देश के सबसे बड़े अदालत माननीय सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम वेतन अधिनियम (Minimum Wages Act) के तहत एक फैसला दिया हैं. जिसके तहत माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यूनतम मज़दूरी के निर्धारण/संशोधन के लिए जारी की गई अधिसूचना में अनुभव के आधार पर अकुशल कर्मचारी को अर्धकुशल और अर्धकुशल और अकुशल बताने का अधिकार सरकार को नहीं. यह फैसला हरियाणा सरकार के लेबर डिपार्टमेंट द्वारा जारी नोटिफिकेशन के बारे में दी गई हैं.
Minimum Wages अनुभव के आधार पर कैटेगरी में बदलाव नियम विरुद्ध?
हरियाणा के श्रम विभाग ने न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम की धारा 5 के तहत जारी अधिसूचना के तहत श्रमिकों की निम्नलिखित श्रेणियों की चर्चा की है : अकुशल कर्मचारी जिनके पास पाँच साल का अनुभव है, उन्हें अर्ध-कुशल और ‘A’ श्रेणी में माना जाएगा; अर्ध-कुशल ‘A’ श्रेणी में तीन साल का अनुभव लेने के बाद कर्मचारी को ‘B’ श्रेणी का अर्ध-कुशल माना जाएगा और कुशल ‘A’ श्रेणी में तीन साल का अनुभवलेने वालों को ‘B’ श्रेणी का कुशल माना जाएगा.
नियोक्ता के तरफ से दायर याचिका के द्वारा हरियाणा सरकार के श्रम विभाग द्वारा जारी न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिसको हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने माननीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
नियोक्ता के तरफ से दायर याचिका के द्वारा हरियाणा सरकार के श्रम विभाग द्वारा जारी न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिसको हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने माननीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
इस केस की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इस बारे में कहा, “इस तरह का श्रेणीकरण और एक श्रेणी के कर्मचारी को दूसरे श्रेणी का मानना नियोक्ता और कर्मचारी के बीच हुए क़रार और ख़िलाफ़ है और सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर की चीज़ है”.
इसके साथ पीठ ने या भी कहा कि सभी प्रशिक्षुओं को इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता. हालाँकि उसने ऐसे प्रशिक्षुओं के लिए निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी को उचित बताया जिन्हें ईनाम के लिए नियुक्ति मिली है. पीठ ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षु जिन्हें मज़दूरी नहीं मिलती है, उन्हें इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता है. पीठ ने यह भी कहा कि अधिनियम के अनुसार सरकार को प्रशिक्षण की अवधिया प्रशिक्षण के बारे में कोई नियम निर्धारण का कोई अधिकार नहीं है.
इसके साथ पीठ ने या भी कहा कि सभी प्रशिक्षुओं को इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता. हालाँकि उसने ऐसे प्रशिक्षुओं के लिए निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी को उचित बताया जिन्हें ईनाम के लिए नियुक्ति मिली है. पीठ ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षु जिन्हें मज़दूरी नहीं मिलती है, उन्हें इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता है. पीठ ने यह भी कहा कि अधिनियम के अनुसार सरकार को प्रशिक्षण की अवधिया प्रशिक्षण के बारे में कोई नियम निर्धारण का कोई अधिकार नहीं है.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ‘कर्मचारी’ ठेकेदारों द्वारा नियुक्त किए गए कामगारों को अधिनियम के अधीन लायेंगे.
Minimum Wages अनुभव के आधार पर कैटेगरी में बदलाव नियम विरुद्ध – सुप्रीम कोर्ट
29 अप्रैल 2019 को पीठ ने अपील को स्वीकार करते हुए कहा-
- अधिसूचना में मज़दूरी को भत्ते में बाँटने की इजाज़त नहीं है;
- सिक्योरिटी इन्स्पेक्टर/सिक्योरिटी ऑफ़िसर/सिक्योरिटी सुपरवाइज़र को इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता;
- जिन प्रशिक्षुओं को नियुक्ति दी गई है पर उन्हें किसी तरह के लाभ का कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है तो उसे इस अधिसूचना का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता;
- अकुशल कर्मचारियों को अनुभव के आधार पर अर्धकुशल बताना नियमविरुद्ध है;
- प्रशिक्षण की अवधि को एक साल निर्धारित करना सरकार के अधिकार के बाहर है.
इसको देखें तो जो भी आर्डर दिया गया हैं वह न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत दिया गया हो, मगर हर हाल में मालिकों के पक्ष में हैं. आज पुरे देश में चाहे वर्कर 20 साल से काम कर रहा हो या कोई फ्रेसर वर्कर हो. सभी को एक समान न्यूनतम वेतन ही दिया जाता हैं. जबकि ऐसे में विगत कई वर्षों से काम कर रहे वर्करों के अनुभव और किसी फ्रेसर वर्कर का अनुभव कभी भी बराबर नहीं हो सकता.
जब एक पुलिस में भर्ती हुआ सिपाही अनुभव के आधार पर दरोगा और डीएसपी बन सकता हैं तो एक न्यूनतम वेतन पर जीने वाले वर्करों के लिए भी सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.
अब भले ही सुप्रीम कोर्ट के मजदूरों के पक्ष में 26 अक्टूबर 2016 के समान काम का समान वेतन का फैसला भले ही न लागु हो पाया हो, मगर उक्त मालिकों के पक्ष का फैसला सरकार द्वारा एक दो तीन में लागु होगा. सोसाइटी में बिना न्यूनतम वेतन के तरह काम करने वाले सिक्योरिटी गार्ड के तरह अब फैक्ट्री, कंपनी आदि में काम करें वाले सिक्योरिटी गार्ड का दोहन होगा. इसका जिम्म्मेवार हम भी तो हैं, हम हमारी चुप्पी, हमारी अनदेखी…बस अनदेखी करते रहिए.
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मुझे पिछले 15 सालों से कंपनी अर्ध कुशल का ही न्यूनतम वेतन दे रही है क्या यह सही हैं
हाँ, इस जजमेंट के हिसाब से तो सही हैं.
सुरजीत सर नमस्ते आप से बात पूछनी है मे LIC Agra मे डेली वेजर पर काम करता हू हमारे साथी ऐ चाहते है हम डेली वेजर से हटा कर फिक्शन कर दिया जाये ऐसा कोई नियम है या सरकूलर है हमे बता ने मुझे भेज ने की कृपा करे आपकी अति कृपा होगी
अवनीश सिघंल LIC Agra
Lic ka cerculer btao sir g jo avneesh bhai puch rhe pleass
Mei bhi lic mei hu daily wager from aligarh
आप हमारे ब्लॉग को रेगुलर रूप से पढ़ा कीजिये. यह जानकरी समय-समय पर देते रहते हैं- Central Sphere Minimum Wages Oct 2020