UP Contract Worker भर्ती पर रोक बरकरार, हाईकोर्ट से समय माँगा

यूपी हाईकोर्ट के लखनऊ खंडपीठ ने स्थाई पोस्ट पर संविदा भर्ती (Contact Worker) पर रोक लगा दी हैं. जिसके बाद माननीय कोर्ट ने सरकार से जवाब माँगा हैं. जिसकी सुनवाई 27 नवम्बर 2019 को होनी थी. आपमें से कई लोगों ने विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी पढ़ी होनी, मगर हम अपने इस पोस्ट में आपके सवालों के जवाब के साथ जानकारी देने की कोशिस करेंगे. जो कि आपलोगों ने हमारे पूर्व के पोस्ट के बाद पूछें हैं.

UP Contract Worker के भर्ती पर

विगत 20 नवम्बर 2019 को UP हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पूरे प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित स्वीकृत पदों पर आउटसोर्सिंग से हो रही संविदा भर्तियों पर रोक लगा दी है. माननीय कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उमादेवी केस के बाद सेवा प्रदाता फर्मों से किस नियम से सरकारी विभागों में संविदा भर्तियां हो रही हैं?

रोक बरकरार, हाईकोर्ट से समय माँगा

यूपी सरकार के द्वारा मेसर्स आर एम एस टेक्नोसलूशन लि. (आउटसोर्स मैनपॉवर प्रोवाइडर) का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता हैं. जिसके बाद उक्त ठेकेदार अपना लाइसेंस बहाली के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाता हैं. जिसकी सुनवाई करते हैं माननीय कोर्ट ने सरकारी विभागों में स्थाई पद पर आउटसोर्स मैनपॉवर प्रोवाइडर के द्वारा भर्ती पर रोक लगा दी हैं.

इसके साथ ही अदालत ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है. अदालत ने जानना चाहा कि आउटसोर्सिंग से नियमित पदों के सापेक्ष संविदा या कांट्रैक्ट पर किस तरह से भर्तियां हो रही हैं. जिसके बाद सुनवाई की तिथि 27 नवंबर 2019 को तय की गई थी.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट के पहले के निर्देश के तहत मामले में स्प्ष्टीकरण पेश करने के लिए निर्देश लेने की गुजारिश की हैं. जिसके बाद अब अगली सुनवाई 04 दिसम्बर 2019 को होगी.

माननीय कोर्ट ने यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीस्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की पीठ ने याची मेसर्स आर एम एस टेक्नोसलूशन लि. की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं. इसमें याचिकाकर्ता ने 25 अक्टूबर 2019 को उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत सेवा प्रदाता के रूप में बगैर कारण बताये उसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया था.

संविदाकर्मी के भर्ती पर रोक बरकरार, हाईकोर्ट से समय माँगा

 

इसके बाद काफी लोगों का सवाल आया कि इस आर्डर के बाद यूपी के सरकारी विभागों में पहले से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों के नौकरी पर क्या फर्क पड़ेगा. क्या इसके बाद उनको नौकरी से निकाल तो नहीं दिया जायेगा. इसके बारे में बता दें कि अभी कुछ भी कहना जल्दी होगा, जब तक माननीय कोर्ट का इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता. ऐसे कानून के अनुसार स्थाई पद पर ठेका/आउटसोर्स वर्कर से काम नहीं लिया जा सकता हैं.

अगर इसके बारे आप आगे भी चाहते हैं कि हम इसी तरह जानकारी देते रहे तो आप नीचे कमैंट्स बॉक्स में लिखकर बताएं. इसके आलावा अगर आप जिस भी सरकार विभाग में काम करते हैं उसका नाम भी लिखकर बताएं ताकि हमें यह पता चल सके कि वर्कर वॉयस की आवाज कहाँ तक पहुंच रही हैं. धन्यबाद.

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