अभी के समय में देश में ग्राम पंचायत से लेकर ऊपर स्तर के चुनाव जीतते ही मुखिया सरपंच, विधायक संसद बनते ही लोग बेहिसाब संपत्ति के मालिक बन जाते हैं. ऐसे समय में त्रिपुरा सीएम माणिक सरकार की कहानी सबसे उलट है. सबसे हैरत की बात यह है कि वो लगातार 5 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के वावजूद उनकी संपत्ति बढ़ने के वजय ओर घट गई है.
उनके हलफनामे के अनुसार, सीएम के पास 0.01 एकड़ जमीन है जो कृषि योग्य नहीं है. इस पर उनके भाई का भी हक है. इसके अलावा माकपा के वरिष्ठ नेता के बैंक खाते में 20 जनवरी तक 2410 रुपये थे. वर्ष 2013 में उनके पास 9,720 रुपये थे. इससे यह साबित होता है कि पिछले पांच वर्षों में उनकी संपत्ति में बहुत कमी आई है. आज के दौर में अभी भी वो मोबाइल नहीं रखते हैं. उनकी पत्नी पांचाली भाट्टाचार्य पूर्व सरकारी कर्मचारी रह चूंकि हैँ. इसके वाबजूद उनके खाते में कुल 12.15 लाख रुपये हैँ. इसके अलावा उनके हाथ में 20,140 रुपये नकद हैं. पांचाली सरकारी कर्मचारी रह चुकी हैं.
दूसरी तरफ, त्रिपुरा में भाजपा पैर ज़माने की भरपूर कोशिश में लगी है. त्रिपुरा के 60 सीटों वाली विधानसभा में इस बार भाजपा की कोशिश 1988 से सत्ता में रहे मानिक सरकार के हाथ से कमान छीन कर कॉम्युनिस्ट राज को खत्म करने की है. हालांकि बीजेपी के लिए यह काम इतना आसान नहीं है. अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 49 सीटों पर भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी. वहीं सीपीएम ने 55 सीटों पर चुनाव लड़कर 49 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस ने 48 सीटों पर चुनाव लड़कर 10 सीटें जीती थीं.
माणिक सरकार वर्ष 1998 से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं. उनकी संपत्ति का ब्यौरा ऐसे समय सामने आया है, जब जनप्रतिनिधियों की संपत्ति में बेहिसाब वृद्धि एक मुद्दा बना हुआ है.संपत्ति को लेकर देश के कई जनप्रतिनिधि विवाद के केंद्र में हैं. जानकारी के अनुसार आगामी 18 फरवरी को त्रिपुरा के 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव होने हैँ. ऐसे में वाम मोर्चा माणिक सरकार के नेतृत्व में लगातार छठवीं बार सत्ता में आने को लेकर आश्वस्त है.
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