नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के द्वारा नया न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) 37% की बढ़ोतरी किये लगभग 1 वर्ष से भी अधिक बीत चुके हैं. मगर हकीकत यह है कि मात्र कुछेक कंपनियों या संस्थाओं छोड़कर यह न्यूनतम वेतन धरातल पर सही लागू नहीं हो पाया है. आये दिन कहीं न कहीं इसको लागू करने की मांग उठती रहती है. इसी गलती को ऐडी विक्टोरियम गारमेंट फैक्ट्री ओखला के वर्कर ने दुहराया था. जिसके बाद दिल्ली सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन मिलना तो दूर उलटे उनको नौकरी से निकाल दिया गया. इसको गैरकानूनी बताते हुए वर्करों ने जेनरल मजदुर लाल झंडा यूनियन (सीटू) के बैनर तले फैक्ट्री के गेट पर प्रदर्शन किया.
आज से एक वर्ष पूर्व फरवरी 2017 में दिल्ली सरकार ने दिल्ली में अकुशल, अर्ध-कुशल और कुशल कर्मियों के न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) में करीब 37 प्रतिशत वृद्धि को मंजूरी दे थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राज्य मंत्रिमंडल के इस फैसले की घोषणा करते हुये कहा कि सरकार ने पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग द्वारा बनाई गई 15 सदस्यीय समिति की इस संबंध में की गई सभी सिफारिशों को मंजूरी कर लिया.
Schedule of Employments
|
Category of Workmen/Employees
|
Minimum rates of wages in Rupees
|
||
Per Month
|
Per Day
|
|||
All Schedule employments
|
Unskilled
|
13,350/-
|
513/-
|
|
Semi skilled
|
14,698/-
|
565/-
|
||
Skilled
|
16,182/-
|
622/-
|
||
Clerical and supervisory staff
|
||||
Non Matriculate
|
14,698/-
|
565/-
|
||
Matriculate but not Graduate
|
16,182/-
|
622/-
|
||
Graduate and above
|
17,604/-
|
677/-
|
- मोदी सरकार के इस कानून के लागू होते ही बैंक के खातों पर से आपका अधिकार समाप्त
- गाजीपुर से लेकर अक्षरधाम तक एनच-24 के चौड़ीकरण के बीच पैदल यात्री की जान अटकी
- मोदी सरकार फिर भी अड़ी रही तो राष्ट्रीय महापड़ाव के बाद भी संघर्ष जारी रहेगा
हर जगह यही हाल है। कही भी अगर हक की बात करोगे तो निकाल दिए जाओगे। सबसे बड़ी बात आजकल की शिक्षा आपको नपुंसक बनाती जा रही है जिसे ग्रहण करने के बाद लोग विरोध करना भूल मालिको के तलवे चाटने लग गए है।