सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के PF कंट्रीब्यूशन के बारे में पिछले सप्ताह एक महत्वपूर्ण फैसला दिया हैं. इसके बाद सभी कर्मचारियों के बीच उत्सुकता हैं कि इसका उनको क्या फायदा मिलेगा. इसके आलावा उनके वेतन पर क्या प्रभाव पड़ेगा, मतलब उनका इस फैसले के बाद वेतन बढ़ेगा या घटेगा? इसके साथ ही और भी बहुत सारी बातों को इस पोस्ट के माध्यम से बहुत ही सरल भाषा में समझेंगे.
कर्मचारियों के PF कंट्रीब्यूशन
अभी तक EPF कानून के अनुसार क्या नियम हैं?
कानून के नियमानुसार 20 या उससे अधिक वर्कर के काम करने वाले कंपनी को इसके तहत EPFO (Employee Provident Fund Organization) में पंजीकरण अनिवार्य है. अगर आपकी बेसिक सैलरी 15 हजार रुपये मासिक या उससे कम है तो आपके लिए EPF खाता में रकम जमा करवाना अनिवार्य है. फ़िलहाल के नियम के अनुसार 15 हजार रुपये से अधिक बेसिक सैलरी वालों के लिए यह स्कीम Option है.
सुप्रीम कोर्ट में कर्मचारियों के PF कंट्रीब्यूशन के फैसले से किसको फायदा मिलेगा
PF आर्डर का असर किनके सैलरी के ऊपर होगा
इससे अब स्पष्ट हो गया होगा कि इस आर्डर का असर उन कर्मचारियों पर नहीं होगा. जिनकी बेसिक सैलरी और स्पेशल अलाउंस हर महीने 15,000 रुपए से ज्यादा हैं. यह 15 हजार रुपये तक की बेसिक सैलरी और अलाउंसेज वालों के लिए ही लागू होगा. जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि इससे ज्यादा वेतन वालों के लिए पीएफ में योगदान अनिवार्य नहीं है.
सैलरी स्ट्रक्चर मुख्य रूप से दो तरह का होता है- पहला बेसिक सैलरी यानी मूल वेतन और दूसरा स्पेशल अलाउंस. बेसिक सैलरी एक निश्चित राशि होती है जबकि महंगाई भत्ता (डीआरए), परिवहन भत्ता, मकान किराया, गाड़ी भत्ता और टेलिफोन/मोबाइल फोन भत्ता स्पेशल अलाउंस की कैटेगरी में आती हैं. कई जगह तो आपको सैलरी स्लिप पर केवल बेसिक दिखाकर ही दिया जाता हैं. मगर कई जगह पीएफ की कम जमा करना पड़े इसके लिए कम्पनी बेसिक कम और इतर अलाउंस ज्यादा दिखा देता हैं.
क्या उनका फायदा मिलेगा, जिनको सैलरी स्लिप नहीं मिलती?
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इसका फायदा उनको मिलेगा. जिनको सैलरी स्लिप ही नहीं दी जाती. इसके आलावा केवल न्यूनतम वेतन पर काम लिया जाता हैं? अभी देश में ज्यादातर वर्कर ठेका पर काम करते हैं. जिसमें बहुत ही कम ऐसी ईमानदार कंपनी होगी जो वर्कर के सभी क़ानूनी अधिकार बिना कोई चिक-चिक के दे देती होगी.
एक तरह से देखे तो यह फैसला एक उन एम्प्लायर के ऊपर नकेल की तरह है जो कर्मचारी के सैलरी में बेसिक सैलरी कम दिखाकर पीएफ की कम कटौती करते हैं. इससे कर्मचारी का कम पीएफ तो कटता ही है और उनको भी कम पीएफ जमा करना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट के इस आर्डर का जितना असर किसी कर्मचारी पर होगा उससे ज्यादा असर एम्प्लायर पर होना है. अब देखते है कि यह आर्डर भी लागू हो पता है या समान वेतन वाले आर्डर की तरह कागज़ के ढेर में तब्दील होने का इन्तजार करता हैं.
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