उत्तराखंड हाईकोर्ट ने UPNL आउटसोर्स कर्मचारियों को एक साल के भीतर नियमावली के अनुसार Contract Worker को नियमित करने और उन्हें न्यूनतम वेतनमान देने का आदेश पारित किया है. इस सन्दर्भ में News18 की माने तो कुंदन सिंह नेगी ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर उपनल द्वारा की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया था.
UPNL कर्मचारियों (Contract Worker) के नियमितीकरण
इस केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए क्या नीति बनाई है? सरकार की ओर से जवाब में कोर्ट को बताया गया कि इस प्रकरण पर विचार किया जा रहा है.
मामले के अनुसार कुंदन सिंह नेगी ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम उपनल द्वारा की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने इस पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था.
इस जनहित याचिका में कहा गया था कि उपनल का संविदा लेबर एक्ट मेें पंजीकरण नहीं है, इसलिए यह असंवैधानिक संस्था है. उपनल का गठन पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के लिए हुआ था मगर राज्य सरकार ने इस संस्था को आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति का माध्यम बना दिया. जिस पर पूर्ण नियंत्रण राज्य सरकार का है. याचिका में उपनल कर्मियों के सामाजिक व आर्थिक स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए नीति बनाने की मांग की थी.
कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एमसी पंत को न्यायमित्र नियुक्त किया था. अधिवक्ता श्री पंत ने कोर्ट को बताया कि कर्मचारियों ने जब याचिका दायर की तो सरकार की ओर से बताया गया कि उन्हें साल में आर्टिफिसियल ब्रेक दिया जाता है.
Contract Employees Regularization Order
कोर्ट ने इस ब्रेक को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध माना था. सोमवार को हाईकोर्ट की ओर से UPNL कर्मियों को नियमावली के अनुसार नियमित करने तथा उन्हें Minimum Wages देने के आदेश पारित किए. आर्डर निम्न प्रकार से हैं –
- The State Government is directed to regularize the employees sponsored through UPNL in a phased manner within a period of one year as per regularization schemes framed from time to time.
- The State Government is directed to ensure that the employees sponsored by UPNL get minimum of pay-scale with dearness allowance along with arrears to be paid within a period of six months from today.
- The respondents are directed not to deduct any GST or Service Tax from the salary of the employees sponsored by UPNL.
Contract Worker को एक वर्ष में Regularized करें- उत्तराखंड हाईकोर्ट
- वर्कर वॉयस ने 11 महीने पहले ही अपने आर्टिकल के माध्यम से UNPL नेताओं को बताया था कि “हमारा तो मानना है कि ऐसे मामले को कोर्ट में जाना चाहिए. ऐसे मामलों में जो वर्कर 240 दिन ज्यादा से काम कर रहें उनके दोनों हाथ में लड्डू है. कल कोर्ट को दोनों में किसी का वर्कर तो मानना होगा. अब समझने की बात यह है कि ठेकेदार और मुख्य नियोक्ता दोनों सरकारी ही है.” – उत्तराखंड उपनल कर्मचारियों के वेतन से पीएफ व जीएसटी के नाम पर महाघोटाला. इसके आलावा भी पीएफ और ईएसआई और जीएसटी घोटाले के बारे में भी बताया था. इस पोस्ट के अंत में हमारे उपनल के बारे में सभी लेखों को पढ़ सकते हैं.
- आज इसके बारे में श्री संदीप भोटिया क़ानूनी सलाहकर्ता उत्तराखंड उपनल कर्मचारी संघ से फोन पर बात हुए. उन्होंने इसको पुरे प्रदेश के उपनल कर्मचारियों को जीत बताई है. इसके साथ ही उन्होंने वर्कर वॉयस के माध्यम से कुंदन सिंह नेगी और अधिवक्ता श्री एमसी पंत को धन्यबाद दिया है. कोर्ट के इस आर्डर की कॉपी डाउनलोड करने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें.
Uttrakhand HC Order – Contract Worker Regularization
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Karamchari ke paas yadi Court ka Vakil karne ke liye Paisa nahi hai toh usse kya karna chahiye kya Sarkar ka koi aisa niyam hai ki usse Vakil Mahiya karaya Ja sake
Haan, aap eske liye har court me Government Advocate available hota hain.
Kiman vetan 5 sal me badata hai ham power plant MSEB maharashtra privet karmchari 20 sal se kam kar rahe hai 2010 me vetan bada tha 8 sal hokar bhi vetan nahi badra hai .Case ki oder copy bejo sir
आप यहाँ पर आउटसोर्स कर्मचारी के अच्छे अधिवक्ता का नाम पता और फ़ोन न डाले
जिससे सोचरण ना हो
वह तो आपको ही खुद से खोजना पड़ेगा। अगर हमने आपको किसी का नाम सुझाया और कुछ गलत हुआ तो आप हमें जिम्मेदार मानेंगे।