नई दिल्ली: कर्मचारी चयन आयोग कंबाइंड ग्रेजुएट लेविल एग्जाम टियर टू एग्जाम (SSC Exam Paper Leak) में धांधली के विरोध में पुरे देश में प्रदर्शन होने लगा है. इधर खबर है कि कुछ छात्रों का गुट SSC कार्यालय के दफ्तर के बाहर धरना पर बैठ गए है. वो लोग केवल एसएससी परीक्षा को रद्द करवाकर मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग कर रहे हैं. मगर इसके उलट एसएससी के अधिकारी टस से मस नहीं हो रहे हैं.
SSC Exam Paper Leak के आरोप में छात्रों का प्रदर्शन
हिंदुस्तान की खबर की माने तो एसएससी के लिए पर्चा लिक का मामला नया नहीं है. इससे पहले भी मई 2017 में प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले व्हाटप्प पर वायरल हुआ था. जिसके बाद पुरे बिहार में छात्रों ने जम का तोड़-फोड़ की थी. अब जानते है कि अभी का मामला क्या है? जिसके कारण छात्र विरोध कर रहे हैं.
विभिन्न समाचार माध्यमों से मिली जानकारी के अनुसार एसएससी की इस साल हुई सीजीएल टियर-2 की एग्जाम में 1,89,843 प्रतियोगी छात्र शामिल हुए थे. यह एग्जाम पुरे देश में 17 से 22 फरवरी के बीच हुई है. यह एग्जाम ऑनलाइन हुई है. सभी छात्र आरोप लगा रहे हैं कि जब वह एग्जाम हॉल से बाहर आये तो उनको पता चला कि उक्त एग्जाम का पर्चा शोसल मिडिया पर पहले ही लिक हो चूका है.
इसके बाद उन्होंने शोसल मिडिया पर पेपर के स्क्रीन शॉट्स लेकर परीक्षा रद्द कर सीबीआई जांच कराने की मांग करने लगे. जबकि छात्रों के विरोध प्रदर्शन के पीछे एसएससी के चेयरमैन ने कोचिंग लॉबी का हाथ बताया.
गरीब और मेधावी छात्रों का सिलेक्शन कैसे हो पायेगा?
छात्रों के अनुसार वो लोग तय कार्यकर्म के अनुसार एसएससी के अधिकारियों से मिले मगर उनलोगों ने उनके सबूतों को मानने से इंकार कर दिया है. हिंदुस्तान के अनुसार एसएससी दिल्ली के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्र का आरोप है कि दलालों के मार्फ़त नौकरी के रेट तय है. उदाहरण के रूप में इनकम टैक्स के लिए 35 लाख, सब इंस्पेक्टर के लिए 25 लाख और कलर्क के लिए 8 लाख रूपये तक मांगे जाते है. अगर यह बात सच है तो अब सोचने वाली बात है कि ऐसे में गरीब और मेधावी छात्रों का सिलेक्शन कैसे हो पायेगा?
एक तरह से देखें तो पैसे वालों के लिए यह एक तरह का आरक्षण ही है. जिसके दम पर कानून और प्रशासन को धत्ता बताकर अपनी जगह बना लेते हैं. यह बहुत ही सेंसटिव मुदा है. इसपर देश के सुप्रीम कोर्ट को स्वयं सज्ञान लेकर तुरंत ही मामले की उच्स्तरीय जांच करवानी चाहिए. एक तो देश में रोजगार मिलने के बजाय छीनी जा रही है और अगर रोजगार की वेकन्सी निकले और इस तरह की बात हो जाए तो देश के पढ़े लिखे युवाओं का क्या होगा?
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ये आंदोलन यूरोप के पुनर्जागरण काल की याद दिला देता है जब भरस्टाचार के खिलाफ मध्यम वर्ग खड़ा हो गया था और यूरोप को तरक्की के रास्ते पर चला दिया था। भरस्टाचार के खिलाफ लोगो को ही खड़ा होना होगा। न मोदी और न ही केजरीवाल कुछ करेगा। जनता को ही आड़े हाथों लेना होगा सरकार को
सही कहा दोस्त, कम से कम युवा पीढ़ी को तो सरकार की हकीकत समझ मे आ गया और विरोध कर रहे हैं. सोचता हूँ कि जनता को समझने में कहीं देर न हो जाए