कालीकट विश्वविद्यालय द्वारा अपने 35 से अधिक अस्थायी कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने का फैसला लिया है. जिन अस्थाई कर्मचारियों ने संस्था के साथ 10 वर्षों से काम किया है. इस बुधवार को हुई सिंडीकेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
कालीकट विश्वविद्यालय अस्थायी कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित
द हिन्दू में छपी रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय के इस निर्णय से कंप्यूटर प्रोग्रामर, ड्राइवर, चैकीदार, रूम बॉय, पंप ऑपरेटर, इलेक्ट्रीशियन और प्लम्बर जैसे पदों पर काम कर रहे डेली वेज लेबर को लाभ मिलेगा. विश्वविद्यालय इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना चाहता है. जबकि सिंडीकेट में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सदस्यों ने, इस कदम का विरोध किया है. जिसमें कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने उन पदों को नियमित करने के खिलाफ फैसला सुनाया है. जिनमें केरल राज्य लोक सेवा आयोग नियुक्तियां करता है. वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने दावा किया हैं कि यह एक मानवीय gesture है. जिसमें अधिकांश लोगों ने नियुक्तियों के लिए उम्र सीमा को पार कर लिया है.
सिंडिकेट ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क प्रणाली स्थापित करने के लिए निविदाओं को आमंत्रित करने का भी निर्णय लिया. निविदाओं को आमंत्रित किए बिना Uralungal Labour Contract Cooperative Society को अनुबंध देने का निर्णय स्थगित कर दिया गया है, क्योंकि यह एक विवाद में snowballed हो गया था. यह परियोजना 2.8 करोड़ रुपये की है.
सिंडिकेट ने लॉकडाउन अवधि के दौरान छात्रों से हॉस्टल शुल्क और पुस्तकालय शुल्क नहीं लेने का भी फैसला किया है. अब 31 जनवरी को संबद्ध कॉलेजों में नए पाठ्यक्रम शुरू होंगे. सिंडिकेट ने कॉलेज के शिक्षकों को निर्देश देने के आदेश पर सरकार से स्पष्टता लेने का फैसला किया. यह सुबह 8.30 बजे के बीच ड्यूटी पर होगा और शाम 5 बजे, चूंकि कक्षाएं जनवरी में शुरू होने वाली है.
इस बीच, विश्वविद्यालय ने स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए 2010-21 के शैक्षणिक वर्ष के लिए निजी पंजीकरण के तहत 10 जनवरी 2020 को अंतिम तिथि बढ़ा दी है. इसके बाद आवेदन 17 जनवरी तक 100 रूपये के जुर्माने के साथ जमा किए जा सकते हैं.
हालांकि, विश्वविद्यालय का निर्णय कर्मचारियों के पक्ष में हैं, मगर अब देखना हैं कि इस पर राज्य सरकार क्या रुख अपनाती है. जब तक केरल सरकार का Approval नहीं मिलता तब तक इस पर कुछ भी कहना काफी मुश्किल ही है. फिलहाल, कॉलेज प्रबंधन ने उक्त फैसला लेकर एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है.
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Dear Sir mai Ek Central Govt Aoutnumas Body mai Pichle 10 Saal Se kam Kar rha hu Contrect par Thekedar to Badal Jata h par ham yanhi kam karte h ky ham logo pr Yanha Saman Kam Saman Vetan Lagu Hoga Pls Sir Kuch Positive Batayie.
मेरे पॉजिटिव बताने से आपको समान काम का समान वेतन नहीं मिल जायेगा। मैंने आपलोगों के लिए खुद दिल्ली हाईकोर्ट में इसी मांग के लिए जनहित याचिका लगाया था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने 2017 में 42 फीसदी न्यूनतम वेतन बढ़ाई हैं. अभी का सेंट्रल स्फीयर का न्यूनतम वेतन अक्टूबर 2020 को देखिए