रेलवे बोर्ड ने आईटीआई की अनिवार्यता खत्म की, आंदोलन इन छात्रों के लिए भी

आज छात्रों के भारी विरोध को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने आईटीआई की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. अब ग्रुप डी परीक्षाओं के लिए आटीआई या एनसीटी योग्यता की दरकार नहीं रहेगी. मंत्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर इस फैसले की जानकारी दी है. रेल मंत्री ने एक के बाद कई ट्वीट किए हैं. एक तरह से यह फैसला उन लाखों छात्रों की जीत है जो कि पिछले कई दिनों से न केवल आंदोलन कर रहे थे, बल्कि पुलिस की लाठियां भी खाई.

Railways has decided for this exam, there is no insistence on ITI or NTC qualification for the entire group D, we are reverting back to the criteria which were existing earlier: @PiyushGoyal

माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा है कि इस पूरे विषय में सरकार से युवक-युवतियों की, जनता जनार्दन की उम्मीदें हैं. सबको समान मौका मिले, रेलवे बोर्ड ने रेलवे भर्ती की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिले, इसलिए जनहित में फैसले लिए हैं. बताया कि कक्षा 10 या ITI या NCVT का प्रमाणपत्र रखने वाले सभी अभ्यर्थी अब लेवल-1 की परीक्षा के योग्य माने जायेंगे. वे वह इन पदों के लिये आवेदन कर सकते हैं.

A class 10th pass or ITI (Industrial Training Institute) degree holder or NCTVT (National Council for Training in the Vocational Trades) degree holder would be deemed eligible to apply for the jobs in Level 1 Group C & D: Railway Minister Piyush Goyal

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि पहले 10वीं कक्षा पास विद्यार्थी लेवल-1 परीक्षा में भाग ले सकते थे.  हम इस स्थिति को पुनः स्थापित कर रहे हैं. अब इस परीक्षा के लिये 10वीं पास विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं.
रेल विभाग ने असिस्टेंट लोको पायलट तथा तकनीशियन के पदों पर बहाली निकाली है. जिसमें लगभग 12 गुना से भी ज्यादा शुल्क में बढ़ोतरी तथा उम्र सीमा में कटौती की है. जिसके खिलाफ बिहार में कई दिनों से आंदोलन चल रहा था. जिसके अंतर्गत प्रदर्शन बिहार के पहले आरा स्टेशन पर शुरू हुआ. जिसके बाद पुलिस को गोली तक चलानी पड़ी.
सुनने में यह तक आ रहा है कि सरकार के तरफ से सैंकड़ों छात्रों के ऊपर केस दर्ज ही नहीं किया गया बल्कि कई को जेल में भी डाला गया है. इसके बाद भी दूसरे दिन छात्रों ने राजेंद्र नगर टर्मिनल पर भी पटरी जाम कर विरोध प्रदर्शन किया. इतना ही नहीं बल्कि तीसरे दिन पटना में अलग-अलग स्थानों पर विरोध में हिंसक प्रदर्शन जारी रहा. एक तरह से इन आंदोलनकारी छात्रों की जीत है.
अब एक आंदोलन जिन छात्रों को मुकदमा में फंसा कर जेल भेजा गया उनपर से मुकदमा वापस लेकर जेल से रिहा करने के लिए भी बनता है. इसमें उनका क्या दोष था. उनकी मांग नहीं सुनी गई. जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई. अगर उनके ऊपर से केस वापस नहीं लिया गया तो उनका भविष्य बर्बाद हो जायेगा और फिर इस जीत का कोई मायने नहीं रहेगा. अपने इस पोस्ट के माध्यम से माननीय रेलमंत्री से दर्खास्त करते हैं कि इस आंदोलन में जो भी केस दर्ज हुए उनको तुरंत वापस लिया जाए.
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