दिल्ली हाईकोर्ट ने Contract Employees के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया। माननीय कोर्ट ने सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन (सीडब्लूसी) मैनेजमेंट के खिलाफ कॉन्ट्रैक्ट वर्कर के हित में फैसला दिया है। जिनको सीडब्लूसी मैनेजमेंट के द्वारा 6 जनवरी 2021 को नौकरी से निकाल दिया गया था।जिसके खिलाफ कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद मजदूरों को जीत मिली है। आइये, इसको विस्तार से जानते हैं, इसके साथ ही पोस्ट के अंत में इस आदेश का कॉपी भी डाउनलोड कर सकते हैं।
Latest news regarding contractual employees 2021 in hindi
सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन (सीडब्लूसी) भारत सरकार का एक पीएसयू है. जिसमें तक़रीबन 200 से भी ज्यादा Contract Employees/Outsource Employees पिछले 2 दशक से लगातार काम कर रहे थे। वो काम तो कॉन्ट्रैक्टर के माध्यम से ही करते थे, मगर हर बार कॉन्ट्रैक्टर आता था और चला जाता था। मगर Contract Employees की नौकरी बनी रहती थी।
अभी सीडब्लूसी मैनेजमेंट के द्वारा 6 जनवरी 2021 को एक नया कोन्ट्रेक्टर लाया गया। जिसने वहाँ वर्षों से लगातार काम कर रहे वर्कर को नौकरी से निकाल दिया। जिसके बाद उनसे अपना नया वर्कर को भर्ती कर लिया। जिसके बाद नौकरी से निकाले वर्कर ने दिल्ली हाईकोर्ट का शरण लिया था।
जस्टिस राजीव शकधर ने अपने फैसले में सीडब्लूसी में कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को नौकरी से निकालने के इस फैसले को गलत ठहराया। उन्होंने यह आदेश जारी किया कि सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन (सीडब्लूसी) सभी नौकरी से निकाले कर्मचारी को दुबारा काम पर वापस ले। जिसके बाद कर्मचारियों के बीच ख़ुशी की लहर दौड़ गई।
श्री अशोक अग्रवाल, वकील ने बताया कि माननीय कोर्ट ने कहा है कि सीडब्ल्यूसी द्वारा छल से एक संदिग्ध का सहारा लेकर व्यवधान लाया गया है। इन्होंने गलत तरीके से वर्कर को नौकरी से निकलवा दिया है। सीडब्लूसी का एक्सन टोटली गलत था। कोर्ट ने यह भी कहां है जो सीडब्लूसी और कांट्रेक्टर को परमिशन लेनी चाहिए थी। जिस ट्रिब्यूनल के पास इन कमचारियों का केस चल रहा था।
Contractual Employees Regularization in hindi
ऐसे आपको बता दें कि सीडब्ल्यूसी और कर्मचारियों के बीच नौकरी को नियमितीकरण का मामला ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है। उनकी सेवाएं इस दौरान बिना ट्रिब्यूनल की अनुमति के बिना समाप्त नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, वो इसके लिए वो आईडी एक्ट 1947 के धारा 33A के तहत संबंधित ट्रिब्यूनल में शिकायत कर सकते हैं। मगर उक्त ट्रिब्यूनल में उनके विवाद को सुलझाने के लिए अभी कोई पीठासीन अधिकारी नहीं हैं। जिसके कारण उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
श्री अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट ने यह भी कहा है जो अगर आप इन वर्कर को नौकरी से निकाल देंगे तो जो इन वर्कर का केस ट्रिब्यूनल में चल रहा है। एक तो जो है ठेकेदार के साथ जो कॉन्ट्रैक्ट है वह sham contract का। अगर वह केस वर्कर के पक्ष में होता है तो भी कर्मचारी सीडब्लूसी के ही कहलाएगें। अगर job Regularization के मैटर का फैसला वर्कर के पक्ष में होता है तो भी वो सीडब्लूसी में ही रेगुलर वर्कर होंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने Contract Employees के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला
अगर आप इस तरीके से नौकरी से निकाल देगें। एक तरीके से उनकी जो लड़ाई है, वही खत्म हो जाएगी। कोर्ट ने यह कहा है कि आप पुराने वर्कर की जगह जो नये वर्कर रख लिये है यह बिल्कुल गलत है इस तरह आप नहीं कर सकते। कोर्ट ने आदेश दिया है की सभी सीडब्लूसी के पुराने वर्कर को ड्यूटी पर पर वापस लो। इस तरीके के कार्ट के फैसले से वर्कर की बहुत बड़ी जीत हुई हैं।
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