दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने 3 मार्च 2017 को अधिसूचना जारी कर अकुशल, अद्र्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी क्रमश: 13, 350 रुपए, 14, 698 रुपए तथा 16,182 रुपए तय किया था. दिल्ली के लाखों मजदूरों के मजदूरी में बढ़ोतरी के खिलाफ फैक्ट्री मालिकों व अन्य कारोबारियों, पेट्रोल पंप मालिकों ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसके बाद माननीय कोर्ट ने उपरोक्त बढ़ा हुआ न्यूनतम वेतन लागू नहीं करने पर याचिका के फैसला होने तक सख्त करवाई करने से मना कर दिया था. जिसके बाद से यह पुरे तरीके से लागू नहीं हो पाया है.
दिल्ली न्यूनतम मजदूरी मामले
जानकारी के अनुसार राजधानी में मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले करीब 65 लाख मजदूरों ने दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल को पत्र लिखकर न्यूनतम बढ़ी हुई न्यूनतम मजदूरी के मामले का जल्द से जल्द निपटारा करने की गुहार गुहर लगाई है. इसके साथ ही मजदूरों के सभी 11 संगठनों ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मित्तल से बढ़ी हुई न्यूनतम मजदूरी से जुड़े मामले में त्वरित फैसला देने का आग्रह किया है.
इस पत्र में कहा गया है कि केजरीवाल सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी किए हुए 11 माह हो गए हैं, लेकिन हाईकोर्ट में केस लंबित होने की वजह से उनको इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. मजदूरी में बढ़ोतरी के खिलाफ फैक्ट्री मालिकों व अन्य कारोबारियों, पेट्रोल पंप मालिकों ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है.
जानकारी के लिए बता दें कि उपरोक्त मामले की सुनवाई करते हुए माननीय मई 2017 में कहा था कि आप कर्मचारियों को देखिये. उन्हें अपना परिवार भी चलाना होता है और आप न्यूनतम मजदूरी 13,000 से 16,000 किए जाने को चुनौती दे रहे हैं. हालांकि अदालत ने यह भी आदेश दिया कि उन नियोक्ताओं के खिलाफ अगले सुनवाई तक कोई कार्रवाई नहीं होगी. जिन्होंने अधिसूचना लागू नहीं की है. ऐसे खुद अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी याचिकाकर्ता हलफनामे में यह कहने की स्थिति में नहीं है कि वे श्रम कानून के तहत उपलब्ध लाभ अपने कर्मचारियों को दे रहे हैं.मजदूरों की ओर से हाईकोर्ट में केस लड़ रहे वकील अशोक अग्रवाल ने बताया कि भले ही पत्र में 40 लाख मजदूर का जिक्र किया गया है, लेकिन इनकी संख्या 65 लाख है. श्री अग्रवाल ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी के सरकार के फैसले को लागू करने पर रोक लगाए जाने की वजह से 65 लाख मजदूरों को हर माह 350 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. इस मामले में मजदूरों की ओर से भी वकील अग्रवाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर चुके हैं. हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा है.
Minimum wages shall be hiked with immediate effect.
बिल्कुल 100% सहमत, मगर न्यूनतम वेतन ही क्यों समान वेतन भी मिलना चाहिए.
सर हमारी कंपनी किसी को बोनस नही देती जबकी सेलरी नये गिरड से कम कर दी बारह हजार कुछ दे रही है और अब चार चार करके सभी को निकाल रहा है पेसिलिप सभी के पास है F23/3औखला फेस 2 हम लोग दो साल से पांच साल तक पुराने है
इसके लिए आप लेबर कमिश्नर के पास लिखित शिकायत करें.अच्छा होगा कि आपलोग संगठित होकर किसी यूनियन को join कर मालिक के खिलाफ संघर्ष करें. हमारे ब्लॉग को नियमित रूप से पढ़ें और अपने साथियों को भी जानकारी दें.
Hello sir
Namaskar sir, Delhi gove. Ne jo minimum wage skills ka 16,962 kiya hai. company wale 16,962 se esic or epf kaat ke 15300 in hand kar diya hai.sir 15300 to semi skilled se bhi kam hai. Plzz.. Help me.
Hello Bhai
Aapka Minimum Wages = Basic+Da hota hai. eske alawa agar koi allownace company ke dwara nhi milta to aapke hisse ka PF+ESI ka contribution deduct hoga …uske baad jo bachenga wahi aapka inhand salary hoga…jald hi eske bare me detail batayunga…apne YouTube Channel ke dwara- Subscribe kar len – WorkerVoice.in
Namaskar sir,
Minimum wages act. 1948 ke hisab se dekhe to delhi me minimum wage da+basic hota hai. But es act me likha hai ki minimum wages dose not include pf/esi contribution.Any contribution paid by employer. Sir app hame ye bataoo jo skill category me delhi gove. Ne jo 16,962 kiya hai.minimum wages 1948 act. ke hisab se 16962 to inhand salary hi hona chahiye or baaki ke all contributions company yani employer ko extra pay karna parega. Jo ki ctc salary se paid hoga. Dhanyabad
"es act me likha hai ki minimum wages dose not include pf/esi contribution", dost agar aap yah bta dete ki act ek kis section me likhaa hai to mai bhi conform ho leta. Agar aapne padha hai to please batayen.