Jet Airways Employees की मांगे-
हमने इस प्रोटेस्ट को साइलेंट प्रोटेस्ट इसलिए कहा है कि वो लोग नौकरी पर खतरा मंडराने के वावजूद न तो नारेवाजी कर रहे थे और न ही सरकार को ही कोश रहे थे. बस वो गुहार लगा ही नहीं रहे बल्कि उनको पूरी उम्मीद हैं कि इस स्थिति में सरकार के द्वारा उनके कंपनी को मदद की जायेगी.
आज के प्रदर्शन में जेट एयरवेज के पायलट, तकनीकि व सुरक्षा सहित अन्य कर्मियों ने हिस्सा लिया था. उन्होंने जेट एयरवेज बचाओ, हमारा भविष्य बचाओ के बैनर भी ले रखे थे. वहीं, उन्होंने बकाया वेतन दिए जाने की भी मांग कर रहे थे.
जेट एयरवेज कर्मचारियों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया
नवभारत टाइम्स के अनुसार अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस में से एक थी. विगत दिसंबर 2018 तक जेट के पास बोइंग 777 और एयरबस A330, सिंगल B737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे. कंपनी हर दिन करीब 600 फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही थी. जिसके बाद कंपनी ने 18 अप्रैल 2019 को केवल पांच विमानों के साथ परिचालन किया. जेट एयरवेज पहले ही अपने अंतरराष्ट्रीय परिचालन को 18 अप्रैल तक स्थगित करने की घोषणा कर चुकी थी.
खबर एनडीटीवी के हवाले से यूनियन लीडर किरण पावसकर ने कहा, ”अगर एयर इंडिया गवर्नमेंट की है, आप उसे मदद करते हैं तो जेट कौन सी प्राइवेट है सिर्फ ऑपरेटर ही प्राइवेट हैं बाकी सब तो सरकार के नियमों से हो रहा है. फिर ये भी सरकार से अलग कैसे हो गई? हम माल्या जैसे भागने वाले नहीं है. बंद करने के पीछे हिडेन एजेंडा क्या है? सब शर्त तो मान ली गई. नरेश गोयल को हटा दिया गया.
इस प्रोटेस्ट के दौरान हमने कुछ प्रदर्शनकारी स्टाफ से बातचीत की. उन्होंने बताया कि उनको पूरी उम्मीद हैं कि सरकार के द्वारा उनकी कंपनी की सहायता की जायेगी और उनकी नौकरी बच जायेगी. मगर इसके उलट कुछ लोगों के बातों से लगा कि इस मामले में सरकार के द्वारा कोई मदद नहीं की जायेगी.
खैर, कहां हम बुलेट ट्रेन लाने वाले थे और कहां खुद के देश के जेट एयरवेज को भी नहीं बचा पा रहे. जबकि सुना है कि इसको एसबीआई ने अपने अंडर ले रखा हैं. इससे चाहे बहुत से कर्मचारियों की नौकरी चले जाये और चाहे पैसेंजर को दोगुना-तिगुना किराया चुकाना पड़े. मगर फायदा तो अन्य कंपनियों का होना तय है, क्यों साहेब?
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