आज Labour Ministry Delhi श्री गोपाल राय किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं. मगर उनको यहां तक पहुंचने में काफी संघर्षों का सामना किया है. अपने इस पोस्ट के माध्यम से न केवल हम उनके जीवन पर थोड़ा प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे अपितु उनका ध्यान उनके पार्टी और नेताओं दवारा किये गए वादों पर भी करवाएंगे.
दिल्ली के श्रम मंत्री को जाने श्री गोपाल राय?
पहले भी हमने उनका संक्षेप में परिचय करते हुए बताया है कि श्री राय का जन्म एक किसान ब्राहमण परिवार में 10 मई 1975 को जिला मऊ (उ.प्र.) में हुआ. श्री राय इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के पश्चात आई. ए. एस अधिकारी बनने के सपने के साथ स्नातक के लिए इलाहाबाद विश्वविदयालय में दाखिला लेकर आई. ए. एस की तैयारी में जुट गये. पर इसी दौरान 1992 में देश के अंदर चारों तरफ मंदिर-मसिजद तथा आरक्षण-समर्थन व विरोध के नाम पर शुरू हुईं.
मानवीय कत्लेआम की घटनाओं तथा देश की एकता के विखंडन के हालात ने श्री राय के मन को झकझोर कर रख दिया. वो इतने विचलित हो गए कि आपने आई.ए.एस बनने के सपने को तिलांजलि देकर आजीवन समाज व राष्ट्र की एकता के लिए काम करने का संकल्प लिया.
आगे उन्होंने लखनऊ विश्वविदयालय से परास्नातक की शिक्षा ग्रहण की, आईसा के प्रदेश महासचिव तथा राष्ट्रीय पार्षद चुने गये तथा पूरे प्रदेश में दंगा नहीं रोजगार चाहिए ‘जीने का अधिकार चाहिए’ आंदोलन तेज किया.
Labour Ministry Delhi
Labour Ministry Delhi श्री राय ने 1997 में समाज व राष्ट्र की एकता के लिए काम करने के साथ ही विश्वविदयालय में मंहगी शिक्षा एवं बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ छात्रों के साथ मिलकर आमरण अनशन किया. जिससे सरकार को झुकना पड़ा एवं 14 अपराधियों को विश्वविदयालय से निष्कासित किया गया तथा कुलपति को हटाकर भ्रष्टाचार की जांच प्रारंभ हुईं. लेकिन इसके लिए श्री राय की जिंदगी दाव पर लग गयी.
मगर हार से बौखलाये भ्रष्टाचारियों व अपराधियों ने 18 जनवरी 1999 को श्री राय को धोखे से गोली मारी. गोली रीढ़ की हड्डी में आकर फंस गयी. श्री राय जिंदा तो बचे मगर गर्दन के नीचे का हिस्सा पूरी तरह निष्क्रिय हो गया. 7 वर्षों तक इलाज के पश्चात भी पूरी तरह सुधार नहीं हो सका. गर्दन में आज भी गोली फंसी हुईं है.
उनको जब यह पता चला कि हमारी सरकार हर 26 जनवरी व 15 अगस्त को जिस इंडिया गेट पर सलामी देती है उस पर हमारे आजादी के शहीदों का एक भी नाम नहीं है तो श्री राय ने शहीदों के सम्मान व उनके अरमान को पूरा करने के लिए 9 अगस्त 2009 से 23 अगस्त 2009 तक तीसरा स्वाधीनता आंदोलन के बैनर तले संसद भवन के पास दिल्ली में जंतर-मंतर पर 15 दिनों तक अनशन किया.
श्री राय भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के लिये प्रारंभ हुए जनलोकपाल आन्दोलन में सड़क से लेकर संसद तक के संघर्ष में सक्रिय रहे. 5 अप्रैल 2011 से शुरू हुए आन्दोलन में अन्ना हजारे के साथ श्री राय ने 5 दिनों तक अनशन किया. अगस्त आन्दोलन में भी श्री राय ने भूमिका निभाई एवं आन्दोलन को मजबूत करने के लिये 18 राज्यों का देशव्यापी दौरा किया. सरकार व संसद द्वारा वादे के बावजूद जनलोकपाल न बनने के खिलाफ 25 जुलाई से श्री अरविन्द केजरीवाल, श्री मनीष सिसोदिया आदि के साथ 10 दिन आमरण अनशन भी किया.
Labour Ministry Delhi को हम याद दिलाना चाहेंगे
अभी श्री राय Delhi के Labour Ministry हैं और उनको हम याद दिलाना चाहेंगे कि उनकी पार्टी ने ठेका वर्कर को पक्का करने का वादा कर सत्ता में आई है. मगर अफ़सोस अभी तक इस दिशा में कोई कदम अभी तक नहीं उठाया गया. हम उनसे आग्रह करेंगे कि इस दिशा में जल्द-से-जल्द कोई निर्णय लेकर अपना वादा पूरा करें.
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