Jet Airways Employees ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर ये मांगे रखी?

देशी कंपनी जेट एयरवेज की उड़ान बंद होने के बाद इसमें काम करने वाले हजारों Jet Airways Employees सड़क पर उतर आए. इस दौरान आज गुरूवार को कर्मचारियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर साइलेंट प्रोटेस्ट किया. इस दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे. मौके पर मौजूद प्रदर्शनकारी शांति पूर्ण तरीके से जेट एयरवेज की उड़ान बहाल करने की मांग कर रहे हैं.

Jet Airways Employees की मांगे-

हमने इस प्रोटेस्ट को साइलेंट प्रोटेस्ट इसलिए कहा है कि वो लोग नौकरी पर खतरा मंडराने के वावजूद न तो नारेवाजी कर रहे थे और न ही सरकार को ही कोश रहे थे. बस वो गुहार लगा ही नहीं रहे बल्कि उनको पूरी उम्मीद हैं कि इस स्थिति में सरकार के द्वारा उनके कंपनी को मदद की जायेगी.

पहले भी कर्मचारियों ने जेट एयरवेज को आर्थिक संकट से उबारने की मांग को लेकर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आइजीआइ) एयरपोर्ट पर शनिवार को प्रदर्शन किया था. इस दौरान उन्होंने मानव श्रृंखला भी बनाई थी.

आज के प्रदर्शन में जेट एयरवेज के पायलट, तकनीकि व सुरक्षा सहित अन्य कर्मियों ने हिस्सा लिया था. उन्होंने जेट एयरवेज बचाओ, हमारा भविष्य बचाओ के बैनर भी ले रखे थे. वहीं, उन्होंने बकाया वेतन दिए जाने की भी मांग कर रहे थे.

जेट एयरवेज कर्मचारियों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया

खबर एनडीटीवी के अनुसार एयरवेज के कर्मचारियों को अचानक से गुरुवार को जेट मुख्यालय के दरवाजे के बाहर खड़े होकर वाहनों को बाहर निकलने और अंदर जाने पर रोक लगा दिया. जिसके बाद 25 साल से अपनी सेवाएं दे रही जेट एयरवेज ने अपनी उड़ाने रोक दी गई हैं. एक दिन में 650 फ्लाइट्स तक का परिचालन करने वाली देसी एयलाइन कंपनी जेट बंद होने के कगार पर हैं.
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी ने परिचालन जारी रखने के लिए बैंकों से 400 करोड़ रुपये इमर्जेंसी फंडिंग की अपील की थी, लेकिन बैंकों ने पैसे नहीं दिए. जेट की उड़ानें रुक जाने के बाद अब कंपनी के 16,000 स्थाई और 6,000 कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों के भविष्य पर सवाल + खड़े कर दिए हैं. जिसके बाद आज 2 बजे से जंतर मंतर पर करीब एक हजार कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे थे.
नवभारत टाइम्स के अनुसार अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस में से एक थी. विगत दिसंबर 2018 तक जेट के पास बोइंग 777 और एयरबस A330, सिंगल B737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे. कंपनी हर दिन करीब 600 फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही थी. जिसके बाद कंपनी ने 18 अप्रैल 2019 को केवल पांच विमानों के साथ परिचालन किया. जेट एयरवेज पहले ही अपने अंतरराष्ट्रीय परिचालन को 18 अप्रैल तक स्थगित करने की घोषणा कर चुकी थी.
जेट का परिचालन बंद होने से केवल कर्मचारियों को ही नुकसान नहीं है बल्कि पैसेंजर के लिए भी मुसीबत शुरू होने वाली हैं. देश में कई रूटों पर हवाई किराया महंगा होने की आशंका है. विदेशी रूटों पर किराया बढ़ने की खबर आ चुकी है. लंदन का किराया 37 हजार रु. से बढ़कर 1.80 लाख रुपये तक पहुंच चुका है.

खबर एनडीटीवी के हवाले से यूनियन लीडर किरण पावसकर ने कहा, ”अगर एयर इंडिया गवर्नमेंट की है, आप उसे मदद करते हैं तो जेट कौन सी प्राइवेट है सिर्फ ऑपरेटर ही प्राइवेट हैं बाकी सब तो सरकार के नियमों से हो रहा है. फिर ये भी सरकार से अलग कैसे हो गई? हम माल्या जैसे भागने वाले नहीं है. बंद करने के पीछे हिडेन एजेंडा क्या है? सब शर्त तो मान ली गई. नरेश गोयल को हटा दिया गया.

अब किसका इंतजार हो रहा है? जिसे लाना है उसे तो सामने लाओ. हम यहां ग्रेच्युटी और पेंशन मांगने नहीं आए थे. हम ये कहने आये थे कि इसमें हमारा भी खून पसीना लगा है. इसे फिर से शुरु करने में हम खड़े रहने को तैयार है. 2 करोड़ नौकरी देने की मांग करने वाले प्रधानमंत्री से निवेदन है कि 22000 लोगों की नौकरी खतरे में पहले उसे बचाएं. हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.”

इस प्रोटेस्ट के दौरान हमने कुछ प्रदर्शनकारी स्टाफ से बातचीत की. उन्होंने बताया कि उनको पूरी उम्मीद हैं कि सरकार के द्वारा उनकी कंपनी की सहायता की जायेगी और उनकी नौकरी बच जायेगी. मगर इसके उलट कुछ लोगों के बातों से लगा कि इस मामले में सरकार के द्वारा कोई मदद नहीं की जायेगी.

खैर, कहां हम बुलेट ट्रेन लाने वाले थे और कहां खुद के देश के जेट एयरवेज को भी नहीं बचा पा रहे. जबकि सुना है कि इसको एसबीआई ने अपने अंडर ले रखा हैं. इससे चाहे बहुत से कर्मचारियों की नौकरी चले जाये और चाहे पैसेंजर को दोगुना-तिगुना किराया चुकाना पड़े. मगर फायदा तो अन्य कंपनियों का होना तय है, क्यों साहेब?

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