अगर आप Indian Railways से सफर करते हैं तो यह जानकारी बहुत ही अहम् है. यह जरुरी नहीं की लोग जानबूझ कर ट्रेन का टिकट न लें. कभी गलती से या कभी-कभी अचानक से यात्रा का प्लान बनने के कारण भी लोगों को टिकट नहीं मिल पाता है. उसमें भी अगर आप महिला यात्री बिना टिकट ट्रेन में यात्रा कर रही तो रेलवे के इस नियम को जान लें.
महिला यात्री बिना टिकट ट्रेन में यात्रा कर रही तो
आप महिला ((Female Passenger) हो और वो भी अकेली तो इस दौरान भी आपको Indian Railways के तरफ से कुछ अधिकार मिले हैं. इस अधिकार की जानकारी आपके लिए बहुत ही आवश्यक है. आज हम उस अधिकार की चर्चा कर रहे हैं. उसको जाने के लिए पूरा पोस्ट पढ़ें. हम इस पोस्ट के माध्यम से बिना टिकट यात्रा का कतई समर्थन नहीं करते हैं. मगर आये दिनों ट्रेन में बढ़ते लापरवाही से हर किसी को यह जानकारी होनी चाहिए.
आपको कब बिना टिकट यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ता है.
सुनीता (काल्पनिक नाम) दिल्ली में रहकर स्नातक की पढाई करती थी. अचानक एक दिन उसको 4 बजे फोन आया कि उसके पिता की तबियत अचानक से ख़राब हो गई है. उनके बचने की उम्मीद बहुत ही कम हैं. उसको अभी ही पटना के लिए निकलना पड़ेगा. अब ऐसे में मुझे नहीं लगता कि वह टिकट के लिए काउंटर पर जायेगी या फिर एजेंट का चक्कर लगाएगी. सुनीता के स्थान पर कोई भी होगा तो सीधा बैग उठाकर स्टेशन पहुंचेगा और जल्दी से जो भी ट्रेन मिले उसने चढ़ जायेगा. यही सुनीता ने भी किया और स्टेशन पहुंचकर सम्पूर्ण क्रांति एक्सप्रेस में चढ़ गई.
उसने सोचा कि जब टिकट चेकर आएगा तो उसको बोलकर टिकट का फाइन देकर टिकट बनवा लेगी. मगर यह क्या जब टिकट चेकर आया तो उनको टिकट बनवाने की जगह अकेली देखकर अगले स्टेशन पर उतरने की बात करने लगा. अब ऐसे में सुनीता का परेशान होना लाजिमी था. एक तो उसको जल्द से जल्द घर पहुंचना था. मगर ट्रेन का टीटी मानने को तैयार नहीं था. अब आपके मन में सवाल उठता है कि इस स्थिति में क्या किया जाए.
अकेली यात्रा कर रही बिना टिकट महिला को Indian Railways ने अधिकार दिए
जी हां, Indian Railways के मेनुएल के अनुसार, अकेली महिला यात्री को टिकट नहीं होने पर केवल जिला मुख्यालय के स्टेशन पर ही उतरा जा सकता है ताकि उसको दूसरी ट्रेन आसानी से मिल सके. ऐसा करने से पहले टीटीई Indian Railways के कण्ट्रोल रूम को सूचित करेगा.
इसके बाद Indian Railways के कण्ट्रोल रूम महिला को उतरने के लिए जीआरपी या आरपीएफ महिला कांस्टेबल का बंदोबस्त करता है ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो सके. ट्रेन में महिला सुरक्षा को मद्देनजर के लिए यह कानून 1989 में बनाया गया है.इसके आलावा अगर अकेली महिला यात्री का आरक्षित कोच में प्रतीक्षा सूची में नाम यानी वेटिंग टिकट है तो भी उनको उतरा नहीं जा सकता है. अगर महिला यात्री स्लीपर के टिकट पर ऐसी बोगी में सफर कर रही तो टीटीई केवल स्लीपर में जाने की अनुरोध कर सकता है.
तीन दशक बने इस कानून को लोग भूल चुके हैं. मिडिया रिपोर्ट के अनुसार Indian Railways इसको लागू करने के साथ ही अभियान चलाने जा रही है. उम्मीद है कि इस जानकारी को केवल अपने तक सीमित न रखकर जरूरतमंद लोगों, खासकर महिलाओं तक पहुचायेंगे.
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