College Teacher को भी समान वेतन और अन्य लाभ मिले: मेघालय हाईकोर्ट

असम राज्य के College Teacher को राहत देते हुए मेघालय High Court ने 1 नवम्बर को 2018 को ऐतिहासिक फैसला दिया. इस फैसले के अनुसार Government Schools और College Teacher, भले ही वे तदर्थ नियुक्ति (Ad-hoc Appointment) वाले हों या सहायताप्राप्त, सेवाओं के मामले में बराबर हैं और उन्हें समान वेतन, पेंशन और अन्य लाभ मिलना चाहिए. हम अपने इस पोस्ट के माध्यम से इस याचिका के मुख्य बातों पर प्रकाश डालते हुए, इस पोस्ट के अंत में इस Order का Copy भी अपलोड कर रहे हैं. जिससे अन्य राज्य के स्कूल व् कॉलेज के शिक्षक भी लाभ उठा सकें.

Adhoc नियुक्ति क्या है?

अब आपका सवाल होगा कि Adhoc नियुक्ति क्या है? इसका क्या मतलब होता है, इसकी आवश्यकता क्या है? इसके बारे में लोगों को काफी कन्फ्यूज़न है. ‘Adhoc’ शब्द का ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में अर्थ है, ‘for a particular Purpose’ अर्थात ‘किसी विशेष कार्य हेतु’. आजकल Adhoc नियुक्ति बहुत चलन में है. सुप्रीम कोर्ट ने रूद्र कुमार सेन एंड अदर्स vs. Union of India & Others में Adhoc नियुक्ति के अर्थ की सही व्यख्या की है तथा कहा है :
“If an appointment is made to meet the contingency arising on account of delay in completing the process of regular recruitment to the post due to any reason and it is not possible to leave the post vacant till then, and to meet this contingency an appointment is made then it can appropriately be called as a stop-gap arrangement and appointment in the post as ad hoc appointment”.
(यदि स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया में किसी कारणवश देरी हो रही हो तथा तब तक उन पदों को खाली नहीं छोड़ा जा सकता हो तब ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जो नियुक्ति की जाती हैं तब ऐसी नियुक्ति को उस पद पर ‘Adhoc’ नियुक्ति कहते हैं तथा ऐसी व्यवस्था को ‘Stop-Gap’ व्यवस्था कहा जाता है.)

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ऐसी Adhoc नियुक्ति, नियुक्ति पाने वाले व्यक्ति को कोई भी अधिकार नहीं देती है तथा उक्त पोस्ट हेतु अर्हता रखने वाले व्यक्ति के आते ही तथा स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया की तैयारी होते ही ऐसे व्यक्ति को हटना पड़ता है.

College Teacher मामले में हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हमारी जानकारी के अनुसार न्यायमूर्ति मोहम्मद याक़ूब मीर और न्यायमूर्ति एसआर सेन की पीठ ने मेघालय College Teachers Association की याचिका पर सुनवाई कर 42 पेज पर आर्डर लिखा है. इस याचिका के माध्यम से कॉलेज टीचर्स असोसीएशन ने तदर्थ और सहायता प्राप्त शिक्षकों को पेंशन और अन्य नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाया है. टीचर्स एसोसिएशन के याचिका में कहा गया है कि ऐसा करना मनमाना, भेदभावपूर्ण और अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है.

माननीय कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फ़ैसले में कहा, “सरकार को यह याद रखना चाहिए कि शिक्षक भिखारी नहीं हैं, वे देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित नागरिक और समाज की रीढ़ हैं. हम सब जानते हैं कि दुनिया एक विभिन्न हिस्सों में शिक्षकों को काफ़ी इज़्ज़त मिलती है और अच्छा वेतन भी’.

College Teacher को भी समान वेतन, पेंशन अन्य लाभ मिले: मेघालय हाईकोर्ट

 

कोर्ट ने, “समान काम के लिए समान वेतन आवश्यक है और सरकार इससे अपनी आंख नहीं मूंद सकती कि शिक्षक उचित और पर्याप्त पेंशन और अन्य लाभ के अभाव में किस तरह की दयनीय ज़िंदगी जी रहे हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि, “हम अमूमन शिक्षकों को अपने अधिकारों और पर्याप्त वेतन, पेंशन और अन्य लाभों के लिए धरना पर बैठे देखते हैं पर किसी के भी पास इतना समय नहीं है कि वे इन उत्पीड़ित शिक्षकों की बात सुने जो की दुर्भाग्यपूर्ण है और हम सबके लिए शर्मनाक”.
जिसके बाद माननीय कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई कर कई निर्देशों का पालन करने के लिए सरकार को तीन महीने का समय दिया ताकि शिक्षकों की दशा को सुधारी जा सके. इस आर्डर का कॉपी डाउनलोड करने के लिए नीचे के लिंक को क्लीक करें.यह भी पढ़ें-
Share this

2 thoughts on “College Teacher को भी समान वेतन और अन्य लाभ मिले: मेघालय हाईकोर्ट”

  1. Engineering college AICTE portal pe faculties ko regular bataya hai, lekin college har saal orally ya written me employee ko service se ek din ka break deti hai, kya ye condition me employee regular mana jayega , employee ko regular employee jesa hi pay scale aur anya suvidha milengi ? Plz reply kare

    Reply
    • अगर आपको आर्टिफीसियल ब्रेक दे रहे तो आप रेगुलर कैसे हो गए? हाँ, मगर फिर भी आप इस आदेश के अनुसार समान वेतन की मांग कर सकते हैं.

      Reply

Leave a Comment