप क्यों रहें?
क्या उन सभी की आईआरसीटीसी वर्कर से जाति दुश्मनी थी या उनके गुस्सा का वजह खराब रेल सर्विस तो नहीं. जिसके कारण श्री बेहेरा को पिटाई उनको जायज लगी. इस घटना को देखे तो उसकी पिटाई करने वाला न तो कोई अपराधी था और न ही उसके पास कोई हथियार ही था. ऐसे में किसी का बीच-बचाव न करना रेल विभाग के प्रति यात्रियों का गुस्सा ही है जो कि आये दिन वर्कर पर फुट रहा है. अब इसके लिए रेल मंत्री को या आईआरसीटीसी के अध्यक्ष को पीटने तो जायेगा नहीं.
हम अपने इस ब्लॉग के माध्यम से आईआरसीटीसी के वर्करों को आगाह करते हैं कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है. अभी से सब एक हो जाये. इसके साथ ही रेलमंत्री श्री पियूष गोयल और आईआरसीटीसी के अध्यक्ष से मांग करते हैं कि प्रबंधन घायल श्री सुशांत के बेहतर ईलाज पूरा प्रबंध करे व् ईलाज का पूरा खर्च उठाये. जब तक वो पूरी तरह ठीक नहीं होते उनको ड्यूटी पर मानकर हर माह यथावत उनके पुरे सैलरी व् अन्य का भुगतान करे.
जब राजधानी जैसे ट्रेनों में इस तरह की घटना हो सकती है तो बाकि ट्रेनों की स्थिति क्या होगी? जल्द से जल्द वर्करों के सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाए. नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब आये दिन प्रबंधन के खराब सेवा के कारण कभी कोई सांसद वर्कर के मुंह में कोई रोटी ठूंसेगा तो कोई पैसेंजर जानलेवा हमला करेगा.
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