केंद्र सरकार ने 29 मार्च 2020 को कर्मचारियों के लॉकडाउन में सैलरी को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया था. केन्द्र ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान निजी प्रतिष्ठानों को अपने श्रमिकों को पूरा पारिश्रमिक देने का आदेश दिया था. सरकार के इस आदेश को कॉर्पोरेट्स के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती हैं. जिसके बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी का जवाब देने को कहा जाता हैं. जिसकी चौथी सुनवाई 4 जून 2020 को केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया हैं.
लॉकडाउन में सैलरी मामला क्या हैं?
अब आपका सवाल होगा कि Lockdown में कर्मचारी को सैलरी मिलेगी या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? आपके हर सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं. देश में कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आपदा घोषित कर लॉकडाउन की घोषणा की. जिसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 सेक्शन 10(2)(l) में प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग कर 24.03.2020- 14.04.2020 व् 14.04.2020- 03.05.2020 तक Lockdown का आदेश जारी किया.
लॉकडाउन से स्कुल, कॉलेज, दूकान, रेस्टोरेंट, सिनेमा, कम्पनी, फैक्ट्री, सरकारी दफ्तर आदि बंद कर दिए गए. जिसके बाद प्रवासी मजदूर परिवहन की सुविधा बंद होने से हजारों को संख्या में गांव के तरफ पैदल ही जाने लगें. जिससे कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता हैं.
इस स्थिति से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने 29.03.2020 को एक सर्कुलर जारी किया. जिसके अनुसार “कोई भी नियोक्ता किसी भी कर्मचारी का Lockdown अवधि के दौरान न तो Salary देने में देरी करेगा और न ही कटौती ही करेगा”.
केंद्र सरकार के आदेश को लागू करने के वजाय कुछ मालिक/कॉर्पोरेट्स ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जिसमें उन्होंने इस आदेश को मनमाना और असंवैधानिक बताया. एमएसएमई सहित कई निजी प्रतिष्ठानों ने लॉकडाउन के दौरान सैलरी वाले आदेश को ख़ारिज करने की मांग की थी. जिसपर माननीय कोर्ट ने कॉर्पोरेट्स को तत्काल राहत देने से इंकार कर दिया था. हाँ, मगर माननीय कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र सरकार को जबाव दाखिल करने को कहा था. जिसके बाद क्रमशः 15.05.2020, 26.05,2020 को सुनाई हुई.
लॉकडाउन में सैलरी मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल
लॉकडाउन में सैलरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून को क्या कहा
इंडिया टीवी के अनुसार केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में लॉकडाउन में सैलरी के आदेश 29 मार्च 2020 को सही ठहराया हैं. इसके साथ ही कहा हैं कि जो नियोक्ता पूरा वेतन देने में असमर्थता जात रहे. उनको अपनी ऑडिट की हुयी बैलेंस शीट तथा खाते पेश करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष गृह मंत्रालय ने यह हलफनामा दाखिल किया है. जिसमें कहा है कि 29 मार्च का निर्देश लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों और श्रमिकों, विशेषकर संविद और दिहाड़ी, की वित्तीय परेशानियों को कम करने के इरादे से एक अस्थाई उपाय था. जो निर्देश केवल 17 मई 2020 तक के लिए ही था.
केंद्र सरकार ने कहा कि उस अधिसूचना का समय खत्म हो चुका है और अब यह सिर्फ अकादमिक कवायद रह जायेगी क्योकि इन 54 दिनों का कर्मचारियों का दिया गया वेतन और पारिश्रमिक की राशि की वसूली की मांग करना जनहित में नहीं होगा.
सरकार ने कहा कि उपरोक्त लॉकडाउन में सैलरी वाला नोटिफिकेशन 25 मार्च से 17 मई के दौरान सिर्फ 54 दिन तक प्रभावी था. इस अधिसूचना के बारे में निर्णय करना न तो न्याय हित में होगा और न ही ऐसा करना जनहित में होगा.
लॉकडाउन में सैलरी केस की सुनवाई पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया हैं. जिसका फैसला 12 जून 2020 को सुनाया जायेगा. इस बीच, दिनांक 29.03.2020 की अधिसूचना के अनुसार नियोक्ताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं किया जायेगा.
अभी तक आप समझ गए होंगे कि किस तरह नेशनल मिडिया ने झूठ फैलाया. हमने जिसको अपने पूर्व के पोस्ट में बेनकाव किया था. आखिर सच एक न एक दिन सभी के सामने आ ही जाता हैं. अब बस यह देखना हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर किस के पक्ष में फैसला देती हैं.
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