Blog – आज भी भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अंतर्गत ई-टिकटिंग विभाग यानि आईटी सेंटर IRCTC महिला वर्करों के 10-12 बजे बाथरूम रोक पर न्याय की आश में हैं. उनका मानना है कि इस पुरुषवादी समाज में महिला के शोषण के लिए महिला भी कम जिम्मेवार नहीं है. दुर्भाग की बात है कि हमारे देश का शासन व्यवस्था अपराधी के साथ उसके जेब और कद के साइज के हिसाब से ही व्यवहार करता है. अपने साथ हुए अन्याय और शोषण के खिलाफ वे लोग पिछले 3 वर्षों से संघर्षरत है.
IRCTC महिला वर्करों के 10-12 बजे बाथरूम रोक
आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है. यह पुरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है. यह कब से और क्यों मनाया जाता है इसपर आपको गूगल पर लाखों पोस्ट मिल जायेंगे. ऐसे आज के दिन जिधर देखिये उधर ही महिला अधिकारों की बात होती है. हम सब मिलकर कुछ प्रण लेते हैं और फिर कुछ समय बाद शायद भूल जाते हैं. यह ठीक उसी तरह है जिस तरह स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्रता दिवस पर हर कोई देशभक्ति दिखाने में पीछे नहीं रहता, मगर दूसरे ही दिन सब कुछ पहले जैसा हो जाता है. कहीं कोई भी घटना घट जाए तो सबसे पहले हम दूसरे को कोसने में पीछे नहीं रहते, मगर यह भूल जाते है कि अधिकार के साथ ही साथ कुछ जिम्मेवारी हमारी भी बनती है. लोग अपने अधिकार को तो याद रखते मगर जिम्मेवारी भूल जाते हैं.
आज आजादी के 70वी वर्षगांठ मना चुके हैं मगर आज भी वर्कर को गुलाम के नजर से ही देखा जाता है. सबसे हैरानी की बात यह है कि आईआरसीटीसी प्रबंध के तुगलकी फरमान “सुबह 10 से 12 बजे बाथरूम रोक: का विरोध करने पर 99 लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया. जिसके खिलाफ आज भी कुछ लोगों ने लड़ाई जारी रखी हैं.
आईआरसीटीसी के बारे में जाने
आईआरसीटीसी में वर्षों से काम कर रहे वर्करों ने जब मैनेजमेंट से परमानेंसी की मांग की तो मैनेजमेंट ने नोयडा ट्रांसफर करने का स्वांग रचा. जिसके विरोध वर्करों ने खुल कर किया. जिससे मैनेजमेंट को मुंह की खानी पड़ी. इससे खफा होकर वो पुरुष वर्करों का कुछ कर नहीं पाए तो महिला वर्करों पर अत्याचार करने लगें. ऐसे भी महिला वर्करों की संख्या ज्यादा थी और मैनेजमेंट के खिलाफ अगली पंक्ति में खड़ी होती थीं. जिसका खमियाजा भुगतान पड़ा और कस्टमर केयर के महिला वर्करों को भी परेशान किया जाने लगा. उनको “सुबह 10 से दोपहर 12 बजे बाथरूम” जाने पर रोक लगा दिया गया.
IRCTC: A classic example of exploitation of employees (Watch Story Video)
इसके कारण कई महिलाओं को किड्नी से संबंधित व कई अन्य बीमारी हो गई. इसके खिलाफ महिला वर्करों ने आवाज उठाते हुए 15.06.2015 को CMD, IRCTC को पत्र लिखा, मगर कारवाई होता न देखकर दिनांक 07.07.2015 को रिमांडर दिया. आवाज उठाने वाले महिलाओं को पड़ताड़ित ही नहीं बल्कि अभद्र व्यवहार, गाली-गलौज का भी सामना करना पड़ा. आपको जानकर आश्चर्ज होगा कि इस काम में उनके अधिकारी से लेकर कुछ पुरुष सहकर्मी भी शामिल थे.
इन सबके खिलाफ हमारे पास अभी भी आधा दर्जन लिखित प्रमाण है. मगर आरोपियों पर करवाई करने के वजाय प्रबंधन ने उल्टा शिकायत करने वाले और उनके साथ खड़े वर्करों को ही 11.07.2015 को नौकरी से निकाल दिया. जिसमें नेतृत्व करने वाले 4 पुरुष वर्कर व 2 महिला नेत्री शामिल थी. इसके बाद उनलोगों ने हार नहीं मानी और धरना देने के साथ ही साथ दिल्ली पुलिस, दिल्ली महिला आयोग व नेशनल महिला आयोग मानवाधिकार आयोग, PMO आदि को भी शिकायत किया. मगर किसी ने कोई कारवाई नही की.
IRCTC Workers Protest at IT Center, New Delhi
आज भले ही दिल्ली महिला आयोग की स्वाति मालीवाल मिडिया में आने के लिए रोज नये-नये स्वांग रच रही है, मगर उनकी असली तस्वीर हम देख चूंके हैं. जिस काम के लिए सरकार महिला आयोग पर लाखों रूपये खर्च कर रही है, सब बेकार है. अगर हमारी बात पर यकीन न आये तो आप खुद ही किसी मामले में जाकर देख सकते हैं. दिल्ली महिला आयोग के सदस्य ने तो खुलेआम कहा कि “आईआरसीटीसी ने कैसे लड़ पाओगे? वह तो जज को ही खरीद लेते हैं”.
उनलोगों ने समझौता का दबाब बनाया मगर हम झुके नहीं. अपनी सुनवाई के दौरान महिला आयोग ने पाया कि आईआरसीटीसी ने सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के मुताबिक इंटरनल कंप्लेंट कमिटी का गठन ही नहीं कर रखा है. मगर तब भी उनलोगों ने मामला गोल मोल कर दिया. जिसके खिलाफ कर्मचारीगण स्वाति मालीवाल से मिलने की कोशिश की तो पहले तो 2-3 दिन चक्कर लगवाया और जब उनके बिना ईजाजत के उनके केबिन में चले गए तो “गेट आउट” कहकर भगा दिया.
इसके बाद भी अंदर कार्यरत 19 से ज्यादा महिलाओं ने पत्र लिखकर आईआरसीटीसी में हो रहे ज्यादती और शोषण के बारे में जांच की मांग उठाई. मगर जब हमने दबाब बनाया तो उस शिकायत की कॉपी को दिसम्बर 2015 में ही आईआरसीटी मैनजेमेंट को भेज दिया. जिसके बाद जानकारी लगते ही आईआरसीटीसी ने जनवरी 2016 को शिकायतकर्ता महिला वर्कर समेत 92 लोगों को नौकरी से निकाल दिया.
IRCTC ने 11 कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को परमानेंट किया, हजारों आउटसोर्स की अनदेखी
हां, इस दौरान हमारे लगातार दबिश के बाद महिला आयोग व दिल्ली पुलिस के डर से यह हुआ कि आईआरसीटीसी ने “कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ इंटरनल कम्प्लेन कमिटी” का गठन 07.09.2015 को कर दिया. जिसमें आईआरसीटीसी ने नियम को ताक पर रखकर प्रोबेशन पर नियुक्त कम्पनी सेक्रेटरी सुमन कालरा को आईसीसी का अध्यक्ष बना दिया.
इससे भी अच्छी बात यह कि सीपीआई की श्रीमती श्यामकली सचिव NFIW/ दिल्ली स्टेट को भी शामिल किया. मगर मजदूर संगठन के महिला नेत्री के होते हुए एक बार फिर से कानून की अनदेखी कर बिना पीड़िता को बुलाये ही, मामले को अपने तरफ से रफा-दफा कर दिया.
सिस्टम के खिलाफ आवाज उठा पाने की हिम्मत बहुत काम लोग ही जुटा पाते हैं. ऐसे हिम्मत और जज्बे को झुककर मेरा सलाम. उम्मीद करता हूं कि मेरे साथियों का संघर्ष जल्द खत्म हो और जल्दी से उनको जीत मिले: अजय सिंह
खैर, अब मामला क्रिमिनल कोर्ट में विचाराधीन है. आईआरसीटीसी के आरोपी अधिकारियों की नीदं उड़ी हैं. कोर्ट के बिना बुलाये ही हर डेट पर उनका वकील चक्कर काटते देखा जा सकता है, हम केवल “महिला दिवस” मनाने का दिखावा नहीं करते, बल्कि उनके साथ खड़ा होकर कदम-से-कदम मिलकर हर पहाड़ से टकराने की हिम्मत रखते हैं.
अब भले ही ज्यादातर महिला साथी आईआरसीटीसी प्रबंधन के द्वारा अपमानित कर नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद घर बैठ गई है, मगर उनमें से कुछ लोग, खासकर दो महिलाओं को दिल से सैलूट करता हूं. जो आज भी अपने और अपने साथियों के मान-सम्मान की लड़ाई लड़ने की हिम्मत रखती हैं. ऐसे कुछेक लोग ही इतिहास भी बनाते हैं और दुनिया से अपना अधिकार भी छीन लेती हैं. “अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई”.
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