आज एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सिविल कोर्ट में हुए फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों की बहाली को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. जानकारी के अनुसार माननीय कोर्ट ने बिहार युवा कल्याण समिति की ओर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है. इस केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया कि जिन्हें नियुक्ति पत्र दे दिया गया है, वह जांच की जद में रहेंगे.
फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों की बहाली रद्द की
अभी हाल ही में पुरे बिहार के सभी जिलों के सिविल कोर्ट में सैकड़ों चतुर्थ वर्गीय की बहाली हुई थी. कोर्ट के इस फैसले से सभी कर्मचारी प्रभावित होंगे. प्रभात खबर के हवाले से बिहार युवा कल्याण समिति की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इन पदों पर बहाली के नियम में बदले जा चुके हैं. उसमें यह बताया गया है कि बहाली सिर्फ इंटरव्यू के आधार पर नहीं हो सकती है, इसकी लिखित परीक्षा होनी जरूरी है.
नियम में बदलाव के बावजूद नियम की अनदेखी कर अवैध रुप से इन कर्मचारियों की बहाली की गई है. हाइकोर्ट ने सुनवाई के बाद इस पूरे मामले को आज ही निष्पादित कर दिया.
ऐसे गौर करें तो नियम की अनदेखी प्रशासन ने की और भुगतना पर रहा कर्मचारी को. इनलोगों की न्युक्ति का अभी ज्यादा दिन भी नहीं हुआ है. ऐसे में उनके ऊपर तो मुसीबत का पहाड़ ही टूट पड़ा. ऐसे बताया जा रहा है कि इंटरव्यू के आधार पर हुए इस न्युक्ति में खूब धंधली हुई थी. जिसको देखते हुए एक गैर सरकारी संगठन ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उसी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह फैसला लेते हुए अवैध तरीके से हुई नियुक्ति को रद्द करने का आदेश दे दिया है.
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