पिछले कई दिनों से कर्मचारियों के श्रम कानून में बदलाव (Labour Law Amendment) बारे में मिडिया के माध्यम से काफी कुछ अच्छा पढ़ने को मिला होगा. इसके पीछे की मंशा क्या हैं. आखिर ऐसा क्या हो गया कि अचानक से सरकार मजदूरों पर मेहरबान हो गई. आइये हम एक-एक कर जानते है कि किस न्यूज ने क्या कहा?
मोदी सरकार का Labour Law में बदलाव
कर्मचारियों के बारे में दैनिक भाष्कर ने लिखा कि प्राइवेट कर्मचारियों के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, नौकरी से नहीं निकाल पायेंगी कंपनियां. दूसरे नंबर पर न्यूज़18 इंडिया ने लिखा है “सरकार ने श्रम कानून में किया बड़ा बदलाव, अब आसान नहीं होगा 100 से ज्यादा कर्मचारी वाले कंपनियों को बंद करना”.
उससे भी कहीं आगे बढ़ाकर लाइव विहार ने लिखा “प्राइवेट कंपनियों में काम कर रहे करोड़ों लोगों को सरकार ने बना दिया परमानेंट कर्मचारी..अब नहीं निकाल पाएगी कंपनियां”. इससे भी दो कदम आगे बढ़कर
जी बिज़नेस ने कहा कि “पुरे देश में एक समान न्यूनतम वेतन लागू करने के दिशा में मोदी सरकार तेजी से काम कर रही हैं”.
इसको पढ़ने के बाद आपको क्या लगता हैं. अचानक से इस तरह का न्यूज आने का क्या कारण हैं? आखिर ऐसा क्या होगा कि मजदूरों के लिए सरकार तेजी से काम करने लगी.
आपको बता दूं कि अभी 8 और 9 जनवरी 2019 को देश के बड़े 10 सेन्ट्रल ट्रेड यूनियनों ने को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया हैं. हमारा मानना है कि मजदूरों के मूड को भांप कर सरकार सीधे दबाब में आ गई हैं. जिसके बाद सरकार की पिछलग्गू मिडिया उलूल-जलूल खबर बनाकर पोस्ट कर रही हैं ताकि कर्मचारी गुमराह हो जाए और वो ये सोचने लगे कि रुक जाओ रुक जाओ हम हड़ताल में नहीं जायेंगे. हमारे लिए सरकार कुछ करने जा रही हैं.
जबकि आप ऊपर दिए पुरे न्यूज को पढ़ेंगे तो आपको ऐसा कोई तथ्य ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलेगा. हमने खुद लेबर मिनिस्ट्री का वेवसाइट चेक किया है. आप भी जाकर चेक कर सकते हैं. न तो सरकार के तरफ से कोई नोटिफिकेशन है और न ही कोई प्रेस रिलीज ही हैं. अगर सरकार के तरफ से कोई वयान भी आता तो थोड़ी देर के लिए मान भी लेते.
जी बिजनेस ने जो लिखा है कि वेजेज कोड लागू होते ही पुरे देश में एक समान न्यूनतम वेतन लागू हो जायेगा. इस तरह के फेक न्यूज के बारे में भारत सरकार का श्रम मंत्रालय ने 5 सितम्बर 2017 को स्पस्टीकरण दे चूका हैं. उन्होंने कहा है कि “अभी हाल में ऐसी खबरें आई थी कि केंद्र सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 18,000 रुपये मासिक तय की हैं. स्पष्ट किया जाता है कि मजदूरी विधेयक, 2017 सम्बंधी संहिता में केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी’ जैसी कोई रकम न तो तय की है और न उसका उल्लेख किया है.
अब हम उस स्तिथि को जानते हैं जिसके कारण देश के करोड़ों मजदूर हड़ताल पर जा रहे हैं. मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता संभालते हुए कहा कि हम श्रम कानून में बदलाव करेंगे. आपको जानकारी के लिए बता दूं कि केंद्र सरकार देश के 44 श्रम कानून को समाप्त कर कॉर्पोरेट्स हित में 4 कानून बनाना चाहती हैं. इसमें मजदूर विरोधी क्या-क्या है, इसको मोटे तौर पर जानते हैं-
Modi सरकार द्वारा labour law में बदलाब की हकीकत और Trade Union का Strike
हायर एंड फायर – कंपनियों या औद्योगिक घरानों को अपनी सुविधा के अनुसार मजदूरों को काम पर रखने और निकाल देने का अधिकार को “हायर एंड फायर” की नीति कहा जाता है. इसके अनुसार बिना किसी पूर्व नोटिस के आपको कहा जायेगा कि कल से काम पर मत आना. ऐसे तो यह अभी बिना कानून बने ही धरातल पर लागू हो चूका हैं. मगर अभी जब तक यह कानून नहीं बना तब तक कोर्ट में चुनौती दिया जा सकता हैं.
यूनियन बनाने की प्रक्रिया जटिल करना– अभी किसी कारखाना, कंपनी और कार्यालय में 10 फीसदी कामगार मिलकर यूनियन बना सकते हैं. मगर अब कानून में बदलाव के बाद यूनियन बनाने के लिए कम से कम 30 फीसदी कर्मचारियों की भागीदारी जरूरी होगी. इससे कम में यूनियन नहीं बना सकेंगे. एक तरह से इससे अब यूनियन बनाने पर रोक लगाने हैं.
ओवर टाइम के सीमा में वृद्धि– एक माह में ओवर टाइम की सीमा 50 से बढ़ाकर 100 घंटे करना गलत है क्योकि इसका भुगतान डबल रेट में ना होकर अब सिंगल रेट में होगा. जब कानून में ही 100 घंटे का प्रवधान हो जाएगा तो मजदूरों को 8 घंटे के जगह 12 घंटे की नियमित ड्यूटी हो जाएगी.
फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट – Fixed Term Employment (निश्चित अवधि के रोजगार) एक रोजगार अनुबंध है जिसके द्वारा एक नियोक्ता (कम्पनी/फैक्ट्री/उद्यम) किसी भी कर्मचारी को सीमित अवधि के लिए भर्ती करता है. ऐसा अनुबंध केवल एक विशिष्ट, अस्थायी कार्य करने के लिए और केवल कानून द्वारा निर्धारित उन मामलों में संभव हैं. अधिकांश मामलों में यह एक वर्ष के लिए होता है, मगर कंपनी के द्वारा अपने आवश्यकता के आधार पर टर्म पूरा होने के बाद Renew (नवीकरण) किया जा सकता है. ऐसे तो यह एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार हैं मगर कर्मचारी को कंपनी के Payroll पर नहीं माना जाता है.
अप्रेंटिस एक्ट में बदलाव– अप्रेंटिस एक्ट में में पहले 2 साल काम कराने के बाद परमानेंट करने का प्रावधान था. जबकि अभी आपको 10 साल तक अप्रेंटिस के रूप में ही काम लिया जा सकता हैं.
महिला कर्मचारियों की नाईट ड्यूटी– पहले के कानून के अनुसार महिला कामगारों से शाम के 7 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे तक काम लेना गैर क़ानूनी था. मगर अब कानून के बदलाव के अनुसार उनसे काम लिया जा सकता हैं.
वेजेज कोड बिल के नाम पर 4 कानूनों की समाप्ति– वेजेज कोड बिल के नाम पर पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट-1936, मिनिमम वेजेज एक्ट-1949, पेमेंट ऑफ़ बोनस एक्ट-1965 और इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट-1976 को समाप्त कर दिया जायेगा. जिससे अपने आप मजदूरों के कई महत्वपूर्ण अधिकार समाप्त हो जायेंगे.
इसके आलावा और भी बहुत सारे अधिकार को चुटकों में समाप्त कर देनी की साजिश चल रही हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि वर्षों पहले हमारे पूर्वजों ने खून की होली खेल कर 44 श्रम कानून बनवाये थे. ऐसा नहीं है कि एक भी कानून सरकार ने खैरात में दी है बल्कि एक-एक कानून बनने में कई मजदूरों का खून बहा है. तब जानकर ये कानून बने हैं. अगर इस तरह से कानून समाप्त हो गया तो हमारी आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी.
आइये हम एक हो जाएं और इसका विरोध करें और इस देशव्यापी हड़ताल को सफल बनायें. नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हम अपने ही देश में गुलाम मजदुर बनकर रह जायेंगे.
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