पंजाब के ठेका कर्मचारियों के केस की सुनवाई करते हुए 26 अक्टूबर 2016 को अस्थाई कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक फैसला देते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि “अस्थाई या कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों को भी नियमित कर्मचारियों के बराबर सैलरी मिलनी चाहिए”. आज इस फैसले के दो वर्ष बीतने जा रहे है. अब इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के समान वेतन का फैसला दिया है. जिसके बाद सरकार को बिहार Niyojit Teacher ने की योग्यता के आधार पर समान वेतन की मांग की.
बिहार Niyojit Teacher ने की योग्यता के आधार पर वेतन की मांग
सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्टूबर 2016 के आदेश को लागू करने के के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. आज भी देश के किसी विभाग का कर्मचारी इस फैसले का हवाला देते हुए समान वेतन देने की मांग करता है तो उनको विभाग प्रशासन द्वारा तुरंत ही नौकरी से निकाल दिया जाता है. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर पटना हाई ने इतिहासिक फैसला देते हुए 3.50 लाख बिहार नियोजित टीचर के लिए “समान काम का समान वेतन” लागू करने का आदेश जारी किया.
बिहार सरकार के अधिवक्ता ने वित्तीय स्थिति का रोना
पटना हाई कोर्ट के इस फैसले को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जिसके बाद 29 जनवरी 2018 को दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपना-अपना पक्ष रखा. बिहार सरकार के अधिवक्ता ने वित्तीय स्थिति का रोना रोया और एक तरह से माननीय कोर्ट को अपनी बातों से सहमत भी कर लिया. दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय सर्वोच्य न्यायालय ने राज्य के चीफ सेक्रटरी लेबल के 3 अधिकारियों का एक कमिटी बनाकर एक विश्लेषण रिपोर्ट जमा करने का आदेश जारी किया.
इसके बाद कहे तो बिहार सरकार को मन का मुराद मिल गई हो. हमारी मानिये तो वो यही तो चाहते थे. हमने पूर्व के अपने लेखों में भी इसकी आशंका जताई है.(पूर्व के लेख इस पोस्ट के नीचे मौजूद हैं).
बिहार नियोजित टीचर ने की योग्यता के आधार पर समान वेतन की मांग
आइये अब इसके बाद क्या हुआ उसपर गौर करते हैं. कोर्ट के आदेश का हवाला देकर राज्य सरकार ने प्रेस विज्ञापन देकर सम्बंधित हितधारकों यानि शिक्षकों से इस मुद्दे पर सुझाव आमंत्रित किये. बिहार सरकार के तरफ से जबाब के अनुसार इसके बाद कुल 3566 सुझाव ईमेल/हाथों हाथ प्राप्त हुए. जिसके बाद 2796 लोगों ने पूर्व के पटना हाई कोर्ट फैसला दिनांक 31.102017 को लागू करनी की बात की है.
जो की बहुत अच्छी बात है और होना भी यही चाहिए मगर दूसरी तरफ देखे तो 461 लोगों ने “योग्यता के आधार पर सहायक शिक्षक के बराबर वेतन” की मांग की है. हमारी समझ से ऐसा परीक्षा के माध्यम से ही संभव है.इसमें कुल 34 लोगों ने अन्य कारण तो 214 लोगों ने कोई भी सुझाव नहीं दिए है. जबकि इसके आलावा 44 लोगों ने योग्यता के आधार पर पृथ्थीकरण कर राज्य सरकार द्वारा न्युक्त सहायक शिक्षकों के बराबर वेतन देने की बात की है. वही 11 लोगो ने अनुभव के आधार पर वेतन देने की बात की तो 2 लोगों ने नया पे स्केल देने की. मगर यह क्या? 4 लोगों ने कहा कि नए वेतन की कोई आवश्यकता ही नहीं है. जो की हास्यपद ही है.
हमें सरकार के इस रिपोर्ट पर शक है. यह कतई मानने वाली बात नहीं है कि कोई यह लिखकर दें कि हमें नए वेतनमान की आवश्यकता ही नहीं है. इसके आलावा 25 लाख रूपये एरियर का भी नहीं चाहिए. हम सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों का पक्ष रखने वाले शिक्षक नेताओं अपील करते हैं कि कृपया उन 4 लोगों का पता करें जिन्होंने यह लिख कर दिया है. कही बाद में ये न पता चले की खुद सरकार ने फर्जी लोगों के दवारा “समान वेतन” लागू न करने के मंशे से इस तरह का ईमेल कर लिया हो.
अभी के पासआउट स्टूडेंट से कैसे मुकाबला कर पायेंगे?
हां, हम यह मान सकते हैं कि कुछ नये युवा और खुद को ज्यादा पढ़े लिखे काबिल समझने वाले शिक्षक समान वेतन पाने के लिए कुछ ज्यादा ही उतावले हो रहे हैं. अब चाहे जिन लोगों ने भी कमेटी को परीक्षा लेकर समान वेतन देने की गुजारिश को हो. उनसे निवेदन है कि अगर वो उतना ही पढ़े लिखे और दक्ष हैं तो और भी परीक्षा है. वो वहां भी अप्लाई कर सकते हैं. किसी ने रोका नहीं है दोस्त.
हम मानते हैं कि हो सकता है कि आप अभी के पासआउट हैं. यह भी हो सकता है कि ज्यादा पढ़े लिखे हो, तो इसका मतलब यह थोड़े है कि आप कोर्ट के पूर्व फैसले से परे हटकर लाखों शिक्षकों का हक़ मारकर अपनी बात करोगे. अब सवाल है कि जो लोग पिछले 8 या 10 साल से स्कुल में बच्चों को ABCD.. या 12345.. पढ़ा रहे हैं. वो आप के जैसे, अभी के पासआउट स्टूडेंट से कैसे मुकाबला कर पायेंगे?
बिहार नियोजित टीचर योग्य ही नहीं थे तो ?
अब आप यह मत सोचियेगा कि हम निगेटिव बातें फैला रहे या आपको डरा रहे हैं. कुछ लोग ये भी सोच रहे है कि ज्यादातर लोग तो पटना हाई कोर्ट के फैसला को लागू करने की मांग की ही है तो 400 या 500 लोगो के परीक्षा मांगने से क्या होगा? यह याद रखे कि एक बड़े जहाज को भी एक छोटा सा छेद भी डूबा सकता है. आज 3.5 लाख लोगों के लिए जिस तरह 3566 लोगों ने लिखित में सुझाव दिया है. इसका मतलब 1 आदमी ने लगभग 982 लोगों को Represent किया है.
इससे आगे खुद जोड़ लें कि 500 लोगो का मतलब क्या निकलेगा. सामने वाले से जीतने के लिए उनके मंशा और उसके चाल की जानकारी होना अतिआवश्यक है. आप देख लेना पिछले बार की तरह इस बार भी सरकार योग्यता पर ही सवाल उठायेगी. अरे भाई जब आप योग्य ही नहीं थे तो आपको 60 वर्ष की उम्र तक क्या भांग खा कर सरकार ने नियोजित कर लिया था.
खैर, आने वाले 15 मार्च 2018 यानी एक दिन बाद को सुप्रीम कोर्ट में अहम् बहस होना है. हमने पहले भी कहा था कि नियोजित शिक्षक के मामले में पूर्व के सुप्रीम कोर्ट का फैसला (26 अक्टूबर 2016) ही लागू होना चाहिए. जिसमे कहीं भी परीक्षा की बात ही नहीं है. मगर हमारे समझ से ऐसा लग रहा है कि सरकार हर हाल में परीक्षा लेने के लिए व्याकुल है. अगर सरकार अपने मनसूबे में कामयाब होती है तो इसके बाद लाखों लोगों को नौकरी से बाहर निकालने का रास्ता साफ़ होना तय है.
किसी भी हाल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व का फैसला पलटना नहीं चाहिए. अगर ऐसा होता है तो यह ठेका वर्कर के लिए एक काला दिन साबित होगा. अगली सुनवाई के लिए लोगों ने एक से बढ़कर एक वकील रख लिए हैं. उम्मीद करूंगा कि सभी शिक्षक नेतागण तालमेल रखेंगे और अपने अपने वकील को भी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले के अनुसार पटना हाई कोर्ट के फैसले पर अड़े रहने की गुजारिश करेंगे. अब भले ही सुप्रीम कोर्ट फैसले को ख़ारिज ही क्यों न कर दें. हमारी इतनी संख्या है कि कल हम आंदोलन का दबाव बनाकर बाद में भी ले सकते हैं. मगर किसी भी हाल में परीक्षा पर समझौता नहीं होना चाहिए.
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