पिछले साल मोदी सरकार के द्वारा एक कड़ा फैसला लेते हुए नोटबंदी किया गया. जिसके बाद लगभग छोटे उद्योग ठप हो चुके हैं और मांग में कमी के कारण बिक्री नही हो रही, जिससे फैक्टरियों में उत्पादन बहुत कम हो पा रहा है. इसका सबसे बड़ा असर मजदूर तबका पर पड़ा है. जागरण के रिपोर्ट के अनुसार केवल दिल्ली में हजारों मजदुर बेरोजगार हो चुके हैं. इससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था ठप हो गई है. मगर पीएनबी में 11,400 करोड़ रुपये के फ्रॉड का मामला सामने आने के बाद रही-सही कसार पूरी हो गई है.
पीएनबी की एक ब्रांच ने अरबपति ज्वैलर नीरव मोदी और उनसे जुड़ी कंपनियों को (एलओयू) लैटर ऑफ अंडरटेकिंग और फॉरेन लैटर ऑफ क्रेडिट (एफएलसी) जारी किए जिसके आधार पर उन्होंने विदेशों में स्थित भारतीय बैंकों से कर्ज उठाया. एलओयू दरअसल एक पत्र होता है जो एक बैंक अपने ग्राहक के लिए दूसरे बैंक को जारी करता है. एलओयू जारी होने पर दूसरा बैंक उक्त ग्राहक को उस पत्र के आधार पर लोन दे सकता है. एलओयू मतलब एक तरह का ग्रांटर बनना कह सकते हैं.
इस पूरे क्रम में विदेश स्थित बैंकों की उन शाखाओं के स्तर पर भी लापरवाही बरती गई है जिन्हें एक ही कारोबारी के लिए लगातार कई वर्षों से एक ही शाखा से अरबों रुपये के एलओयू प्राप्त हो रहे थे. नियमों के मुताबिक, उन बैंकों के अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट पीएनबी के उक्त शाखा प्रबंधक के साथ ही अपने मुख्यालय को भी करनी चाहिए थी. मगर ऐसा नहीं किया गया. इसके कारण विदेश स्थित इन बैंकों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदेहास्पद होती है.
जागरण के अनुसार इसके बारे में यह भी कहा जा रहा है कि पीएनबी को हजारों करोड़ की चपत लगाने वाले नीरव मोदी के मददगार बैंक के अंदर ही बैठे थे. सच तो यह है कि सात साल से चल रही इस घपलेबाजी में शामिल नीरव के मददगार बैंक शाखा के अंदर ही एक गुप्त शाखा चला रहे थे, जिसकी जानकारी केवल उन्हीं लोगों को थी. इसीलिए स्विफ्ट जैसे सिस्टम का सहारा लिया गया, ताकि बैंक प्रबंधन को भी इसकी भनक न मिले.
खैर सरकार जाग गई है. 1 जनवरी 2018 को नीरव मोदी के फरार होने के बाद पीएनबी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो में आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है. इसके साथ ही पीएनबी ने शुरुआती जांच में इस मामले में लिप्त पाए गए 10 कर्मचारियों को निलंबित भी किया है.
ऐसे प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने संसद में साफ कहा कि मैं एनपीए के तह में जाऊंगा और किसी को बख्शा नहीं जाएगा. कोई लोन जो हमारे सरकार में जो दिया गया है वह एनपीए नहीं हुआ है. एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार नीरव मोदी के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्रवाई सख्त चल रही है.
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