अगर महीना-दर-महीना काम करने के बाद भी मालिक आपका मेहनताना ने दें तो आप सरकार से गुहार लगाते हैं. मगर अगर सरकार ही कुछ ऐसा करे, तो भगवान् ही मालिक है. ऐसा ही कुछ है बिहार नियोजित शिक्षकों का हाल. बिहार सरकार ने प्रखंड व् पंचायत शिक्षकों का वेतन अगस्त 2017 से नहीं दिया है. जिसके कारण आये दिन पैसों के अभाव में शिक्षकों की मौत आम बात हो गई है. जिसके लिए न तो राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठा रही और न ही कोई संघ या संगठन ही. अभी हाल ही में 6 महीने से वेतन नहीं मिलने से दवा के अभाव में शिक्षक की मौत हो गई.
दवा के अभाव में शिक्षक की मौत
गोपालगंज जिले के बरौली प्रखंड के प्रखंड शिक्षक मदन पासवान ने दवा के अभाव में कल संघर्ष करते करते दम तोड़ दिया. उनके बारे में बताया जा रहा है कि उनकी दोनों किडनियां ख़राब हो चुकी थी. जिसका पिछले कई महीनों से लखनऊ पीजीआई में ईलाज चल रहा था. उनके पत्नी के अनुसार ईलाज में काफी पैसा लग रहा था और पैसों की काफी तंगी थी. विभाग से वेतन नहीं मिलने और दवा के अभाव में शिक्षक की मौत हो गई
वो किसी तरह सगे-संबंधियों से पैसे लेकर उनके ईलाज में खर्च कर रही थी. मगर पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला और रिश्तेदारों का कर्ज बढ़ता गया. जिसके कारण उनका दवा दारू ठीक ढंग से हो नहीं पाया. जिसके कारण उन्हीने दम तोड़ दिया. बिहार की यह पहली घटना नहीं है जब वेतन नहीं मिलने के कारण किसी शिक्षक की जान गई हो. इसके बाद कुछ शिक्षक संगठनों की नींद खुली और मृत शिक्षक के लिए बिहार सरकार से 10 लाख मुआवजे की मांग की है.
शिक्षकों को 6 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया?
अब हम इस ब्लॉग के माध्यम से बिहार सरकार से एक सवाल पूछना चाहते है कि आखिर शिक्षकों को किस आधार पर पिछले 6 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया? अगर सरकार के पास फण्ड का प्रॉबल्म है तो फिर अभी कुछ दिन पहले रैली कैसी आयोजित की गई थी? क्या मुख्यमंत्री साहब ने खुद भी 6 महीने से सरकारी पैसे से कोई सुविधा, वेतन आदि नहीं लिया? क्या सारे सरकारी काम बंद हैं?
अगर नहीं तो फिर कैसे मान लें कि सरकार के पास फंड नहीं है. यह हो सकता है कि बाकि लोगों के इस घटना से कोई फर्क न पड़ा हो, मगर जिसके घर का एकलौता कमाने वाला चला गया, उसका क्या? यह तो सीधा-सीधा सरकार के ऊपर गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है. मगर आखिर लड़ेगा कौन, सरकार के खिलाफ, जिसके पास पुलिस है, प्रशासन है.
अभी सारे संघ संगठन केवल समान काम का समान वेतन में माथापच्ची में लगे हैं. मगर पहले भी बताया था कि जब 20 हजार देने में सरकार को 6 महीने लग जाते हैं तो समान वेतन तो शायद रिटारमेंट के बाद ही मिले. अब भले ही सुप्रीम कोर्ट में मुद्दा पेंडिंग है मगर सैलरी मांगने से किसने रोका है. हमें नहीं लगता कि इस मुद्दे पर हड़ताल नहीं बनता.
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